दूध की अधिक मात्रा दे सकती है गठिया को न्यौता

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उपभोक्ता मामलों के मंत्री रामविलास पासवान ने राज्यों से त्यौहारों के मौसम में मिलावटी खाद्य पदार्थो, मिठाइयों और खराब गुणवत्ता वाले खाने की बिक्री रोकने की कारवाई करने को कहा था. खाने में मिलावट का मुद्दा बहुत ही गंभीर है . ये मुद्दा और भी ज्यादा गंभीर तब हो जाता है जब दूध में कीट-नाशक तत्व होने की खबरें सामने आती है .

खाद्य-पदार्थ में किसी भी तरह का जीवाणु होना शरीर को नुकसान पहुंचाता है. आजकल दूध भी शुद्ध नहीं रह गया है. दूध और गोमांस में आम तौर पर पाया जाने वाला एक जीवाणु एक प्रकार के गठिया के लिये कारक बन सकता है. ये खतरा उन लोगों में ज्यादा दिखाई देता है जो आनुवांशिक रूप से इस जोखिम के दायरे में आते हैं.

अमेरिका की एक यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने रह्यूमेटॉयड आर्थ्राइटिस और मायकोबैक्टीरियम एवियम की उपप्रजाति पाराट्यूबरकुलोसिस जिसे एमएपी के तौर पर जाना जाता है, में एक संबंध की खोज की है. यह जीवाणु अमेरिका की आधी से ज्यादा गायों में पाया जाता है. यही कारण है की अमेरिका के अधिकतम युवाओं में गठिया के संकेत देखे गए हैं.

यह जीवाणु दूध, गोमांस या गाय के गोबर से बनी खाद से उत्पन्न उत्पादों को खाने से इंसानों में फैल सकता है .जिससे गठिया जैसी बीमारी हो सकती है और ये शरीर के लिए जानलेवा सिद्ध हो सकती है.

इस विषय का अध्ययन सेलुलर एंड इनफेक्शन माइक्रोबायोलॉजी से प्रकाशित हुआ हैGathiya -