भारत की पहली महिला डॉक्टर: टीबी से गंवाई जान और बच्चे की मौत ने बना दिया डॉक्टर

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गूगल आज भारत की पहली महिला डॉक्टर आनंदी गोपाल जोशी को याद कर रहा है. आनंदी गोपाल जोशी का जन्म 31 मार्च 1865 को पुणे शहर में हुआ. उस ज़माने में जब महिला ही क्या पुरुषों के पास भी पढ़ाई-लिखाई की कोई व्यवस्था नही थी, तब आनंदीबाई ने 21 साल की उम्र में यानि 1886 में डॉक्टर की डिग्री हासिल कर ली. आज Google ने Doodle बनाकर आनंदी गोपाल जोशी को उनके 153वें जन्मदिन पर याद किया है. गूगल ने अपने डूडल को Anandi Gopal Joshi’s 153rd Birthday टाइटल दिया है. गूगल के डूडल में वह अपने हाथ में डिग्री पकड़ी हुईं है और उन्होंने अपने गले में स्टेथोस्कोप भी लटका रखा है. गूगल द्वारा अपने होम पेज पर लगाये गये इस तस्वीर को कश्मीरा सरोदे ने डिजाइन किया है.

9 साल में शादी में और 14 साल में बनी माँ

आनंदी गोपाल जोशी की ज़िंदगी की कहानी साहस और संघर्ष की प्रेरणा है. मात्र 9 साल की उम्र में उनकी शादी एक विधुर से कर दी गई थी, उनके पति का नाम गोपाल राव जोशी था, जो उनसे 20 साल बड़े थे. गोपाल राव प्रगतिशील सोच के इंसान थे उन्होंने अपनी पत्नी को पढ़ने के लिए प्रेरित किया और उन्हें आनंदी नाम दिया.

14 साल की कच्ची उम्र में आनंदी गोपाल जोशी ने एक लड़के को जन्म दिया, लेकिन मेडिकल सुविधाओं के अभाव में पैदा होने के दस दिन में ही उस बच्चे की मौत हो गयी. कहा जाता है कि इस वाकये ने आनंदी की ज़िंदगी पर गहरा असर किया. उनके बच्चे को बचाने के लिए कोई डॉक्टर नही था इसलिए चिकित्सा और मेडिसिन में उनकी दिलचस्पी बढ़ गई. उनके पति ने उनकी इस रुचि को बढ़ाया और 16 साल की उम्र में पढ़ने के लिए उन्हें उस समय अमेरिका भेज दिया.  आनंदी ने पेनिसिल्‍वेनिया जाकर वहां के वूमेंस मेडिकल कॉलेज (अब ड्रेक्सेल यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन) से डॉक्टरी में एमडी की डिग्री ली और भारत की पहली महिला डॉक्टर बनीं उनका सपना था महिलाओं के लिए मेडिकल कॉलेज खोलने का.

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टीबी ने ले ली डॉक्टर की जान

हालांकि किस्मत को कुछ और मंज़ूर था. जोशी की सेहत अच्छी नहीं रही और डॉक्टर बनने के बाद अगले साल वह टीबी की वजह से 26 फरवरी 1887 को 22 साल की उम्र में इस दुनिया से चली गईं. आनंदी गोपाल जोशी अपने सपने को साकार नहीं कर सकीं, लेकिन वह अपने सपनों का पीछा कर लड़कियों के लिए मिसाल बन गईं.

पति बने प्रेरणा

बता दें कि शुक्र ग्रह पर एक क्रेटर का नाम आनंदी गोपाल जोशी के नाम पर रखा गया है. मराठी उपन्यासकार श्री. ज. जोशी ने भारत की इस पहली महिला डॉक्टर के बारे में उपन्यास ‘आनंदी गोपाल’ लिखा. इसमें उन्होंने बताया कि गोपालराव से शादी करने पर आनंदी की यह शर्त थी कि वे आगे पढ़ाई करेंगी. क्योंकि आनंदी के मायके वाले भी उनकी पढ़ाई के खिलाफ थे. शादी के वक्त आनंदी को अक्षर ज्ञान भी नहीं था. लेकिन गोपालराव ने उन्हें क,ख,ग से पढ़ाया. यह उपन्यास इतना प्रसिद्ध हुआ कि इसका कई भाषाओं में अनुवाद हुआ.