Good News : राजस्थान के किसानों को रास आया ताइवानी तरबूज़, लाखों कमा हो रहे मालामाल

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Good News : राजस्थान के किसानों को रास आया ताइवानी तरबूज़, लाखों कमा हो रहे मालामाल

Good News : राजस्थान के किसानों को रास आया ताइवानी तरबूज़, लाखों कमा हो रहे मालामाल

भीलवाड़ा : राजस्थान में जल्द ही रोहणी नक्षत्र की तपन तेज होने वाली है। प्रदेश में तेज गर्मी शुरू होने से पहले ही बाजार में तरबूज आ गए हैं। गर्मी में तरबूज खाने का मजा और इससे मिलने वाली ठंडक का आनंद अलग ही होता है। वैसे तो लाल-लाल तरबूज को देखकर हरेक के मुंह में पानी आ जाता है, लेकिन क्या कभी आपने पीला तरबूज देखा है जो बाहर से पीला और अंदर से लाल हो। यह तरबूज ताइवानी तरबूज के नाम से जाना जाता है। राजस्थान में भीलवाड़ा जिले के बीगोद कस्बे के प्रगतिशील किसान अब्दुल रज्जाक तीन साल से ताइवानी तरबूज की खेती कर खूब मुनाफ़ा कमा रहे है । इन पीले तरबूज को खरीदने के लिए ग्राहक बढ़िया दाम भी देते है। पूरी तरह से इन तरबूज़ की खेती जैविक होने से इसके खरीददार रज़्जाक का इंतज़ार करते है।

पांच बीघा खेत में लगाए तरबूज

जैविक खेती करने वाले प्रगतिशील किसान रज़ाक आजाद ने बताया कि उन्होंने दो साल पहले बतौर प्रयोग पीले तरबूज़ लगाएं थे। जिनको लोगों ने खूब पसंद किया। तब से वे ताइवानी तरबूज़ की फसल लगा रहे है। इस बार भी इन्होंने पांच बीघा में इसी तरबूज़ की फसल लगाई।

दो तरह की वैरायटी के तरबूज़

दो तरह की वैरायटी के तरबूज़

रज्जाक ने बताया कि एक बाहर से पीला दिखता है और अंदर से लाल निकलता है। दूसरी वैरायटी में बाहर से हरा और अंदर से पीला निकलता है। दोनों ही वैरायटी के तरबूज़ खाने में बेहद मीठे होते है । सर्दियों में प्लास्टिक मलचिंग और टपक सिंचाई पद्धति से इसकी खेती होती है। इससे खेत में तरबूज की अच्छी उपज होती है।

इस वजह से बढ़ती जा रही है डिमांड

इस वजह से बढ़ती जा रही है डिमांड

प्रगतिशील किसान ने बताया कि साधारण लाल तरबूज के मुकाबले यह तीन गुना ज्यादा महंगा बिक जाता है।वर्तमान में दोनों वैरायटी के तरबूज़ के दाम 60 से 80 रुपए किलोग्राम तक आसानी से मिल जाते है जबकि साधरण तरबूज़ 15 से 20 रुपए किलोग्राम तक ही बिक पाता है ।अच्छे मुनाफ़े के कारण अब ताइवानी तरबूज के प्रति किसानों का रुझान बढ़ता जा रहा है।

70 से 90 दिन तैयार होता है ताइवानी तरबूज

70-90-

70 से 90 दिन में ताइवानी तरबूज की फसल तैयार करके किसान अपनी आय बढ़ा रहे हैं। ताइवानी तरबूज की खेती में सिंचाई के लिए ज्यादा पानी की भी जरूरत नहीं होती। इसलिए जिन इलाकों में पानी की दिक्कत है वहां के किसान तरबूज की खेती कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं। स्वाद में भी देसी तरबूज के मुकाबले ताइवानी तरबूज काफी मीठा होता है।

मार्च- अप्रैल में मिलता है अच्छा मुनाफा

मार्च- अप्रैल में मिलता है अच्छा मुनाफा

गर्मी में अगेती फसल लेने के लिए नवंबर महीने में तरबूज के बीज लगाएं गए है। खेत मे मेड़ बनाकर मल्चिंग पेपर लगाने के बाद पौधों को सर्दी से बचाने के लिए ऊपर लो टनल प्लास्टिक पेपर से ढंक दिया जाता है। जनवरी महीने में सर्दी का असर कम होने पर लो टनल प्लास्टिक पेपर हटा दिया जाता है, जिससे गर्मी की शुरुआत में ही खरबूज की फसल तैयार हो जाती है। मार्च और अप्रैल में फसल के दाम भी अच्छे मिलते है।

खरबूज की मांग भी खूब

खरबूज की मांग भी खूब

इस बार रमज़ान और नवरात्रि एक साथ शुरू होने किसानों अपनी फसल का अच्छा मुनाफ़ा मिल रहा है। ताइवानी तरबूज़ और खरबूज की मांग गांवो की तुलना में शहरों में अधिक है। दिल्ली, मुंबई, जयपुर, जोधपुर सहित अन्य शहरों में इस क्षेत्र के तरबूज की अच्छी मांग है। प्रगतिशील किसान अब्दुल रज्जाक ने बताया की रमजान को देखते हुए नवंबर महीने की शुरुआत में ही फसल लगाई थी रोजा इफ्तार के लिए रोजेदार तरबूज को काफी पसंद कर रहे है।

खरबूज मुस्कान की डिमांड भी राजस्थान में

खरबूज मुस्कान की डिमांड भी राजस्थान में

ताइवानी तरबूज के साथ खरबूज की मुस्कान किस्म जो मंडियों में खूब पसंद की जाती है। इस बार चार प्रकार की खरबूज की फसल भी लगाई है। साथ ही काले रंग के तरबूज भी लगाए है। जैविक तरीके से लगाई फसल से फलों में मिठास अधिक है। जिससे लोग खूब पसंद कर रहे है। रोजेदारों को रोजे इफ्तार के लिए दोपहर अब्दुल रज्जाक दोपहर 3 बजे से शाम 6 बजे तक खुद गाड़ी में ले जाकर सीधे बेचते है। इनकी इंतज़ार में खरीददार खड़े रहते हैं । रिपोर्ट- प्रमोद तिवारी

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