अहिंसा के पुजारी गांधी की मृत्यु का कारण बनी गोडसे की हिंसा

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हमारे देश की मिट्टी ने अनेक महापुरुषों को जन्म दिया है. अगर महापुरुषों को याद किया जाता है तो इनमें से एक नाम महात्मा गाँधी का ज़रूर लिया जाता है. हम सबको आजादी की खुली हवा में सांस लेने का मौक़ा देने वाले आदमी का नाम महात्मा गांधी है. हालाँकि इनका पूरा नाम मोहनदास कर्मचंद गाँधी हैं और कई लोग गाँधी जी को लोग प्यार से बापू भी कहते हैं. बापू ने अपना पूरा जीवन भारत की आज़ादी के लिए संघर्ष करते और अंग्रेजों से लड़ते हुए निकाल दिया. अपनी अहिंसावादी सोच के लिए और हमेशा दूसरों की ज़रूरतों को सर्वोपरि रखने के कारण गांधी जी को महात्मा की उपाधि दी गयी थी.

इसीलिए भले ही आज बापू को गुजरे हुये 70 साल हो गए हैं लेकिन आज भी हर देशवासी के दिल में इनकी यादें ताज़ा हैं.  आज उन्की पुण्यतिथी के अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, पूर्व पीएम मनमोहन सिंह, पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी, उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू, आर्मी चीफ बिपिन रावत समेत कई बड़े हस्तियों ने राजघाट जाकर बापू को श्रद्धांजलि दी.

NEWS FOR SOCIAL’की तरफ से भी बापू की पुण्यतिथि पर उन्हें शत-शत नमन. आइये आपको बापू के जीवन से जुड़ी कुछ ख़ास बातें बताते हैं.

गांधीजी का संघर्ष

महात्मा गांधी का जन्म 2 अक्टूबर 1969 में गुजरात के पोरबंदर में हुआ था. देश को अंग्रेजों की गुलामी से हमें आजादी दिलाने के लिए इन्होंने अपने जीवन में कई उतार-चड़ाव भी झेले. ये वो प्राणी है जो बिलकुल निस्वार्थ अपने अलग क़दमों पर चलते थे. कई बार लोग इनसे बहुत नाराज़ भी हो जाते थे.

बता दें की 14 वर्ष की आयु में ही गांधीजी की शादी हो गयी थी. इसके बाद 19 वर्ष की आयु में गांधी जी पढने के लिए लंदन जरुर गए लेकिन तब भी हिंदुस्तान के तौर तरीके को नहीं भुला पाए. उसके बाद उन्होंने अपना सबसे पहला आश्रम खेडा गांव में बनाया था. आश्रम को ख़त्म करने के लिए अंग्रेजों ने गरीब लोगों पर बहुत अत्याचार किये. इस हिंसा को ख़त्म करने के लिए गांधीजी ने अपने मुख्य तीन हथियार से ये लड़ाई लड़ी सत्य, अहिंसा व शांति. इसके कारण उन्हें जेल भी जाना पड़ गया पर उनका जोश जेल के अन्दर भी ज़िन्दा रहा.

अंग्रेजों के कठोर आत्याचार के बाद उन्होंने एक आन्दोलन शुरू किया वो है 1930 में नमक पर लगे कर (Tax) के विरुद्ध सत्याग्रह आन्दोलन. इस आन्दोलन में  डांडी यात्रा प्रमुख रही. इसके पश्चात  फिर भारतीयों पर अत्याचार बढ़ा पर गांधीजी के प्रयासों की वजह से अंग्रेजों को असफलता का मुख देखना पड़ा.

दलितों के लिए आंदोलन

गांधी जी ने दलितों के लिए भी एक आन्दोलन किया था. लेकिन दुखद रहा कि वो ये आन्दोलन हार गए. बापू ने संपूर्ण भारत को अहिंसा से करो या मरो द्वारा स्वतंत्रता के लिए लड़ने को कहा.  उनके शान्ति आंदोलनों के लिए ब्रिटिश सरकार ने उन्हें कई बार गिरफ्तार किया. लेकिन कारावास में रहते हुये भी उन्होंने ‘भारत छोड़ो’ का बुलंद नारा दिया.

उनके प्रयासों का परिणाम ये हुआ कि अंग्रेजों ने भारत को सत्ता सौंपने का निर्णय लिया. परन्तु गांधीजी ने कांग्रेस को ब्रिटिश कैबिनेट के प्रस्ताव  को ठुकराने के लिए कहा तथा स्वयं पाकिस्तान को 55 करोड़ रूपए देकर अलग कर दिया.

मृत्यु का कारण बना पाकिस्तान

गांधी जी का ये फैसला ही उन्की मृत्यु का कारण बना. देश के कई लोगों को पाकिस्तान के बनने और उसको करोड़ों की मदद दिए जाने पर आक्रोश था. यही वजह है कि अपने वक़्त के जाने-माने वकील और समाजसेवी नाथुराम गोडसे  ने गांधीजी की 30 जनवरी 1939 को हत्या कर दी थी. कहा ये भी ये जाता है कि गोडसे एक राष्ट्रवादी हिन्दू थे. वो गांधी जी को भारत को कमज़ोर करने का दोषी मानते थे.

Gandhi death anniversary -

क्योंकि उन्होंने पाकिस्तान को 55 करोड़ का भुगतान किया था.