Ghaziabad Power Cut: मोबाइल की लाइट में करना पड़ रहा अपनों का अंतिम संस्कार, पावर कट ने बढ़ाई है दिक्कत

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Ghaziabad Power Cut: मोबाइल की लाइट में करना पड़ रहा अपनों का अंतिम संस्कार, पावर कट ने बढ़ाई है दिक्कत

टीएचए: इंदिरापुरम के श्मशान घाट में इन दिनों अंधेरा कायम है। यहां 10 दिन से लाइट नहीं है। गमगीन परिजन मोबाइल की लाइट में अपनों का अंतिम संस्कार करने को मजबूर हैं। श्मशान घाट में काम करने वाले एक कर्मचारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि दो दिन पहले मकनपुर से एक व्यक्ति अपनी पत्नी का अंतिम संस्कार करने आए थे। जब तक अंतिम संस्कार नहीं हुआ उनके परिजन मोबाइल की लाइट जलाए रहे। उनके पास हाथ धोने के लिए पानी भी नहीं था। हमारे एक साथी ने उन्हें पानी बाहर से बाल्टी में लाकर दिया।

जीडीए की सबसे बड़ी आवासीय कॉलोनी में शामिल इंदिरापुरम का इकलौता श्मशान घाट पिछले कई दिनों से बगैर बिजली के चल रहा है। बिजली नहीं होने के कारण श्मशान घाट में सबमर्सिबल तक काम नहीं कर रहे। ऐसे में पानी भी यहां नहीं मिल रहा। लोगों का आरोप है कि जीडीए और नगर निगम के बीच श्मशान घाट की जिम्मेदारियां बंटी हुई हैं। यही वजह है कि अब भी यहां मूलभूत सुविधाओं की कमी है। जीडीए ने जब इंदिरापुरम योजना बनाई थी, उस दौरान लोग शक्ति खंड के श्मशान घाट का बहुत ही कम इस्तेमाल करते थे।

केवल मकनपुर और कनावनी गांव के कुछ लोगों की ओर से ही इस श्मशान घाट का इस्तेमाल किया जा रहा था, लेकिन कोरोना में श्मशान घाटों की बदहाल स्थिति को देखते हुए 2 साल पहले यहां की स्थिति में बदलाव किया गया। डेड बॉडी फ्रीजर से लेकर ऐम्बुलेंस तक के इंतजाम निजी एजेंसियों की मदद से किए गए हैं, लेकिन इस दौरान जो सबसे जरूरी चीजें थी उसकी तरफ ध्यान नहीं दिया गया। श्मशान घाट का मेंटिनेंस नगर निगम के पास है, जबकि बिजली, पानी स्ट्रीट लाइट जैसे कनेक्शन और इनसे संबंधित तमाम सुविधाएं जीडीए के पास हैं। ऐसे में दोनों विभागों के बीच आपसी सामंजस्य की कमी के कारण जो शोकाकुल परिजन हैं, उन्हें परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

रोजाना 5 से 6 अंत्येष्टि अंधेरे में हो रहीं
आचार्य मुकेश शर्मा ने बताया कि बिजली की समस्या कई दिनों से बनी हुई है। कई बार शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही। वह रोजाना 5 से 6 लोगों की अंत्येष्टि अंधेरे में करने को मजबूर हैं, क्योंकि दूसरा कोई उपाय नहीं है। स्थानीय पार्षद मंजुला गुप्ता ने बताया कि इंदिरापुरम शक्ति खंड का जो श्मशान घाट है, वह पहले से बेहतर हुआ है। यहां एक से बढ़कर एक समस्याएं थीं, जिन्हें दूर करवाया गया है। खास बात यह है कि यहां की बदहाल स्थिति के कारण ही लोग अब भी गाजियाबाद के हिंडन घाट पर जाते हैं। क्योंकि यहां गंदगी भी बहुत रहती है, क्योंकि बगल में डंपिंग ग्राउंड हैं। इससे लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंच रही है।

लोगों की इच्छा के अनुसार करते हैं काम
आचार्य मुकेश शर्मा ने बताया कि आजकल जिनके घर मे किसी अपने की मृत्यु शाम 4 या 5 बजे होती है। गर्मी का मौसम होने के कारण वह अंतिम संस्कार करने में देर नहीं करते। शाम होते-होते अंतिम संस्कार कर देते हैं। कई लोग रात 8 या 9 बजे भी आते हैं, हम उनकी भी बात मान लेते हैं। श्मसान घाट वैसे सुबह 8 बजे से शाम 7 बजे तक चालू रहता है।

इस संबंध में गाजियाबाद डेवेलपमेंट अथॉरिटी के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर एके चौधरी ने कहा कि यह समस्या मेरे भी संज्ञान में नहीं है। मैं इस संबंध में बिजली विभाग से बात करूंगा। जरूरत पड़ी तो नगर निगम से भी बात की जाएगी।

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