Ghaziabad: अब तक 60 विधायकों ने पैसा वापस निकाला, जीडीए की इस आवासीय योजना से धड़ाधड़ रिफंड क्यों ले रहे माननीय?
उनका कहना है कि 9 फीसदी ब्याज के साथ उन्हें रिफंड किया जा रहा है। आज के समय में मधुबन बापूधाम में जो भूखंड नीलामी से बेचे जा रहे हैं। उनकी कीमत करीब 50 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर है, इसलिए जीडीए को अभी 25 हजार रुपये प्रति वर्ग मीटर के हिसाब से फायदा हो रहा है, जिन भूखंडों का रिफंड दिया जा चुका है, उन्हें नीलामी लगाकर बेचे जाने की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है।
जीडीए के अपर सचिव सीपी त्रिपाठी कहते हैं कि जब रेट रिवाइज किया गया था तो उस समय से लेकर अभी तक करीब 60 विधायकों ने रिफंड लिया है। वर्तमान में जब इसका नीलामी से रेट बढ़ गया तो अब रिफंड के मामले आने कम हो गए हैं।
इसलिए बढ़ाया गया था रेट
मालूम हो कि 321 भूखंडों में 200 भूखंड की रजिस्ट्री हो चुकी थी, जबकि 121 की अभी रजिस्ट्री नहीं हुई थी। इसमें पूर्व विधायक से लेकर वर्तमान विधायक शामिल हैं। जीडीए को इस योजना में किसानों को करीब 700 करोड़ रुपये से अधिक का अतिरिक्त मुआवजा देना पड़ा था, जिसकी वजह से भार यहां के आवंटियों पर डाला गया। इस योजना के हर आवंटी पर इसका भार डाला गया। जीडीए के फैसले से डेढ़ हजार से अधिक आवंटियों पर असर पड़ा था। अभी इसे माफ करवाने की मांग को लेकर कुछ आवंटियों की असोसिएशन लड़ाई लड़ रही है, लेकिन उस पर अभी तक कोई फैसला नहीं हो सका।
1234 एकड़ का हुआ था अधिग्रहण
जीडीए के अधिकारियों ने बताया कि इस योजना में जीडीए ने 1234 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया था। किसानों से सहमति लेने के बाद 1100 रुपये प्रति वर्ग मीटर की दर से पहले मुआवजा दिया गया। योजना के लिए पहले 800 एकड़ का अधिग्रहण किया गया। फिर 153 एकड़ लिया गया। अंत में 281 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया। 281 जमीन के आवंटियों ने सुप्रीम कोर्ट तक मुआवजे की लड़ाई लड़ी। सुप्रीम कोर्ट ने बढ़ा हुआ मुआवजा देने का आदेश जारी किया। इसके चलते जीडीए को कुल 1800 करोड़ रुपये के आसपास इस पूरी योजना में मुआवजा देना पड़ा।
इस योजना में कुल 2316 भूखंड हैं
जीडीए ने इस योजना में लेआउट के तहत 2316 भूखंड काटे थे। साल 2004 से लेकर 2011 तक भूखंडों का आवंटन किया गया। पहले किसानों के लिए 762 भूखंड रिजर्व किए गए, बाकी बचे हुए 1554 भूखंडों का आवंटन किया गया। शुरुआत में 11800 रुपये के हिसाब से भूखंडों का आवंटन शुरू किया गया था, जो धीरे-धीरे करके बढ़ाया गया।
रिपोर्ट: अखण्ड प्रताप सिंह