Gehlot Vs Pilot: राजस्थान में गहलोत-पायलट में टकराव बरकरार, सियासत के 10 दिन में कौन किस पर पड़ा भारी? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

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Gehlot Vs Pilot: राजस्थान में गहलोत-पायलट में टकराव बरकरार, सियासत के 10 दिन में कौन किस पर पड़ा भारी? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

Gehlot Vs Pilot: राजस्थान में गहलोत-पायलट में टकराव बरकरार, सियासत के 10 दिन में कौन किस पर पड़ा भारी? पढ़ें पूरी रिपोर्ट

जयपुर: राजस्थान कांग्रेस का घमासान इन दिनों देशभर में चर्चित है। हो भी क्यों न, गांधी परिवार के सबसे भरोसेमंद नेता अशोक गहलोत (ashok gehlot) के इशारे पर उनके समर्थकों ने कांग्रेस आलाकमान के सामने मोर्चा जो खोल दिया। कांग्रेस (Rajasthan Congress) की इस पॉलिटिक्स की शुरूआत 24 सितंबर से हुई जब राजस्थान के मुख्यमंत्री हाउस में विधायक दल की बैठक तय की गई थी। 24 सितंबर से लेकर 3 अक्टूबर तक कांग्रेस की गहलोत बनाम पायलट (Sachin Pilot) अंदरूनी कलह के कई रंग देखने को मिले। आरोप प्रत्यारोपों के बीच गद्दार और दलाल जैसे शब्द बाण छोड़े गए। आखिर केन्द्रीय नेतृत्व को नेताओं की बयानबाजी पर रोक लगाने का फरमान जारी करना पड़ा। आज पढ़िए, पिछले 10 दिन में क्या क्या गुल खिलाए कांग्रेस की अंदरूनी कलह ने…

24 सितंबर – कांग्रेस विधायक दल की बैठक कॉल की गई

कांग्रेस आलाकमान के निर्देश पर राजस्थान में कांग्रेस विधायक दल की बैठक बुलाई गई। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की अनुमति के बाद सीएम हाउस में रविवार 25 सितंबर की शाम 7 बजे बैठक तय की गई थी। पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव केसी वेणुगोपाल ने ट्वीट करके जानकारी साझा की। सोनिया गांधी ने ऑब्जर्वर के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन को बैठक में एक प्रस्ताव पास करने की जिम्मेदारी दी गई थी। बाद में राजस्थान कांग्रेस के चीफ व्हिप महेश जोशी ने सभी विधायकों को टेलीफोन करके विधायक दल की बैठक की सूचना दी गई।
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विधायक दल की बैठक के ऐजेंडे को भांप गए नेता, गोपनीय रणनीति बनी

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और उनके नजदीकी नेता 24 सितंबर को अचानक तय की गई विधायक दल की बैठक का एजेंडा भांप गए। इसी दिन मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का रविवार 25 सितंबर को तनोट माता मंदिर दर्शन का प्रोग्राम बना। पीसीसी चीफ गोविन्द सिंह डोटासरा और केबिनेट मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास भी गहलोत के साथ तनोट माता मंदिर जाना तय हुआ। उनके जैसलमेर जाने के बाद जयपुर में क्या होना है, इसकी पूरी तैयारियां हो गई थी। खेल का जिम्मा केबिनेट मंत्री शांति धारीवाल, डॉ. महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को सौंपा गया था।
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25 सितंबर की दोपहर बाद शुरू हुआ खेला

ऑब्जर्वर मल्लिकार्जुन खड़के और अजय माकन दोपहर को जयपुर पहुंचे। शाम 7 बजे मुख्यमंत्री निवास पर विधायक दल की बैठक में जाना था। इससे पहले की तय रणनीति के मुताबिक गहलोत गुट के विधायक शांति धारीवाल के आवास पर जुटना शुरू हो गए। बताया जा रहा है कि करीब 92 विधायक धारीवाल के बंगले पर एकत्रित हुए। यहां सबने मिलकर तय किया कि अगर अशोक गहलोत को राष्ट्रीय अध्यक्ष के लिए नोमिनेट किया जाता है तो प्रदेश का भावी मुख्यमंत्री सचिन पायलट या उनके गुट का कोई नहीं होना चाहिए।
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आलाकमान की मंशा भांप कर विधायकों ने कर दी बगावत, आधी रात को दिए इस्तीफे

विधायक दल की बैठक में एक प्रस्ताव पास होना था। इस प्रस्ताव के जरिए राजस्थान के भावी मुख्यमंत्री का फैसला आलाकमान पर छोड़ा जाना था। चूंकि गहलोत गुट के विधायकों को शंका थी कि आलाकमान सचिन पायलट को मुख्यमंत्री ना बना दे। इसी के चलते गहलोत गुट के विधायकों ने विधायक दल की बैठक से पहले धारीवाल के बंगले पर हुई बैठक में शामिल हुए। यहां धारीवाल, जोशी, राठौड़, खाचरियावास सहित कई नेताओं ने संबोधित किया और गहलोत गुट के 102 विधायकों में से ही मुख्यमंत्री तय करने पर अड़ गए। विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करते हुए सभी विधायक अपना इस्तीफा लेकर विधानसभा अध्यक्ष के आवास पर पहुंच गए। आधी रात को विधायकों ने इस्तीफे दे दिए।
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26 सितंबर को ऑब्जर्वर लौटे दिल्ली, सोनिया गांधी से की शिकायत

25 सितंबर की देर रात तक ऑब्जर्वर मल्लिकार्जुन खड़गे और अजय माकन विधायकों का इंतजार करते रहे। आधी रात के बाद तक ड्रामा चलता रहा। 26 सितंबर की सुबह कांग्रेस की कलह देशभर में सुर्खियां बन गई। कांग्रेस की फूट से अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे को काफी गुस्सा आया। दोपहर दो बजे वे दिल्ली लौटे। दिल्ली जाने से पहले मल्लिकार्जुन खड़के ने मुख्यमंत्री को फोन करके होटल में बुलाया और बातचीत की लेकिन अजय माकन का मूड खराब हो गया था। वे अशोक गहलोत से मिले बिना ही होटल से निकल कर एयरपोर्ट पहुंच गए। शाम पांच बजे सोनिया गांधी के आवास पर मुलाकात की।
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सोनिया गांधी ने मांगी लिखित रिपोर्ट

अजय माकन और मल्लिकार्जुन खड़गे ने राजस्थान कांग्रेस के ड्रामे से सोनिया गांधी को अवगत कराया तो सोनिया गांधी ने लिखित में रिपोर्ट मांगी। अजय माकन ने लिखित रिपोर्ट तैयार की जिसमें राजस्थान कांग्रेस के सीनियर कांग्रेस नेताओं को आलाकमान के खिलाफ मुखर होने की शिकायत की। धारीवाल, जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को इस पूरे ड्रामे का जिम्मेदार बताया गया। विधायक दल की बैठक से पहले धारीवाल के बंगले पर समानान्तर बैठक बुलाने पर अनुशासनहीनता की श्रेणी में माना गया। प्रदेश प्रभारी और ऑब्जर्वर अजय माकन द्वारा दी गई लिखित रिपोर्ट में बताए गए घटनाक्रम को काफी गंभीर प्रवृति का माना गया।
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26 सितंबर को धारीवाल ने प्रभारी अजय माकन पर लगाए गंभीर आरोप

26 सितंबर को केबिनेट मंत्री शांति धारीवाल ने प्रदेश प्रभारी और ऑब्जर्वर अजय माकन पर गंभीर आरोप लगाए। धारीवाल ने कहा कि अजय माकन ने सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाये जाने की लॉबिंग की। षड़यंत्र के तहत सचिन पायलट को मुख्यमंत्री बनाए जाने की साजिश रची गई। जो लोग सरकार गिराने में लगे हुए थे, उनके साथ मिलकर मुख्यमंत्री की कुर्सी पर बैठना चाहते थे लेकिन हमने उनके मंसूबे पूरे नहीं होने दिए।

27 सितंबर को राजस्थान के 3 नेताओं को मिला नोटिस

राजस्थान प्रदेश कांग्रेस में बगावती रुख अपनाने और विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री निवास पर बुलाई गई बैठक का बहिष्कार किए जाने से खफा अखिल भारतीय कांग्रेट कमेटी के महासचिव ने केबिनेट मंत्री शांति धारीवाल, जलदाय मंत्री महेश जोशी और आरटीडीसी के चेयरमैन धर्मेन्द्र राठौड़ को नोटिस जारी किए। इन तीनों नेताओं से 10 दिन में जवाब देने के लिए कहा गया। इसी बीच गहलोत गुट के कुछ नेताओं ने बयान दिए कि उन्हें इस्तीफे के बारे में जानकारी ही नहीं दी गई। एक कागज पर दस्तखत कराए गए थे लेकिन उस पर क्या लिखा था, इसकी जानकारी नहीं है। नोटिस मिलने के बाद भी धारीवाल, जोशी और राठौड़ के तेवर फीके नहीं पड़े। वे बोले कि नोटिस का जवाब पूरी ईमानदारी से दिया जाएगा।

अशोक गहलोत के पक्ष में बना माहौल

ऑब्जर्वर द्वारा सोनिया गांधी को दी गई रिपोर्ट में शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को कांग्रेस के घमासान का जिम्मेदार ठहराया गया। अशोक गहलोत ने इस पूरे प्रकरण पर चुप्पी साध रखी थी। ऐसे में सोनिया गांधी को सौंपी गई रिपोर्ट में गहलोत के पक्ष में माहौल बन गया। पूरे घमासान की गाज धारीवाल, जोशी और राठौड़ पर गिरी। अशोक गहलोत के साथ प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविन्द सिंह डोटासरा ने भी चुप्पी साधे रखी। विधानसभा अध्यक्ष डॉ. सीपी जोशी पोलो मैच देखने गए लेकिन विधायकों के इस्तीफे के बारे में मीडिया के किसी भी सवाल का जवाब नहीं दिया।

28 सितंबर को दिल्ली पहुंचे गहलोत, कहा – छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती है

प्रदेश कांग्रेस में मचे घमासान पर तीन दिन तक चुप्पी साधने के बाद 28 सितंबर की रात 10 बजे अशोक गहलोत दिल्ली पहुंचे। दिल्ली में मीडिया से बातचीत के दौरान गहलोत ने कहा कि ये छोटी-मोटी घटनाएं होती रहती है, जल्द ही सब ठीक हो जाएगा। ये कांग्रेस का इंटरनल मामला है। इसे जल्द सुलझा लिया जाएगा। इस दौरान गहलोत ने यही कहा कि सोनिया गांधी कांग्रेस की अध्यक्ष हैं। इस पूरे मामले पर वे अपने विवेक से फैसला लेंगी।

29 सितंबर- गहलोत का माफीनामा वायरल

29 सितंबर को अशोक गहलोत ने सोनिया गांधी से मुलाकात की। 10 जनपथ पहुंचने से पहले दिल्ली के मीडियाकर्मियों ने अशोक गहलोत की गाड़ी को घेरा और बात करनी चाहिए लेकिन उन्होंने बात नहीं की। इसी दौरान अपनी कार में बैठे गहलोत के हाथ में पकड़े कागज की मीडियाकर्मियों ने फोटो ले ली। इस कागज पर माफीनामा लिखा हुआ था। साथ ही सचिन पायलट द्वारा वर्ष 2020 में की गई बगावत और उनके समर्थित विधायकों की गणित के आंकड़े लिखे हुए थे। सोनिया गांधी से मुलाकात के बाद गहलोत ने मीडिया से कहा कि राजस्थान कांग्रेस में जो भी हुआ। उसके लिए वे काफी दुखी और आहत हैं। आलाकमान द्वारा भेजे गए प्रस्ताव को पास कराने की जिम्मेदारी मेरी थी लेकिन मैं पास नहीं करा सका। आलाकमान अब जो भी निर्णय लेगा, हमें स्वीकार है। इधर सचिन पायलट ने भी सोनिया गांधी से मुलाकात की। पायलट ने कहा कि अगला विधानसभा चुनाव हम सब मिलकर लड़ेंगे। हमें 2023 में कांग्रेस सरकार को रिपीट करना है।

30 सितंबर – गहलोत के वायरल माफीनामा रहा सुर्खियों में

30 सितंबर को अशोक गहलोत के माफीनामे की पूरे देश में चर्चा रही। इस माफीनामे में अलग अलग बिन्दु लिखे थे। यह भी लिखा था कि सचिन पायलट पार्टी छोड़ने वाले हैं। पायलट पहले ऐसे नेता हैं जिसने प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए सरकार गिराने की कोशिश की। पायलट के साथ केवल 18 विधायक होने की बात भी लिखी हुई थी। यह भी लिखा था कि अगर पायलट को सीएम बना दिया तो प्रदेश के विधायकों में भय का माहौल बनेगा।

1 अक्टूबर को बोले गहलोत- मैं राजस्थान से दूर नहीं जाऊंगा

दिल्ली से लौटने के बाद अशोक गहलोत बीकानेर संभाग के दौरे पर चले गए। वहां गहलोत ने कहा कि मैं राजस्थान से दूर नहीं जाने वाला। जिन्दीगी भर यहां रहकर सेवा करता रहूंगा। गहलोत ने यह भी कहा कि जब वे कुछ कह रहे हैं तो उसके कुछ मायने होते हैं। इस बयान से अशोक गहलोत ने स्पष्ट कर दिया कि वे मुख्यमंत्री का पद छोड़ने वाले नहीं है।

2 अक्टूबर को मुख्यमंत्री ने दिए दो बयान

2 अक्टूबर को गांधी जयंति के मौके पर अशोक गहलोत ने जयपुर में मीडिया से बात करते हुए कहा कि वे तो सोनिया गांधी से पहले ही कह चुके हैं कि जो राजस्थान में कांग्रेस की सरकार को रिपीट करा सके, उसे सीएम बना दो। गहलोत ने कहा कि यह बात उन्होंने अगस्त में ही सोनिया गांधी को कह दी थी। इसके बाद गहलोत ने यह भी कहा कि दो साल पहले जब सरकार गिराने का षड़यंत्र रचा गया। तब 102 विधायकों ने साथ दिया था। ऐसे मौके पर मैं उन्हें कैसे अकेला छोड़ दूं। सरकार बचाने वाले विधायकों को मैं धोखा नहीं दे सकता, इसीलिए प्रदेश कांग्रेस में पिछले दिनों जो भी हुआ उसके लिए माफी मांगी।
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3 अक्टूबर को गहलोत ने पायलट पर फिर किया सियासी हमला

25 सितंबर से शुरू हुआ कांग्रेस का घमासान शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। 3 अक्टूबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने सचिन पायलट पर फिर सियासी हमला बोल दिया। गहलोत ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि राजनीति गुणा भाग से होती है। राजनीति में जो दिखता है, वह होता नहीं है और जो होता है वह दिखाई नहीं देता। गहलोत के इस बयान से यह स्पष्ट हो गया है कि सियासी बवाल के बीच वे हार मानने वाले नहीं है। पायलट और गहलोत के बीच सियासी टकराव आगामी दिनों में भी जारी रहेगा।
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दलाल और गद्दारी वाले आरोपों की झड़ी

इसी बीच शांति धारीवाल, धर्मेन्द्र राठौड़, दिव्या मदेरणा और वेदप्रकाश सोलंकी के बयान भी सामने आए। शांति धारीवाल और धर्मेन्द्र राठौड़ ने सचिन पायलट को गद्दार करार दिया। उन्होंने खुलकर बयान दिए कि प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए सचिन पायलट ने कांग्रेस की सरकार गिराने की कोशिश की। बीजेपी के साथ मिलकर रचे गए इस षड़यंत्र में वे सफल नहीं हो सके। धारीवाल ने साफ कहा कि ऐसे गद्दार लोगों को मुख्यमंत्री के रूप में बर्दाश्त नहीं करेंगे। राठौड़ ने कहा कि सचिन पायलट एक बार फिर से षड़यंत्र के तहत ही मुख्यमंत्री की कुर्सी पर कब्जा करना चाहते थे लेकिन हमने उन्हें कामयाब नहीं होने दिया। पायलट के गुट के विधायक वेदप्रकाश सोलंकी ने धर्मेन्द्र राठौड़ को भाजपा और कांग्रेस का दलाल करार दिया। इसी बीच कांग्रेस विधायक दिव्या मदेरणा ने अपनी ही पार्टी के नेताओं के खिलाफ खुलकर बयानबाजी की। आलाकमान के आदेश पर प्रस्तावित विधायक दल की बैठक का बहिष्कार करने पर दिव्या मदेरणा ने शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेन्द्र राठौड़ को कांग्रेस का असली गद्दार करार दिया था।
रिपोर्ट – रामस्वरूप लामरोड़

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