Gautam Adani: Hindenburg Research के करंट से गौतम अडानी को एक और झटका, अब नहीं लगाएंगे इस सरकारी कंपनी पर बोली
पीटीसी इंडिया लिमिटेड में चार सरकारी कंपनियों एनटीपीसी (NTPC), एनएचपीसी (NHPC), पावर ग्रिड (Power Grid) और पावर फाइनेंस (Power Finance) की हिस्सेदारी है। ये कंपनी पीटीसी इंडिया में अपनी चार-चार फीसदी हिस्सेदारी बेचने की तैयारी में हैं। कंपनी के ताजा शेयर भाव के मुताबिक 16 फीसदी हिस्सेदारी की कीमत 5.2 करोड़ डॉलर बैठती है। इस साल इसके शेयरों में 11 फीसदी तेजी आई है और इसका कुल मार्केट कैप करीब 32.2 करोड़ डॉलर है। इससे पहले अडानी पावर ने डीबी पावर को खरीदने की डील छोड़ दी थी। जब 2022 में इस डील की घोषणा की गई थी तो यह इलेक्ट्रिसिटी सेक्टर में अडानी ग्रुप की दूसरी सबसे बड़ी मर्जर एंड एक्विजिशन डील थी। लेकिन Hindenburg Research के झटकों से जूझ रहा अडानी ग्रुप इस डील को पूरा करने में नाकाम रहा।
क्या होता फायदा
अगर पीटीसी इंडिया अडानी की झोली में आती तो इससे देश के एनर्जी वैल्यू चेन में उनकी पकड़ और मजबूत होती। अडानी ग्रुप कोल माइनिंग से लेकर ट्रेडिंग बिजनस, ट्रांसमिशन और डिस्ट्रीब्यूशन सर्विसेज में है। देश के एनर्जी सेक्टर में अडानी ग्रुप पहले ही काफी मजबूत स्थिति में है। पीटीसी इंडिया को पहले पावर ट्रेडिंग कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया के नाम से जाना जाता था। इसकी स्थापना साल 1999 में गई थी। कंपनी में हिस्सेदारी बेचने के लिए चार सरकारी कंपनियों ने एक सलाहकार नियुक्त किया है।