Gautam Adani: अगर बनना चाहते हैं अमीर तो गौतम अडानी से सीख लें ये 10 बातें
नई दिल्ली: देश के सबसे अमीर शख्स और दिग्गज कारोबारी गौतम अडानी (Gautam Adani) लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं।पिछले महीने वह माइक्रोसॉफ्ट (Microsoft) के बिल गेट्स (Bill Gates) को पछाड़कर दुनिया के अमीरों की लिस्ट में चौथे नंबर पर पहुंचे थे। हाल में वह फ्रांस के दिग्गज कारोबारी बर्नार्ड आरनॉल्ट (Bernard Arnault) को पछाड़कर तीसरे स्थान पर पहुंच गए। अब वह ऐमजॉन (Amazon) के फाउंडर जेफ बेजोस (Jeff Bezos) के काफी करीब पहुंच गए हैं। लेकिन क्या आपको पता है गौतम अडानी यूं ही देश के सबसे अमीर शख्स नहीं बन गए हैं। इसके लिए उन्होंने खूब संघर्ष भी किया है। गौतम अडानी ने अपनी जिंदगी में कुछ बातों का अमल हर हाल में किया है। इसके बारे में उन्होंने कई बार मीडिया को दिए इंटरव्यू में बताया भी है। अगर आप भी अमीर बनना चाहते हैं तो गौतम अडानी से ये 10 बातें (10 things about Gautam Adani) जरूर सीख लें।
1-परिवार के साथ खाते हैं खाना
गौतम अडानी बहुत बिजी रहते हैं। लेकिन तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद वह खाना अपने परिवार के साथ ही करते हैं। गौतम अडानी के यहां नियम है कि तमाम व्यस्तताओं के बावजूद परिवार के सभी लोग ऑफिस में लंच की टेबल पर साथ बैठते हैं। अब वह दिग्गज कारोबारी हैं तो लंच की टेबल पर भी बिजनस के कुछ मुद्दों पर बात करते हैं और परिवार साथ मिलकर बड़ी आसानी से समस्या का हल निकाल लेता है। अडानी के कहते हैं कि व्यस्तता जीवन का अंग है, लेकिन परिवार के लिए समय निकालना भी जरूरी है।
2- जन्मभूमि से लगाव
गौतम अडानी से एक बार पूछा गया कि आखिर उन्होंने अपने बिजनस के हेड ऑफिस के लिए अहमदाबाद को ही क्यों चुना, जबकि उनका बिजनस तो दुनिया भर में फैला है। अडानी कहते हैं कि अहमदाबाद उनकी जन्मभूमि है, जिसने उन्हें पाला-पोस और बड़ा किया है। साथ ही इस शहर ने उनके बिजनस में उनका साथ दिया। वह कहते हैं गुजरात मेरे परिवार जैसा है और परिवार से दूर कौन जाता है।
3- हमेशा देखे बड़े सपने
गौतम अडानी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में 24 जून 1962 को हुआ था। अडानी के छह भाई-बहन थे। अडानी का परिवार अहमदाबाद के पोल इलाके की शेठ चॉल में रहता था। लेकिन वो हमेशा से कुछ बड़ा करने और सफल होने के सपने देखते थे। गौतम अडानी का कारोबारी सफर तब शुरू हुआ, जब वह गुजरात यूनिवर्सिटी से बीकॉम पूरा किए बिना मुंबई आ गए। उन्होंने डायमंड सॉर्टर के तौर पर शुरुआत की और कुछ ही सालों में मुंबई के झवेरी बाजार में खुद की डायमंड ब्रोकरेज फर्म शुरू कर दी।
4- ऐसे की शुरूआत
साल 1991 में हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत अडानी का बिजनस जल्द ही डायवर्सिफाई हुआ और वह एक मल्टीनेशनल बिजनेसमैन बन गए। 1995 गौतम अडानी के लिए बेहद सफल साबित हुआ, जब उनकी कंपनी को मुंद्रा पोर्ट के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मिला। गौतम अडानी ने अपने कारोबार में डायवर्सिफिकेशन को जारी रखा और 1996 में अडानी पावर लिमिटेड अस्तित्व में आई।
5-कभी हिम्मत न हारना
अडानी की जिंदगी में एक बड़ा भयावह किस्सा मुंबई के 2008 के आतंकी हमलों से जुड़ा है। 26 नवंबर 2008 को वह मुंबई के ताज होटल में डिनर करने गए थे, जब उस पर आतंकियों ने हमला कर दिया। आतंकियों ने 160 लोगों को मार दिया, लेकिन अडानी ने हिम्मत नहीं हारी और बचने में कामयाब रहे।
6-मेहनत करने से पीछे नहीं हटना
अडानी ने कॉलेज के दौरान ही पढ़ाई छोड़ दी थी हीरों के व्यापारी के तौर पर करियर शुरू किया था। हीरों का काम अच्छा चल निकला, तो वह 1981 में अहमदाबाद आए, जहां उन्होंने अपने चचेरे भाई के पॉली विनाइल क्लोराइड की फर्म को शुरू करने में मदद की। 1988 में उन्होंने अडानी एक्सपोर्ट के तहत एक कमोडिटीज ट्रेडिंग वेंचर शुरू किया था।
7- मुसीबत से न घबराना
1997 में गौतम अडानी को कुछ लोगों ने किडनैप कर लिया। अडानी को छोड़ने के बदले में 15 लाख डॉलर यानी करीब 11 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी गई। कहा जाता है कि अडानी की किडनैपिंग के पीछे अंडरवर्ल्ड डॉन फजल उर रहमान उर्फ फजलू रहमान का हाथ था।
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कैसा हो पहला दिन?
8- हमेशा मदद के लिए तैयार रहना
गौतम अडानी का फाउंडेशन देश के 16 राज्यों में है। इन जगहों पर अडानी फाउंडेशन 2400 से भी अधिक गांवों की करीब 40 लाख से भी अधिक आबादी को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा देता है। अडानी फाउंडेशन स्किल डेवलपमेंट के तहत 11 राज्यों के एक लाख लड़के-लड़कियों को ट्रेनिंग भी देता है।
9-घमंड नहीं करना
टाटा ग्रुप (Tata Group) और रिलायंस के बाद अडानी ग्रुप 100 अरब डॉलर से अधिक का मार्केट कैप हासिल करने वाला देश का तीसरा कारोबारी घराना है। अडानी का कारोबार माइंस, पोर्ट्स, पावर प्लांट्स, एयरपोर्ट्स, डेटा सेंटर्स और डिफेंस सेक्टर तक फैला है। लेकिन अडानी को कभी भी घमंड नहीं हुआ। वह हमेशा से ही परिवार और जमीन से जुड़े रहे हैं।
10- हमेशा आगे बढ़ने की सोचना
गौतम अडानी हमेशा आगे बढ़ने की सोचते हैं। पहले जब वह आर्थिक दिक्कतों का सामना करते थे तब भी उन्होंने कभी निराशा को अपने पर हावी नहीं होने दिया। आज भी वो आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
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1-परिवार के साथ खाते हैं खाना
गौतम अडानी बहुत बिजी रहते हैं। लेकिन तमाम व्यवस्थाओं के बावजूद वह खाना अपने परिवार के साथ ही करते हैं। गौतम अडानी के यहां नियम है कि तमाम व्यस्तताओं के बावजूद परिवार के सभी लोग ऑफिस में लंच की टेबल पर साथ बैठते हैं। अब वह दिग्गज कारोबारी हैं तो लंच की टेबल पर भी बिजनस के कुछ मुद्दों पर बात करते हैं और परिवार साथ मिलकर बड़ी आसानी से समस्या का हल निकाल लेता है। अडानी के कहते हैं कि व्यस्तता जीवन का अंग है, लेकिन परिवार के लिए समय निकालना भी जरूरी है।
2- जन्मभूमि से लगाव
गौतम अडानी से एक बार पूछा गया कि आखिर उन्होंने अपने बिजनस के हेड ऑफिस के लिए अहमदाबाद को ही क्यों चुना, जबकि उनका बिजनस तो दुनिया भर में फैला है। अडानी कहते हैं कि अहमदाबाद उनकी जन्मभूमि है, जिसने उन्हें पाला-पोस और बड़ा किया है। साथ ही इस शहर ने उनके बिजनस में उनका साथ दिया। वह कहते हैं गुजरात मेरे परिवार जैसा है और परिवार से दूर कौन जाता है।
3- हमेशा देखे बड़े सपने
गौतम अडानी का जन्म गुजरात के अहमदाबाद में 24 जून 1962 को हुआ था। अडानी के छह भाई-बहन थे। अडानी का परिवार अहमदाबाद के पोल इलाके की शेठ चॉल में रहता था। लेकिन वो हमेशा से कुछ बड़ा करने और सफल होने के सपने देखते थे। गौतम अडानी का कारोबारी सफर तब शुरू हुआ, जब वह गुजरात यूनिवर्सिटी से बीकॉम पूरा किए बिना मुंबई आ गए। उन्होंने डायमंड सॉर्टर के तौर पर शुरुआत की और कुछ ही सालों में मुंबई के झवेरी बाजार में खुद की डायमंड ब्रोकरेज फर्म शुरू कर दी।
4- ऐसे की शुरूआत
साल 1991 में हुए आर्थिक सुधारों की बदौलत अडानी का बिजनस जल्द ही डायवर्सिफाई हुआ और वह एक मल्टीनेशनल बिजनेसमैन बन गए। 1995 गौतम अडानी के लिए बेहद सफल साबित हुआ, जब उनकी कंपनी को मुंद्रा पोर्ट के संचालन का कॉन्ट्रैक्ट मिला। गौतम अडानी ने अपने कारोबार में डायवर्सिफिकेशन को जारी रखा और 1996 में अडानी पावर लिमिटेड अस्तित्व में आई।
5-कभी हिम्मत न हारना
अडानी की जिंदगी में एक बड़ा भयावह किस्सा मुंबई के 2008 के आतंकी हमलों से जुड़ा है। 26 नवंबर 2008 को वह मुंबई के ताज होटल में डिनर करने गए थे, जब उस पर आतंकियों ने हमला कर दिया। आतंकियों ने 160 लोगों को मार दिया, लेकिन अडानी ने हिम्मत नहीं हारी और बचने में कामयाब रहे।
6-मेहनत करने से पीछे नहीं हटना
अडानी ने कॉलेज के दौरान ही पढ़ाई छोड़ दी थी हीरों के व्यापारी के तौर पर करियर शुरू किया था। हीरों का काम अच्छा चल निकला, तो वह 1981 में अहमदाबाद आए, जहां उन्होंने अपने चचेरे भाई के पॉली विनाइल क्लोराइड की फर्म को शुरू करने में मदद की। 1988 में उन्होंने अडानी एक्सपोर्ट के तहत एक कमोडिटीज ट्रेडिंग वेंचर शुरू किया था।
7- मुसीबत से न घबराना
1997 में गौतम अडानी को कुछ लोगों ने किडनैप कर लिया। अडानी को छोड़ने के बदले में 15 लाख डॉलर यानी करीब 11 करोड़ रुपए की फिरौती मांगी गई। कहा जाता है कि अडानी की किडनैपिंग के पीछे अंडरवर्ल्ड डॉन फजल उर रहमान उर्फ फजलू रहमान का हाथ था।
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कैसा हो पहला दिन?
8- हमेशा मदद के लिए तैयार रहना
गौतम अडानी का फाउंडेशन देश के 16 राज्यों में है। इन जगहों पर अडानी फाउंडेशन 2400 से भी अधिक गांवों की करीब 40 लाख से भी अधिक आबादी को गुणवत्तापूर्ण प्राथमिक शिक्षा देता है। अडानी फाउंडेशन स्किल डेवलपमेंट के तहत 11 राज्यों के एक लाख लड़के-लड़कियों को ट्रेनिंग भी देता है।
9-घमंड नहीं करना
टाटा ग्रुप (Tata Group) और रिलायंस के बाद अडानी ग्रुप 100 अरब डॉलर से अधिक का मार्केट कैप हासिल करने वाला देश का तीसरा कारोबारी घराना है। अडानी का कारोबार माइंस, पोर्ट्स, पावर प्लांट्स, एयरपोर्ट्स, डेटा सेंटर्स और डिफेंस सेक्टर तक फैला है। लेकिन अडानी को कभी भी घमंड नहीं हुआ। वह हमेशा से ही परिवार और जमीन से जुड़े रहे हैं।
10- हमेशा आगे बढ़ने की सोचना
गौतम अडानी हमेशा आगे बढ़ने की सोचते हैं। पहले जब वह आर्थिक दिक्कतों का सामना करते थे तब भी उन्होंने कभी निराशा को अपने पर हावी नहीं होने दिया। आज भी वो आगे बढ़ने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं।
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