अज़हरुद्दीन ने कहा कप्तान होने का मान तो रखते, सालों क्रिकेट खेलने का ये सिला

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इंडियन क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान और पूर्व क्रिकेटर मोहम्मद अज़हरुद्दीन हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन से खासे नाराज़ नज़र आ रहे हैं. एसोसिएशन ने अज़हर को रविवार के दिन राजीव गांधी इंटरनेशनल क्रिकेट स्टेडियम में हो रही स्पेशल बॉडी मीटिंग में जाने की अनुमति नहीं दी. इस वजह से उन्होंने एसोसिएशन पर काफी गुस्सा निकला है.

अज़हर ने लगाया बदसुलूकी का आरोप  

भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान अज़हरुद्दीन ने आरोप लगाया है कि उन्हें एक घंटे से भी ज़्यादा देर तक बाहर इंतज़ार करना पड़ा. हालांकी जब बाद में अज़हर ने बताया कि वह टीम इंडिया के पूर्व कप्तान हैं और हैदराबाद क्रिकेट एसोसिएशन का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं तब कहीं जाकर उन्हें अंदर जाने की इजाजत दी गई. लेकिन जैसे ही मीटिंग खत्म हुई और अज़हर बाहर आये तो उन्होंने एसोसिएशन के बर्ताव को लेकर खासा असंतोष ज़ाहिर किया.

अज़हर ने कहा, ‘मुझे 1 घंटे तक बाहर इंतज़ार करना पड़ा. यह बहुत शर्मनाक था. मैं हैदराबाद का हूँ और दस सालों तक इंडियन क्रिकेट टीम का कप्तान भी रहा हूँ. ये लोग जो इस ऑर्गेनाइज़ेशन को चला रहे हैं वो क्रिकेट के बारे में कुछ भी नहीं जानते. उन्होंने अपनी जिंदगी में कभी बल्ला और गेंद पकड़ा भी नहीं है. अगर आप सभी मेरी सदस्यता का समर्थन करेंगे तो मैं वादा करता हूं कि आपकी सारी समस्याओं का हल कर दूंगा.’

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एचसीए के सदस्यों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए

अज़हर ने एचसीए के सदस्यों पर लगे भ्रष्टाचार के आरोपों के मुद्दे को उठाते हुए एसोसिएशन को खत्म करने की मांग भी की. उन्होंने कहा, ‘खिलाड़ियों का कहना है कि उन्हें मैच खेलने के लिए लाखों रुपए देने पड़ते हैं. आप इस तरह की सनक और पसंद के आधार पर किसी संगठन को संचालित नहीं कर सकते. यह किसी का घर नहीं है, यह एक ऑर्गेनाइजेशन है, जो 1932 से काम कर रहा है.

वहीँ अज़हर ने ऑर्गेनाइजेशन में अपनी सदस्यता को समर्थन देने के लिए अन्य सदस्यों से अनुरोध किया. उन्होंने कहा कि वह उन क्रिकेटर्स की मदद करना चाहते हैं जिन्हें भ्रष्ट अधिकारियों की वजह से मौका नहीं मिल पा रहा.

कप्तानी से मैच फिक्सिंग तक का सफ़र

आपको बता दें कि 54 वर्षीय अज़हरुद्दीन ने 1990 के दौरान 47 टेस्ट मैचों में टीम इंडिया के लिए कप्तानी की थी. साल 2000 में अज़हर के ऊपर मैच फिक्सिंग का आरोप लगा जिसके बाद बीसीसीआई ने उनके खेलने पर पाबंदी लगा दी. हालांकि आंध्रा हाई कोर्ट ने साल 2012 में उनके ऊपर लगी पाबंदी को हटा दिया था.