Fifa World cup: फाइनल की रेस से बाहर होकर भी इतिहास रच गया मोरक्को, अफ्रीका के इस देश ने कमाल कर दिया
कतर: फीफा विश्व कप 2022 के दूसरे सेमीफाइनल में फ्रांस ने मोरक्को को 2-0 से हरा दिया। कतर में खेले जा रहे इस टूर्नामेंट में मोरक्को की टीम को पहली हार का भी सामना करना पड़ा है। इससे पहले मोरक्को की यह अजेय रही थी। सेमीफाइनल से पहले मोरक्को की टीम पांच मैच खेल चुकी थी जिसमें से उसे चार जीत में जीत मिली थी जबकि उसका एक मैच ड्रॉ पर छूटा था। सेमीफाइनल से पहले मोरक्को की टीम ने बेल्जियम, स्पेन और पुर्तगाल जैसी मजबूत टीमों को मात दी थी।
फीफा विश्व कप में मोरक्को पहली ऐसी अफ्रीकी देश है जिसने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। इससे पहले अफ्रीका से आने वाला कोई देश फीफा विश्व कप के सेमीफाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाया था।
हालांकि मोरक्को से पहले कैमरून (1990), सेनेगल (2002) और घाना (2010) की टीम भी फीफा विश्व कप के क्वार्टर तक पहुंची है लेकिन यहां उनका सफर आगे नहीं बढ़ पाया था। ऐसे में सेमीफाइनल मे हारकर भी मोरक्को की टीम ने फुटबॉल जगह में एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है।
फ्रांस ने मैच के 5वें मिनट में किया गोल
टूर्नामेंट में अपनी दमदार डिफेंस से दिग्गज टीमों के नाक में दम करने वाली मोरक्को की टीम फ्रांस के खिलाफ पहले हाफ 5वें मिनट में गो खा गई। फ्रांस के लिए यह गोल थियो हर्नांडेज गोल दागा इसके बाद भी फ्रांस का खेमा चुप नहीं बैठा। वह लगातार मोरक्को के गोल पोस्ट पर वार करता रहा। इस तरह पहले हाफ की समाप्ति तक फ्रांस की टीम 1-0 से आगे रही। खेल के दूसरे हाफ में फ्रांस ने 79वें मिनट में अपनी बढ़त को दोगुनी कर ली।
फ्रांस के लिए यह गोल रैंडल कोलो मुआनी ने किया। रैंडल एक सब्सीट्यूट के तौर पर मैदान पर उतरे थे। रैंडल को मैदान पर आए सिर्फ 44 सेकंड ही हुए थे उन्होंने बेहतरीन पास को मोरक्को के गोल पोस्ट में डालकर फ्रांस की जीत लगभग पक्की कर दी। इसके बाद फ्रांस ने मोरक्को को कोई मौका नहीं दिया फाइनल हूटर बजने तक 2-0 की अपनी बढ़त को बरकरार रखा।
60 साल बाद डिफेंडिंग चैंपियन लगातार फाइनल
मोरक्को पर जीत के साथ ही फ्रांस ने अपने नाम एक बड़ा रिकॉर्ड भी दर्ज कर लिया। फीफा विश्व कप के इतिहास में यह दूसरी बार है जब कोई डिफेंडिंग चैंपियन लगातार दूसरी बार फाइनल में पहुंची है। फ्रांस से पहले ब्राजील की टीम 1958 के फाइनल के खेलने बाद 1962 में भी उसे खिताब का बचाव करने का मौका मिला था।
फीफा विश्व कप में मोरक्को पहली ऐसी अफ्रीकी देश है जिसने सेमीफाइनल तक का सफर तय किया। इससे पहले अफ्रीका से आने वाला कोई देश फीफा विश्व कप के सेमीफाइनल में अपनी जगह नहीं बना पाया था।
हालांकि मोरक्को से पहले कैमरून (1990), सेनेगल (2002) और घाना (2010) की टीम भी फीफा विश्व कप के क्वार्टर तक पहुंची है लेकिन यहां उनका सफर आगे नहीं बढ़ पाया था। ऐसे में सेमीफाइनल मे हारकर भी मोरक्को की टीम ने फुटबॉल जगह में एक बड़ी उपलब्धि हासिल कर ली है।
फ्रांस ने मैच के 5वें मिनट में किया गोल
टूर्नामेंट में अपनी दमदार डिफेंस से दिग्गज टीमों के नाक में दम करने वाली मोरक्को की टीम फ्रांस के खिलाफ पहले हाफ 5वें मिनट में गो खा गई। फ्रांस के लिए यह गोल थियो हर्नांडेज गोल दागा इसके बाद भी फ्रांस का खेमा चुप नहीं बैठा। वह लगातार मोरक्को के गोल पोस्ट पर वार करता रहा। इस तरह पहले हाफ की समाप्ति तक फ्रांस की टीम 1-0 से आगे रही। खेल के दूसरे हाफ में फ्रांस ने 79वें मिनट में अपनी बढ़त को दोगुनी कर ली।
फ्रांस के लिए यह गोल रैंडल कोलो मुआनी ने किया। रैंडल एक सब्सीट्यूट के तौर पर मैदान पर उतरे थे। रैंडल को मैदान पर आए सिर्फ 44 सेकंड ही हुए थे उन्होंने बेहतरीन पास को मोरक्को के गोल पोस्ट में डालकर फ्रांस की जीत लगभग पक्की कर दी। इसके बाद फ्रांस ने मोरक्को को कोई मौका नहीं दिया फाइनल हूटर बजने तक 2-0 की अपनी बढ़त को बरकरार रखा।
60 साल बाद डिफेंडिंग चैंपियन लगातार फाइनल
मोरक्को पर जीत के साथ ही फ्रांस ने अपने नाम एक बड़ा रिकॉर्ड भी दर्ज कर लिया। फीफा विश्व कप के इतिहास में यह दूसरी बार है जब कोई डिफेंडिंग चैंपियन लगातार दूसरी बार फाइनल में पहुंची है। फ्रांस से पहले ब्राजील की टीम 1958 के फाइनल के खेलने बाद 1962 में भी उसे खिताब का बचाव करने का मौका मिला था।