Farmers Protest: एक साल से ज्यादा का समय जिसमें कभी ट्रैक्टर परेड निकालकर दिखाई ताकत तो कभी टिकैत की भावुक अपील

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Farmers Protest: एक साल से ज्यादा का समय जिसमें कभी ट्रैक्टर परेड निकालकर दिखाई ताकत तो कभी टिकैत की भावुक अपील

गाजियाबाद
देश में तीन कृषि कानूनों के विरोध में किसानों द्वारा शुरु किया गया ‘किसान आंदोलन’ देश के सबसे लंबे समय तक चले आंदोलनों में से एक है. केंद्र सरकार से मिली आश्वासन की चिट्ठी के बाद संयुक्त किसान मोर्चा ने गुरुवार को किसान आंदोलन खत्म करने का ऐलान कर दिया. ऐलान के अनुसार 11 दिसंबर को किसान घर वापसी करेंगे. लेकिन इससे पहले जानिए कि आखिर कितने उतार-चढ़ाव के बाद किसानों के हाथ लगी ये जीत.

हर मौसम में किसान यूपी गेट पर डटे रहे

सर्दी, गर्मी या बरसात हर मौसम में किसान यूपी गेट पर डटे रहे। कभी उन्होंने ट्रैक्टर मार्च निकालकर सरकार को अपनी ताकत दिखाई तो कभी पुलिस की तरफ से बरसे आंसू गैस के गोले या पानी की बौछारों का सामना किया। कई बार आंदोलन डगमगाता भी दिखाई दिया, लेकिन फिर किसान नेताओं के भावुक संदेशों ने उन्हें एकजुट कर दिया।

किसान संयुक्त मोर्चा के बैनर तले कृषि कानूनों के खिलाफ किसान यूपी गेट पर पहली बार पूरी तैयारी कर पहुंचे थे। पूर्व के अनुभवों को देखते हुए किसानों ने फैसला कर लिया था कि इसे राजनीतिक मंच नहीं बनने देंगे। इसलिए किसान आंदोलन को समर्थन देने के लिए जितने भी विपक्षी दलों के कई नेता वहां पहुंचे, उनमें से किसी को मंच साझा करने की अनुमति नहीं दी गई। इसमें बिहार, पंजाब व हरियाणा से कई नेता पहुंचे थे।

दिल्ली में ट्रैक्टर परेड की जिद पर अड़े तो झेला लोगों का गुस्सा

26 जनवरी को दिल्ली में किसान ट्रैक्टर परेड के दौरान तथाकथित किसानों का जो मंजर सामने आया उसकी तस्वीरें और विडियो वायरल हुईं तो आम जनता में भी प्रदर्शनकारियों के प्रति गुस्सा व्याप्त हो गया। इसके बाद ऐसा लगने लगा कि किसान आंदोलन खत्म हो जाएगा। इस बार संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े कुछ संगठनों ने हिंसक प्रदर्शन से दुखी होकर आंदोलन से खुद को अलग कर लिया। इस बीच यह बात फैल गई कि कुछ सत्ताधारी नेता यूपी बॉर्डर की ओर आ रहे हैं, उनकी किसानों से मारपीट की भी योजना है।
इस दौरान गाजियाबाद प्रशासन ने यूपी गेट खाली करने के लिए प्रदर्शनकारियों को अल्टीमेटम दिया था। तभी राकेश टिकैत ने मीडिया से बातचीत के दौरान भावुक हो गए और उनकी आंखों से आसूं आ गए. इसे देखकर किसानों का इरादा बदल गया यह अपील काम आई। इसके बाद धीरे-धीरे एक बार फिर आंदोलन स्थल पर किसान जुटना शुरू हो गए। इस दौरान एक किसान के आत्महत्या करने से भी यहां पर किसान काफी आहत हुए थे।

लंगर में आसपास की बस्तियों के लोग भी आते थे खाना खानें
आंदोलन स्थल पर सैकड़ों किसानों के लंगर की व्यवस्था थी। यहां तक कि लंगर की व्यवस्था पूरे दिन होने के चलते आसपास की झुग्गी बस्तियो में रहने वाले छोटे बच्चे भी यहां पर आते हुए देखे जाते थे। रोटी बनाने के लिए यहां मशीन तक लगाई गई थी। इसके अलावा ठंड में बुजुर्ग किसानों के लिए हेल्थ कैंप लगाए गए।
बड़ी क्षमता के ट्रैक्टरों को देखने के लिए भी आसपास के लोग पहुंचते थे, उन पर सेल्फी लेते थे। वहीं, पंजाब व उत्तराखंड से आए नौजवान किसानों ने बाकी किसानों की मदद के लिए यहां कपड़े धोने के लिए वॉशिंग मशीन तक की व्यवस्था कर दी थी।

वहीं, यूपी गेट आंदोलनस्थल पर किसान आंदोलन जब चरम पर था तब नगर निगम के टैंकर पीने के पानी से लेकर नहाने, टॉइलट की व्यवस्था करने, साफ-सफाई तक का ध्यान रखते थे। यहां तक कि कोरोना काल के समय यहां सैनिटाइजेशन भी कराया गया।

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