Faridabad Oxygen Crisis News : तब हम ऑक्सिजन के लिए भटक रहे थे और अपनों की जान भी गई h3>
हाइलाइट्स
- सरकार ने किया था दावा ऑक्सिजन की कमी ने नहीं हुई किसी की मौत
- केंद्र के दावे पर शहर के लोग बोले- सच को छुपा रही है सरकार
- ऑक्सिजन की कमी को लेकर एक परिवार ने लिखित शिकायत भी की थी
फरीदाबाद
केन्द्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को सूचित किया दूसरी लहर के दौरान विशेष रूप से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की भी मौत की जानकारी नहीं दी। इसके बाद इस बात पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। लेकिन फरीदाबाद-पलवल के लोगों ने इस दावे को झूठा करार दिया है। लोगों ने कहा है कि उनके अपनों की मौत ऑक्सिजन की कमी से हुई है।
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एक परिवार ने की थी लिखित शिकायत
पलवल के एक परिवार ने तो इस बात की लिखित शिकायत भी की थी। लोगों का कहना है कि सरकार सच को छुपा रही है। कोरोना के दौरान शहर के प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में ना तो बेड खाली था और न ही ऑक्सिजन की व्यवस्था रही। इसको लेकर शहर के लोगों से बात की गई तो उन्होंने मौत के मामले उजागर किए। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
केस नंबर-1
फरीदाबाद के सेक्टर-30 निवासी सीए कपिल मित्तल ने बताया कि उनकी माता की ऑक्सिजन का लेवल कम हो गया था। इस पर उन्होंने 3 मई को मां को सेक्टर-16 के मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराए थे। उस दौरान संबंधित डॉक्टर ने बाहर से ऑक्सिजन की व्यवस्था करने को कहा था, जोकि वह नहीं कर पाए थे। इसके कारण 4 मई को उनकी माता की मौत हो गई। उनका कहना है कि ऑक्सिजन उपलब्ध हो जाती तो आज उनकी मां जिंदा होती। माता की मौत होने के कारण की जांच कराई जाए तो ऑक्सिजन की कमी की असलियत सामने आ जाएगी।
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केस नंबर-2
फरीदाबाद निवासी प्रशांत शर्मा ने बताया कि उनके पिता मई में कोरोेना पॉजिटिव थे। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी बीच उनका ऑक्सिजन का लेवल भी बहुत कम हो चुका था। जिन्हें ऑक्सिजन देने की अति आवश्यकता थी। उस दौरान हर संभव इलाज कराने की कोशिश की, लेकिन ऑक्सिजन का बंदोबस्त नहीं हो पाया और ऑक्सिजन का लेवल बिल्कुल ही कम हो गया। पिता की मौत हो गई। उनका कहना है कि अस्पताल में अगर उनके पिता को ऑक्सिजन मिल जाता तो उनकी मौत नहीं होती।
केस नंबर-3
पलवल जिले के हथीन वार्ड नंबर-2 निवासी नकुल कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने चाचा के लड़के के छाती में दर्द होने पर 4 मई को पलवल के जिला अस्पताल में दाखिल कराया था। उसके बाद डॉक्टरों के परामर्श पर 6 मई को नलहड़ मेडिकल कॉलेज नूंह के लिए रेफर किया गया। वहां पर डॉक्टरों ने वेंटीलेटर पर करने के लिए आश्वासन दिया था, लेकिन दोपहर 1 से लेकर शाम 4:30 बजे तक उन्हें वेंटीलेटर नहीं मिली और डॉक्टर इधर-उधर करते रहे। इसके बाद उन्हें इमरजेंसी में लाया गया और नकुल कुमार से कहा गया कि वह कहीं से ऑक्सिजन सिलेंडर का बंदोबस्त करें। लेकिन ऑक्सिजन नहीं मिल सकी। इसी 6 मई को शाम करीब 4:45 बजे उनकी मौत हो गई थी। उनका कहना है कि अगर ऑक्सिजन मिलता तो उनके चचेरे भाई की मौत न हुई होती।
(इनपुट : सुनील गौड़, खेमराज वर्मा, मोहन सिंह)
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हाइलाइट्स
- सरकार ने किया था दावा ऑक्सिजन की कमी ने नहीं हुई किसी की मौत
- केंद्र के दावे पर शहर के लोग बोले- सच को छुपा रही है सरकार
- ऑक्सिजन की कमी को लेकर एक परिवार ने लिखित शिकायत भी की थी
केन्द्र सरकार ने मंगलवार को राज्यसभा को सूचित किया दूसरी लहर के दौरान विशेष रूप से राज्यों और केन्द्र शासित प्रदेशों ने ऑक्सीजन की कमी के कारण किसी की भी मौत की जानकारी नहीं दी। इसके बाद इस बात पर बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। लेकिन फरीदाबाद-पलवल के लोगों ने इस दावे को झूठा करार दिया है। लोगों ने कहा है कि उनके अपनों की मौत ऑक्सिजन की कमी से हुई है।
एक परिवार ने की थी लिखित शिकायत
पलवल के एक परिवार ने तो इस बात की लिखित शिकायत भी की थी। लोगों का कहना है कि सरकार सच को छुपा रही है। कोरोना के दौरान शहर के प्राइवेट और सरकारी अस्पतालों में ना तो बेड खाली था और न ही ऑक्सिजन की व्यवस्था रही। इसको लेकर शहर के लोगों से बात की गई तो उन्होंने मौत के मामले उजागर किए। हालांकि स्वास्थ्य विभाग ने इसकी पुष्टि नहीं की है।
केस नंबर-1
फरीदाबाद के सेक्टर-30 निवासी सीए कपिल मित्तल ने बताया कि उनकी माता की ऑक्सिजन का लेवल कम हो गया था। इस पर उन्होंने 3 मई को मां को सेक्टर-16 के मेट्रो अस्पताल में भर्ती कराए थे। उस दौरान संबंधित डॉक्टर ने बाहर से ऑक्सिजन की व्यवस्था करने को कहा था, जोकि वह नहीं कर पाए थे। इसके कारण 4 मई को उनकी माता की मौत हो गई। उनका कहना है कि ऑक्सिजन उपलब्ध हो जाती तो आज उनकी मां जिंदा होती। माता की मौत होने के कारण की जांच कराई जाए तो ऑक्सिजन की कमी की असलियत सामने आ जाएगी।
केस नंबर-2
फरीदाबाद निवासी प्रशांत शर्मा ने बताया कि उनके पिता मई में कोरोेना पॉजिटिव थे। जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसी बीच उनका ऑक्सिजन का लेवल भी बहुत कम हो चुका था। जिन्हें ऑक्सिजन देने की अति आवश्यकता थी। उस दौरान हर संभव इलाज कराने की कोशिश की, लेकिन ऑक्सिजन का बंदोबस्त नहीं हो पाया और ऑक्सिजन का लेवल बिल्कुल ही कम हो गया। पिता की मौत हो गई। उनका कहना है कि अस्पताल में अगर उनके पिता को ऑक्सिजन मिल जाता तो उनकी मौत नहीं होती।
केस नंबर-3
पलवल जिले के हथीन वार्ड नंबर-2 निवासी नकुल कुमार ने बताया कि उन्होंने अपने चाचा के लड़के के छाती में दर्द होने पर 4 मई को पलवल के जिला अस्पताल में दाखिल कराया था। उसके बाद डॉक्टरों के परामर्श पर 6 मई को नलहड़ मेडिकल कॉलेज नूंह के लिए रेफर किया गया। वहां पर डॉक्टरों ने वेंटीलेटर पर करने के लिए आश्वासन दिया था, लेकिन दोपहर 1 से लेकर शाम 4:30 बजे तक उन्हें वेंटीलेटर नहीं मिली और डॉक्टर इधर-उधर करते रहे। इसके बाद उन्हें इमरजेंसी में लाया गया और नकुल कुमार से कहा गया कि वह कहीं से ऑक्सिजन सिलेंडर का बंदोबस्त करें। लेकिन ऑक्सिजन नहीं मिल सकी। इसी 6 मई को शाम करीब 4:45 बजे उनकी मौत हो गई थी। उनका कहना है कि अगर ऑक्सिजन मिलता तो उनके चचेरे भाई की मौत न हुई होती।
(इनपुट : सुनील गौड़, खेमराज वर्मा, मोहन सिंह)