Faridabad Historical Story: ऐतिहासिक विरासत को समेटे है फरीदाबाद, हमेशा करें इसपर गर्व

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Faridabad Historical Story: ऐतिहासिक विरासत को समेटे है फरीदाबाद, हमेशा करें इसपर गर्व

Faridabad Historical Story: ऐतिहासिक विरासत को समेटे है फरीदाबाद, हमेशा करें इसपर गर्व

ओमदेव शर्मा, बल्लभगढ़: लोगों से पीएम ने आह्वान किया कि वे अपनी विरासत पर गर्व करें। फरीदाबाद जिला भी विरासतों से भरा हुआ है। आजादी में अहम योगदान देने वाले प्रथम स्वतंत्रता संग्राम 1857 के महानायक शहीद राजा नाहर सिंह का महल बल्लभगढ़ में आज भी उनकी शहादत की गवाही देता है। शहीदे आजम भगत सिंह के परिजन फरीदाबाद जिले में ही रहते हैं। वहीं महाकवि सूरदास का जन्म भी सीही गांव में हुआ है। सीही गांव स्थित उनकी जन्मस्थली पर हर साल कार्यक्रम होते हैं। देश के बंटवारे के बाद एनआईटी में बसे लोगों ने इस जिले की पहचान बनाने में अहम योगदान दिया है। इस जिले को औद्योगिक शहर बनाने में भी पंजाबी समुदाय में भी जी तोड़ मेहनत की।

देश की आजादी से लेकर युद्ध और सीमाओं पर पहरेदारी के दौरान अनेक जवान फरीदाबाद से शहीद हुए हैं। उन्होंने अपनी शहादत देकर फरीदाबाद का नाम रोशन किया है। तिगांव गांव में शहीदों की याद में बना जीतगढ़ स्मारक शहादतों की गवाही देता है। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी का पलवल से नाता रहा है। अंग्रेजों ने बापू को पलवल के रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया था।

सूरजकुंड का निर्माण 10 वीं शताब्दी में तोमर वंश के राजा सूरजपाल ने कराया था। सूरजकुंड में 42 वर्षों से हरियाणा पर्यटन विभाग केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के साथ अंतरराष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला लगाता रहा है। मेले के चलते हर वर्ष सूरजकुंड की मरम्मत होती रहती है। यही वजह है कि अभी तक सूरजकुंड पूरी तरह सुंदर बना हुआ है और इसका इतिहास बचा हुआ है।

भारत-पाकिस्तान बंटवारे के दौरान काफी संख्या में लोग पाकिस्तान से फरीदाबाद आए थे। इन लोगों के रहने के लिए तब नेशन हट बनाई गई थी। ये नेशन हट अब धीरे-धीरे आलीशान मकानों में तब्दील होती जा रही हैं और इनका इतिहास धीरे-धीरे खत्म होने के कगार है।

ओल्ड फरीदाबाद को वैसे तो बाबा फरीद ने बसाया था। उनके नाम से फरीदाबाद बना। ओल्ड फरीदाबाद की शाही जामा मस्जिद जहांगीर के दौर में सैय्यद मुर्तजा खां फरीद बुखारी ने 1014 हिजरी में बनवाई थी। यहां ईदगाह, बाराही तालाब तथा बाराही मंदिर भी बनवाया था। शाही जामा मस्जिद में आज भी लोग नमाज पढ़ते हैं और बाराही तालाब में मेला लगता है।

युद्ध में शहादत देने वाले

-लांस नायक शिवनरेन – 1961 इंडिया – चाइना वॉर

– नायक बलबीर सिंह – 1961 इंडिया – चाइना वॉर

– लांस नायक टेकचंद – 1961 इंडिया – चाइना वॉर

– हवलदार ओमप्रकाश – 1965 इंडिया – पाकिस्तान वॉर

– सिपाही शेर सिंह – 1965 इंडिया – पाकिस्तान वॉर

– सिपाही विक्रम सिंह – 1965 इंडिया – पाकिस्तान वॉर

-हवलदार महीपाल सिंह – 1965 इंडिया – पाकिस्तान वॉर

– सिपाही धर्मवीर सिंह – 1965 इंडिया – पाकिस्तान वॉर

– हवलदार रामपाल – 1971 इंडिया – पाकिस्तान वॉर

– लांस नायक मोहम्मद सिद्दकी – ऑपरेशन रक्षक

– लांस नायक रामबीर – ऑपरेशन रक्षक

– नायक संदीप कालीरमण अटाली-ऑपरेशन रक्षक

– सेकंड लेफ्टिनेंट आरएस नागर – ऑपरेशन पवन

– सिपाही विरेंद्र कुमार – ऑपरेशन विजय, कारगिल

– डीएस भाटी – ऑपरेशन रक्षक

– सिपाही देवेंद्र सिंह भाटी कौराली

– राइफलमैन मनोज भाटी शाहजहांपुर

स्वतंत्रता के लिए लड़ने वाले रणबांकुरे

सुक्कन लाला, चेतीराम, बलवंत रात, अनंत नारायाण, सुल्लीराम, चंदन सिंह, भागमल, बुद्धन सिंह, रिशाल सिंह, फिरेचंद, उजागर सिंह, लाभचंद, दलेल, दाताराम आदि शामिल है।

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