Explainer: बदलते समय में भी पुरानी न्याय प्रणाली पर चलती खाप पंचायत, जानिए कैसे करती हैं फैसले

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Explainer: बदलते समय में भी पुरानी न्याय प्रणाली पर चलती खाप पंचायत, जानिए कैसे करती हैं फैसले

लखनऊ: भारतीय किसान यूनियन (Bhartiya Kisan Union) ने अध्यक्ष नरेश टिकैत (Naresh Tikait) और प्रवक्ता राकेश टिकैत (Rakesh Tikait) को बाहर का रास्ता दिखा दिया है। बीकेयू के इस फैसले ने प्रदेश में एक अलग प्रकार की हलचल बढ़ा दी है। साल भर से लंबे समय तक चले किसान आंदोलन को सफल बनाकर टिकैत बंधुओं ने बीकेयू को खासी चर्चा दिलाई। लेकिन, जब उनका राजनीतिक रुझान बढ़ा तो बीकेयू ने उनसे किनारा कर लिया। अब टिकैत बंधु नए संगठन बनाने की तैयारी में हैं। किसानों का संगठन बनाकर उसकी बागडोर अपने हाथ में रखने की तैयारी है। इसके लिए राकेश टिकैत अपने बड़े भाई नरेश टिकैत की मदद लेंगे।

नरेश टिकैत पश्चिमी यूपी के बड़े खाप बालियान खाप के मुखिया हैं। वे खाप पंचायत बुलाकर किसानों के लिए संगठन खड़ा करने की घोषणा कर सकते हैं। यकीन मानिए, पश्चिमी उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा तक में जाट समाज के बीच खाप पंचायतों का रसूख आज भी बहुत ज्यादा है। राजनीतिक रूप से भी वे निर्णय लेते रहे हैं और समाज खाप पंचायत के निर्णय को मानता रहा है। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर खाप है क्या? यह किस प्रकार के फैसले लेता है? इन पंचायतों की शुरुआत कब हुई? खाप पंचायतों का निर्धारण किस प्रकार से होता है? आइए इन सवालों का जवाब हम यहां जानते हैं।

क्या होता है खाप?
खाप दो अक्षर ख और आप से बनी है। इसमें ख का अर्थ होता है आकाश और आप का मतलब जल। दोनों को मिलाकर देखें तो आकाश की तरह अनंत और जल की तरह सबके लिए उपलब्ध होने वाला संगठन। इतिहासकारों की इस व्याख्या के अनुसार, खाप एक जाति या गोत्र का समूह होता है। खाप एक ऐसा संगठन माना जाता है, जिसमें कुछ गांव शामिल हों। कई गोत्र के लोग शामिल हों या एक ही गोत्र के लोग हों। खाप के गांव आसपास भी हो सकते हैं और दूर भी। खाप के गांवों को एक खाप से दूसरी खाप में जाने की स्वतंत्रता दी गई है। कई बार खाप के गांवों का निर्धारण होता है।

बड़वासनी खाप में 12 गांव होते हैं। इसी प्रकार कराला खाप में 17 गांव, चौहान खाप में 5 गांव, तोमर खाप में 84 गांव, दहिया चालीसा खाप में 40 गांव, पालम खाप में 365 गांव और मितरोल खाप में 24 गांव होते हैं। सर्वपाल खाप फरीदाबाद, बल्लभगढ़ से लेकर मथुरा के छाता, कोसी तक फैला हुआ है। इसमें करीब एक हजार गांव शामिल हैं। सर्वखाप को जाट जाति की सर्वोच्च पंचायत व्यवस्था के रूप में माना जाता है। इसका मुख्यालय अभी मुजफ्फरनगर के सोरम गांव में है। 1924 में सोरम में सर्वखाप की पंचायत में स्थानीय ग्रामीण कबूल सिंह को सर्वखाप का मंत्री बनाया गया था। अभी सर्वखाप के मंत्री सुभाष बालियान हैं।

कब से हुई खाप पंचायतों की शुरुआत?
खापों का इतिहास काफी पुराना है। सतयुग से लेकर कलियुग तक खाप पंचायतों की बात कही जाती है। रामायण, महाभारत काल से लेकर मुगलिया सल्तनत तक और फिर अंग्रेजी शासन के दौरान भी खाप पंचायतों का जिक्र मिलता है। श्रीराम की सेना में होने वाले विभिन्न वर्णों के समूह को खाप माना जाता है। उन्हें सुग्रीव की ओर से रावण के खिलाफ युद्ध में भाग लेने का निमंत्रण भेजा गया था। महाभारत काल में भी युद्ध के समय में समूहों के प्रमुखों का जिक्र आता है। श्रीकृष्ण के लालन-पालन के प्रसंग में कई समूहों का जिक्र सामने आता है। वहीं, महाभारत काल में गण का जिक्र किया गया है। इसे समूह से संबोधित किया गया है। अंग्रेजों से लड़ाई के काल में भी समूह दिखाई देते हैं। वर्ष 643 में राजा हर्षवर्द्धन ने कन्नौज में खाप पंचायत बुलाई थी। यह पंचायत क्षत्रियों को एकजुट करने के लिए थी। इसी प्रकार जाट खाप पंचायतों का भी जिक्र सामने आता है। साथ ही, जाट के 277 गोत्र अब तक सामने आए हैं।

किस प्रकार फैसले लेती है खाप पंचायत?
पाल, गण, गणसंघ, सभा, समिति, जनपद या गणतंत्र को इसकी प्रचलित संस्थाओं के रूप में पेश किया जाता है। खाप को प्रभावी नियंत्रण करने वाली संस्था के रूप में पेश किया जाता है। परिवार में जिस प्रकार से मुखिया परिजनों को एक मार्ग दिखाता है, उसी प्रकार से समाज में अच्छे-बुरे का भेद बताने के लिए खाप की व्यवस्था की गई। सामाजिक व्यवस्था के तहत खाप पंचायत अपने निर्णय देती है। उनके निर्णय का आधार लोगों को एक नया जीवन देने से जोड़कर देखा जाता है। समाज में किसी प्रकार की समस्या सामने आने पर ग्राम पंचायत के स्तर पर हुक्का-पानी बंद करने से लेकर, लेन-देन पर रोक और गांव निकाला तक की सजा सुनाई जाती है। समगोत्री अपराध के मामलों में गोत्र पंचायत के आधार पर फैसले होते हैं। पश्चिमी यूपी, राजस्थान, हरियाणा तक करीब 3500 खाप पंचायत अभी मौजूद हैं और इससे जुड़े लोग इन पंचायतों का फैसला मानते हैं।

खाप पंचायतों के विवादित फैसले
खाप पंचायतों की ओर से एक गोत्र में विवाह को बैन किया गया है। यह बड़ा फैसला है, जिसको हर किसी को मानना है। सुप्रीम कोर्ट ने दो वयस्कों के विवाह के मसले पर खाप पंचायत के खिलाफ कड़ा रुख दिखाया था। इसके अलावा खाप पंचायतों में चप्पलों से पीटने, थूक चटवाने, सिर मुंड़ाकर घुमाने, कोड़े लगवाने जैसी सजा सुनाई जाती है। समाज में अब इस प्रकार की सजा को गंभीर माना जाता है, लेकिन इस पर पूरी तरह से रोक लगाने में कामयाबी नहीं मिल पा रही है।

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