Explainer : बंद हो जाएंगी सरकारी शराब की दुकानें? जानें क्या है दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी

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Explainer : बंद हो जाएंगी सरकारी शराब की दुकानें? जानें क्या है दिल्ली सरकार की नई एक्साइज पॉलिसी

हाइलाइट्स

  • नई नीति में राजधानी में शराब पीने की न्यूनतम उम्र 25 साल से घटाकर 21 साल
  • दिल्ली को 32 जोन में विभाजित किया गया, 16 प्लेयर्स/लाइसेंस धारकों को अनुमति
  • शराब की होम डिलिवरी, ऐप से होगी बुकिंग, शराब की क्वालिटी चेक का बनेगा सिस्टम

नई दिल्ली
दिल्ली सरकार ने नई आबकारी नीति (Delhi Excise Policy) लागू होने के शराब से जुड़े कारोबार में बदलाव आने की उम्मीद है। नई नीति में शराब की सरकारी दुकानें बंद करने से लेकर शराब पीने की न्यूनतम उम्र 21 साल करने जैसे कई फैसले शामिल हैं। दिल्ली में इस साल 17 नवंबर से प्राइवेट वेंडर्स को लाइसेंस मिलने लगेगा। सरकार का कहना है कि उसकी नीति से सरकार के रेवेन्यू में 20% तक बढ़ोतरी होगी। नई नीति में वॉर्ड के अनुसार शराब की दुकानों का समान वितरण होगा। खास बात है कि नई आबकारी नीति में दिल्ली में शराब की क्वालिटी चेक के लिए सरकार अपना एक सिस्टम बनाएगी।

दिल्ली को 32 जोन में बांटा गया है
नई आबकारी नीति के तहत दिल्ली को 32 जोन में विभाजित किया गया है। इसके लिए सिर्फ 16 प्लेयर्स/लाइसेंस धारकों को अनुमति दी जा सकती है। 20 रिटेल जोन की नीलामी पहले ही हो चुकी है। पिछले महीने, सरकार ने 20 क्षेत्रीय खुदरा क्षेत्रों के आवंटन के लिए आयोजित ड्रा के शुरुआती दौर से 5,300 करोड़ रुपये जुटाए थे। बाकी 12 क्षेत्रों की नीलामी प्रक्रिया जारी है। एक सूत्र ने कहा, 12 क्षेत्रों के लिए फाइनेंसियल बिड्स अगले सप्ताह खुलने की उम्मीद है।

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शराब कारोबार में पारदर्शिता का लक्ष्य
दिल्ली सरकार का कहना है कि नई आबकारी नीति 2021-22 भ्रष्टाचार को कम करने में सहायक होने के साथ-साथ इससे शराब के कारोबार में पादर्शिता और उचित प्रतिस्पर्धा को बढ़ाएगा। वहीं, आबकारी नीति का विरोध करने वालों का कहना है कि इससे शराब की बिक्री में एकाधिकार हो जाएगा। सरकार ने अपनी नीति का बचाव करते हुए कहा कि इसको लेकर जो आशंकाएं है, वह दुखद है।

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वॉर्ड की संख्या हिसाब से शराब की दुकानें
राजधानी दिल्ली में शराब की दुकानों का असमान वितरण है। दिल्ली में 272 वॉर्ड में शराब की करीब 850 दुकानें हैं। इनमें से 50 प्रतिशत दुकानें 45 वॉर्ड में हैं। इनमें से 79 वॉर्ड में एक भी शराब की दुकान नहीं है। राजधानी में 45 ऐसे वॉर्ड हैं, जहां एक से दो दुकानें हैं। अब प्रत्येक वार्ड में औसतन तीन खुदरा शराब दुकानों के साथ प्रत्येक जोन में कुल 27 खुदरा दुकानें होंगी। आबकारी नीति 2021- 22 के मुताबिक दिल्ली के 68 विधानसभा क्षेत्रों में 272 निगम वार्डो को 30 जोन में बांटा गया है। नई दिल्ली नगर पालिका परिषद (एनडीएमसी) क्षेत्र और दिल्ली छावनी में 29 दुकानें होंगी। जबकि इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर शराब की 10 रिटेल शॉप्स होंगी।

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शराब की होम डिलिवरी शुरू होगी
नई आबकारी नीति में शराब की होम डिलीवरी शुरू की गई है। शहर में सुबह के 10 बजे से रात के 8 बजे तक शराब की होम डिलीवरी हो सकेगी। शराब की डिलीवर किसी भी हॉस्टल, ऑफिस या संस्थान में नहीं की जाएगी। शराब की डिलीवरी केवल घरों के लिए होगी ऐसे में कहा जा रहा है कि इससे रिटेल विक्रेताओं के बिजनस पर असर पड़ सकता है। जबकि सरकार का कहना है कि सरकार की नीति लोगों के फायदे के लिए है, न कि कमाई के लिए।

सड़क की तरफ नहीं होगा शराब काउंटर का फेस
दिल्ली में अब देसी और विदेशी शराब की खुदरा दुकानें (एल-7वी) किसी भी बाजार, मॉल, वाणिज्यिक क्षेत्रों, स्थानीय शॉपिंग कांपेल्क्स में कहीं भी खोली जा सकेंगी। नई नीति के तहत अब किसी भी शराब की दुकान के लिए कम से कम 500 वर्ग फीट की जगह होना जरूरी होगा। साथ ही उसका कोई काउंटर सड़क की तरफ नहीं खुलेगा। ये दुकानें एयर कंडीशन वाली होंगी। अब लोगों को शराब लेने के लिए धक्का- मुक्की का सामना नहीं करना पड़ेगा। इसके बाद लोग आसानी से अपनी पसंद की शराब खरीद सकेंगे।

शराब माफिया पर लगेगी लगाम
नई आबकारी नीति को लेकर दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया का कहना है कि इससे दिल्ली में शराब माफिया पर शिकंजा कसेगा। उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार ने जो निर्णय लिया है उससे शराब माफिया व अपराधियों की दुकाने बंद होंगी। नीति की घोषणा के बाद सिसोदिया ने कहा था कि ये माफिया और इनके राजनीतिक संरक्षक अभी कुछ दिन बौखलाए घूमेंगे। उन्होंने कहा था कि ये अपनी दुकान बचाने के लिए छटपटाएंगे भी लेकिन अब इनकी माफियागिरी दिल्ली में नहीं चलेगी।

दिल्ली सरकार के रेवेन्यू पर क्या होगा असर
शराब दिल्ली में राजस्व का सबसे बड़ा सोर्स है। दिल्ली सरकार को 2019-20 में शराब से 5,400 करोड़ रुपये का रेवेन्यू मिला था। राजधानी में अभी करीब 60% सरकार शराब की दुकानें हैं। हालांकि, सरकारी के मुकाबले सरकार को 40% प्राइवेट दुकानों से ज्यादा रेवेन्यू आता है। ऐसे में अगर सभी दुकानें प्राइवेट होती हैं तो सरकार को पहले से ज़्यादा टैक्स मिल सकता है जो सरकारी दुकानों के लाभ से अधिक भी हो सकता है।

अदालत में पहुंचा चुका है मामला
दिल्ली सरकार की नई आबकारी नीति का मामला अदालत तक पहुंच चुका है। कोर्ट में नई आबकारी नीति के खिलाफ कई याचिकाएं दायर की गई है। इन याचिकाओं में सरकार की नई आबकारी नीति को मनमाना, अनुचित और दिल्ली आबकारी अधिनियम, 2009 व भारत के संविधान के प्रावधानों के खिलाफ बताया है। याचिका में कहा है कि इस नीति से कुछ लोगों का शराब के कारोबार पर एकाधिकार को बढ़ावा मिलेगा। इस बारे में दिल्ली सरकार के वकील ने कोर्ट में सुनवाई के दौरान कहा था कि ये याचिकाएं शराब के कारोबार में अच्छी तरह से वाकिफ लोगों की ओर से दाखिल की गई है।

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