Exclusive: ‘आदिपुरुष’ के डायरेक्टर ओम राउत बोले- विवादों से नहीं डरता क्योंकि मेरी नीयत साफ है

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Exclusive: ‘आदिपुरुष’ के डायरेक्टर ओम राउत बोले- विवादों से नहीं डरता क्योंकि मेरी नीयत साफ है

‘तान्हाजी’ से बॉलिवुड में सफलता का परचम फहराने वाले निर्देशक ओम राउत (Om Raut) ने भले अपने करियर की शुरुआत मराठी फिल्म ‘लोकमान्य तिलक’ से की, मगर अपनी पहली ही फिल्म में फिल्मफेयर अवार्ड जीतने के बाद उनके लिए बॉलिवुड को राह भी आसान हो गई। इन दिनों वह चर्चा में हैं भव्य बजट और स्टारकास्ट वाली ‘आदिपुरुष’ (Adipurush) से। वाल्मीकि रामायण की स्क्रीन अडैप्टेशन ‘आदिपुरुष’ को लेकर वह खासे उत्साहित हैं। उनसे एक खास मुलाकात।

आपकी पहली फिल्म तान्हाजी की सफलता के बाद आप प्रभास, सैफ अली खान और कीर्ति सैनन जैसी स्टारकास्ट के साथ फिल्म लेकर आ रहे हैं, तो आप कितना प्रेशर महसूस कर रहे हैं?
मेरे साथ दुनिया के अनगिनत लोग जुड़े हैं। हम सभी की भावना एक ही है। लोग भले इसे फिल्म की निगाह से देखें, मगर मेरे लिए ये जुनून है। इस धरती पर जितने भी लोग प्रभु राम को मानते हैं, उन सभी की अपेक्षाओं को पूरा करना मेरी सबसे बड़ी जिम्मेदारी है। मैं उस जिम्मेदारी का प्रेशर लेने चाहूंगा, न कि बड़े सुपर स्टार्स के साथ काम करने का या कमर्शल सक्सेज का। कामयाबी-नाकामी तो आती-जाती रहेगी, मगर सेंटीमेंट्स हमेशा रहेंगे। मैं उन्हीं जज्बातों को चेरिश करना चाहता हूं, मैं खुद को काफी खुशकिस्मत मानता हूं कि हम लोगों को इस फिल्म पर काम करने के लिए चुना गया।
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सुना है कि फिल्म में 500 करोड़ लग गए हैं, तो फिल्म के आउटकम से आप संतुष्ट हैं?
मुझे लगता है जिस दिन संतुष्ट हो जाऊंगा, उस दिन काम बंद करके घर चला जाऊंगा। खुश हूं, काफी, मगर संतुष्ट नहीं। सच कहूं, तो सेटिस्फाई होने वाला बंदा हूं ही नहीं। जिस दिन संतोष होऊंगा, यहां से बोरिया-बिस्तर पैक करके निकलना पड़ेगा।

हाल ही में प्रभास (Prabhas) से जब ‘आदिपुरुष’ में उनकी भूमिका के बारे में पूछा गया, तो उनका कहना था, कि मैं निर्देशक ओम राउत जैसे सुरक्षित हाथों में हूं, तो मुझे फिक्र करने की जरूरत नहीं।
ये तो उनका बड़प्पन है। वह बहुत बड़े स्टार हैं और अगर उन्होंने ऐसा कहा है, तो इसमें बड़ाई उनकी है। हां, वे मेरे मित्र जरूर हैं। मेरी फिल्म के कलाकार हैं, मगर स्टार के रूप में उनका कद बहुत बड़ा है। मैं तो यही कहूंगा कि ये मेरा सौभाग्य है, जो मुझे उनके साथ काम करने का मौका मिला। मैं तो इन स्टार्स की तुलना में खुद को एक अदना-सा निर्देशक मानता हूं।
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प्रभास की हालिया फिल्म ‘राधे श्याम’ बॉक्स ऑफिस पर चल नहीं पाई, क्या आपको लगता है कि उसकी असफलता का ‘आदिपुरुष’ पर कोई प्रभाव पड़ेगा?
मैंने ‘राधे श्याम’ देखी नहीं है। मुझे वो फिल्म देखने का मौका नहीं मिला। मगर मुझे लगता है कि उन्होंने काम बहुत अच्छा किया होगा। फिल्म चलने न चलने के कई कारण हो सकते हैं। मगर मुझे नहीं लगता कि उनकी पिछली फिल्म का कोई इंपैक्ट उनकी आने वाली फिल्म पर पड़ सकता है। कलाकारों की फिल्में हिट-फ्लॉप तो होती रहती हैं। यह तो हमारे काम का हिस्सा है।

जब भी किसी माइथॉलजी या हिस्ट्री पर आधारित विषय पर फिल्म बनाई जाती है, इतिहासकार और जानकार का अपना पॉइंट ऑफ व्यू होता है, कई बार विवाद या आलोचना भी होती है, आप उसके लिए तैयार हैं?
सबसे पहले तो मैं ‘आदिपुरुष’ को माइथोलॉजिकल फिल्म नहीं बल्कि हिस्टॉरिकल फिल्म कहना चाहूंगा। मैंने ‘तान्हाजी’ के समय भी कहा था और अब भी यही कहूंगा, ये मेरी तीसरी हिस्टॉरिकल फिल्म है। मेरी पहली फिल्म मराठी में ‘लोकमान्य तिलक’ के चरित्र पर थी, दूसरी फिल्म ‘तान्हाजी’, तान्हाजी मालुसरे की वीर गाथा पर थी। अब जो मेरी फिल्म आ रही है ‘आदिपुरुष’, वह प्रभु राम के जीवन पर आधारित है। मैं मानता हूं कि मेरी तीनों फिल्में इतिहास पर आधारित है और मेरा मानना ये भी है कि फिल्म बनाते हुए आपके मन में पवित्रता होनी चाहिए। आपकी नीयत जब सही हो, तो आपसे गलती होने की गुंजाइश कम हो जाती है। जब आप एक सही इंटेशन से अपने किरदारों को फिल्म के माध्यम से लोगों के सामने रखते हैं, तो फिर आपका काम आम तौर पर गलत साबित नहीं होता। यही वजह है कि फिर मैं इन तमाम बातों से डरता नहीं, क्योंकि मेरा इंटेशन साफ है।
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आपने अपने करियर की शुरुआत मराठी सिनेमा से की, मगर उसके बाद बॉलिवुड में ‘तान्हाजी’ जैसी सुपर हिट फिल्म दी और अब भव्य बजट वाली ‘आदिपुरुष’ लेकर आ रहे हैं? साउथ स्टार भी बॉलिवुड की फिल्मों में काम करने के बाद खुद को इंडियन फिल्म इंडस्ट्री का हिस्सा कह रहे हैं? आपका टेक?
सच कहूं, तो मुझे सिनेमा को इंडस्ट्री कहना कत्तई पसंद नहीं है। मैं इसे इंडियन सिनेमा कहना चाहूंगा। यह सच है कि हर भाषा और प्रांत के फिल्मों का सिनेमा इंडियन सिनेमा का हिस्सा है। ‘बाहुबली’ ने साउथ-नॉर्थ की दीवार तोड़ी, मगर इसका मतलब यह नहीं है कि उससे पहले हमने मणिरत्नम सर की फिल्मों को इंजॉय न किया हो, हमने राजामौली सर की ‘मगधीरा’ का लुत्फ न उठाया हो, शंकर सर की ‘आई’ देखकर खुश न हुए हों। मुझे यह विभाजन समझ में नहीं आता।
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सैफ अली आपकी फिल्म में नकारात्मक किरदार रावण की भूमिका को कर रहे हैं। एक परफॉर्मर के रूप में आपने उन्हें कैसा पाया?
मैं तो उन्हें एक कलाकार के रूप में देखता हूं, जो मेरे दिए हुए किरदार को निभा रहा है। ‘तान्हाजी’ के बाद यह मेरी उनके साथ दूसरी फिल्म है। सैफ सर के साथ काम करके बहुत मजा आया। हम लोग बहुत सारा हार्ड वर्क करते हैं, काफी रिहर्सल करते हैं। उनके साथ काम करने का अनुभव हमेशा बहुत बढ़िया होता है। वे अपने काम को लेकर बहुत पैशनेट हैं, काफी मेहनती है। एक निर्देशक और कलाकार के रूप में हम एक-दूसरे को पुश करते रहते हैं। वे निर्देशक के विजन को समझ कर उसे साकार करते हैं।



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