Exclusive: पटना में धर्मांतरण का खेल, नौबतपुर से पाली तक इस बार का तरीका बिल्कुल अलग और चौंकाने वाला
Bihar News Latest Update: धर्मांतरण या कहें धर्मपरिवर्तन का खेल… ये बेरोकटोक, बिना डर भय के धड़ल्ले से चल रहा है। यह केवल शहरों तक ही सीमित नहीं रह गया, बल्कि इसकी जड़ें सुदूरवर्ती गांवों तक में धीरे-धीरे फैलती जा रही हैं। यहां पढ़िए हमारी ये एक्सक्लूसिव और खास रिपोर्ट।
हाइलाइट्स
- पटना में धर्मांतरण का खेल
- नौबतपुर से पाली तक धर्मांतरण
- NBT की धर्मांतरण वाले गांव से रिपोर्टिंग
- इस बार का तरीका बिल्कुल अलग और चौंकाने वाला
पटना: बिहार की राजधानी पटना के एक गांव में NBT के कैमरे ने जो तस्वीरें कैद की वो चौंकाने वाली हैं। लोग प्रार्थना सभा आयोजित कर परमपिता की संगीतमय आराधना कर रहे हैं। प्रार्थना सभा में शामिल पुरुष और महिलाएं परमपिता का गुणगान कर रहे हैं, लेकिन इस दौरान ये ईसा मसीह का नाम लेने से बचते दिखे। शायद इन्हें हिदायत दी गई है कि सीधे तौर पर ईसा मसीह का नाम न लें और सिर्फ परमपिता कहें। जानकारों की मानें तो जगह जगह आयोजित प्रार्थना सभा में वह सब होता है जो चर्च में होता है। प्रार्थना सभा में शामिल होने वाले लोग तथाकथित परमपिता की आराधना करते हुए कैमरे में कैद हो गए।
पटना से सटे पालीगंज-नौबतपुर में धर्मांतरण
प्रार्थना सभा जैसा आयोजन एक या दो गांवों में नहीं बल्कि पटना जिले के सुदूरवर्ती कई गांवों किया जा रहा है। खासकर नौबतपुर के डिहरा और पालीगंज के लालगंज-सेहरा, अलीपुर गांव इन दिनों विशेष चर्चा में हैं। नौबतपुर के डीहरा और पालीगंज के अलीपुर गांव में तो बजाप्ते चर्च का निर्माण तक कर दिया गया है, जिसमें सप्ताह में दो दिन परमपिता की आराधना को लेकर लोगों की भीड़ जुटती है। हिन्दू धर्म से अलग होकर ईसाई धर्म को अपनाने की वजहों को जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि ऐसी भ्रांति पैदा की गई है जिसमें लोगों को ये समझाया जाता है कि परमपिता की आराधना करने से उन्हें सारी बीमारियों और दुखों से छुटकारा मिल जाएगा।
डिहरा गांव का हाल
नौबातपुर इलाके में एक गांव है डिहरा। गांव के बधार में ही एक बड़ा सी बिल्डिंग दिखाई देती है, जो चर्च है। यहां यीशु मसीह को मानने वाले लोग आते हैं। इसमें आने वालों की संख्या एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों में है। ये लोग धर्म परिवर्तन कर हिंदू से ईसाई बन गए हैं। ईसाई धर्म अपनाने वाले फादर जयप्रकाश के मुताबिक डिहरा में 2015 में चर्च का निर्माण कराया गया था। वो यहां रह कर इस चर्च की देखभाल करते हैं। साथ ही यहां होने वाली प्रार्थना सभा को भी संबोधित करते हैं। लोगों में यीशु मसीह के प्रति विश्वास जगाते हैं और चर्च से जोड़ते हैं। इनका कहना है कि लोग लालच में आकर इससे जुड़ते हैं और उन्हें यहां से सहायता दी जाती है। कभी कंबल तो किसी के घर में चापाकल तो किसी के घर में शौचालय दिए जाते हैं। कमोबेश यही स्थिति पालीगंज के लालगंज-सेहरा और अलीपुर की भी है। लालगंज-सेहरा में अभी तक चर्च की स्थापना तो नही हो सकी है लेकिन प्रार्थना सभा नियमतः जरूर आयोजित की जाती है, जिसमें अलग तरीके से परमपिता की आराधना की जाती है।
रिपोर्ट- हनुमतेश्वर दयाल
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- पटना में धर्मांतरण का खेल
- नौबतपुर से पाली तक धर्मांतरण
- NBT की धर्मांतरण वाले गांव से रिपोर्टिंग
- इस बार का तरीका बिल्कुल अलग और चौंकाने वाला
पटना से सटे पालीगंज-नौबतपुर में धर्मांतरण
प्रार्थना सभा जैसा आयोजन एक या दो गांवों में नहीं बल्कि पटना जिले के सुदूरवर्ती कई गांवों किया जा रहा है। खासकर नौबतपुर के डिहरा और पालीगंज के लालगंज-सेहरा, अलीपुर गांव इन दिनों विशेष चर्चा में हैं। नौबतपुर के डीहरा और पालीगंज के अलीपुर गांव में तो बजाप्ते चर्च का निर्माण तक कर दिया गया है, जिसमें सप्ताह में दो दिन परमपिता की आराधना को लेकर लोगों की भीड़ जुटती है। हिन्दू धर्म से अलग होकर ईसाई धर्म को अपनाने की वजहों को जानने की कोशिश की गई तो पता चला कि ऐसी भ्रांति पैदा की गई है जिसमें लोगों को ये समझाया जाता है कि परमपिता की आराधना करने से उन्हें सारी बीमारियों और दुखों से छुटकारा मिल जाएगा।
डिहरा गांव का हाल
नौबातपुर इलाके में एक गांव है डिहरा। गांव के बधार में ही एक बड़ा सी बिल्डिंग दिखाई देती है, जो चर्च है। यहां यीशु मसीह को मानने वाले लोग आते हैं। इसमें आने वालों की संख्या एक दो नहीं बल्कि सैकड़ों में है। ये लोग धर्म परिवर्तन कर हिंदू से ईसाई बन गए हैं। ईसाई धर्म अपनाने वाले फादर जयप्रकाश के मुताबिक डिहरा में 2015 में चर्च का निर्माण कराया गया था। वो यहां रह कर इस चर्च की देखभाल करते हैं। साथ ही यहां होने वाली प्रार्थना सभा को भी संबोधित करते हैं। लोगों में यीशु मसीह के प्रति विश्वास जगाते हैं और चर्च से जोड़ते हैं। इनका कहना है कि लोग लालच में आकर इससे जुड़ते हैं और उन्हें यहां से सहायता दी जाती है। कभी कंबल तो किसी के घर में चापाकल तो किसी के घर में शौचालय दिए जाते हैं। कमोबेश यही स्थिति पालीगंज के लालगंज-सेहरा और अलीपुर की भी है। लालगंज-सेहरा में अभी तक चर्च की स्थापना तो नही हो सकी है लेकिन प्रार्थना सभा नियमतः जरूर आयोजित की जाती है, जिसमें अलग तरीके से परमपिता की आराधना की जाती है।
रिपोर्ट- हनुमतेश्वर दयाल
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