2012 में गिनती के वक्त खराब हुई थी ईवीएम, इस बार चुनाव आयोग ने लिया बड़ा फैसला

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साल 2012 में हुए गुजरात विधान सभा चुनाव में ईवीएम से 1581 वोटों की गिनती नहीं हो सकी क्योंकि गिनती के समय कोई तकनीकी दिक्कत आ गयी थी। इसलिए इस बार चुनाव आयोग ने निर्देश दिया है कि 18 दिसंबर को वोटों की गिनती में कोई भी दिक्कत होने पर वोटर वेलिफाएबल पेपर ऑडिट (वीवीपीएटी) से मतों की गणना की जाएगी। इस तरह से गिने जाने वाले वोटों की संख्या कम ही होने की संभावना है लेकिन जिन सीटों पर कांटे के मुकाबले होंगे वहां ये अहम भूमिका निभा सकते हैं। मसलन, साल 2012 के गुजरात विधान सभा चुनाव में कम से कम नौ सीटों पर जीत-हार का फैसला करीब 1500 वोटों से हुआ था। इनमें सबसे कम अंतर से सोजित्रा सीट पर कांग्रेस ने महज 162 वोटों से जीत हासिल की थी।

Election machine 2 -

चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने बताया, “वोटों की गिनती के समय कई बार ईवीएम खराब हो जाती है। आम तौर पर खराब ईवीएम को हटा दिया जाता है और सही ईवीएम मशीनों के वोट गिने जाते हैं।” इस अधिकारी ने बताया, “आम तौर पर जब हार जीत का अंतर बहुत ज्यादा होता है तो खराब ईवीएम में पड़े वोटों को नजरअंदाज कर दिया जाता है। लेकिन इस बार वीवीपीएटी है तो अगर ईवीएम मशीन में कोई तकनीकी गड़बड़ी हो गयी तो भी वोट गिने जा सकेंगे।” गुजरात में पहली बार सभी 182 सीटों पर वीवीपीएटी के साथ चुनाव होगा।

इससे पहले के चुनावों में जीत-हार का अंतर खराब हुई ईवीएम मशीनों के वोटों से कम होने पर ईवीएम बनाने वाली कंपनी के इंजीनियर को बुलवाकर वोटों कि गिनती करनी होती थी। इंजीनियर डिस्प्ले यूनिट या प्रिंटर की मदद से वोटों की गिनती संभव कराता था। अगर वोटों की गिनती इस रह भी नहीं हो पायी तो पोलिंग अफसर को अधिकार है कि वो उस मतदान केंद्र पर दोबारा चुनाव करा सकती है। चुनाव आयोग ने  राज्य के सभी मतदान केंद्रों पर ईवीएम मशीन के वोटों और वीवीपीएटी के वोटों की गिनती करके मिलान करने का निर्देश दिया है। गुजरात में नौ दिसंबर और 14 दिसंबर को विधान सभा चुनाव के लिए मतदान होना है।