सबकुछ ठीक था, वे कोरोना को हरा चुके थे, फिर भी क्यों हो गई मौत?
हाइलाइट्स:
- अहमदाबाद में आईसीयू बेड पर 70 फीसदी मरीज ऐसे हैं जो कोरोना से ठीक होकर दोबारा भर्ती हुए
- कोरोना से ठीक हो गए लेकिन खतरा उन मरीजों को अधिक जिनको हार्ट से जुड़ी बीमारियां हैं
- कोविड से ठीक होकर घर जाने वाले मरीजों के लिए किस प्रकार का प्रोटोकॉल रहे यह तय नहीं हो पा रहा
नई दिल्ली
कोरोना को लेकर इस वक्त लोगों के मन में ढेरों सवाल हैं। कुछ सवालों का जवाब मिल पा रहा है और कई सवाल ऐसे भी हैं जिनका जवाब नहीं मिल रहा। कोरोना की दूसरी लहर में न जाने कितने लोगों की जान चली गई। इनमें कई ऐसे लोग भी थे जो कोरोना को मात देने के बाद भी हार गए। देश के अलग- अलग राज्यों से कई ऐसे मामले सामने आए जिसको देखकर डॉक्टरों को भी हैरानी हुई कि कोरोना से बिल्कुल ठीक हो चुके मरीजों की कुछ ही दिन बाद मौत हो गई।
70 फीसदी ICU बेड पर कोरोना से ठीक हो चुके मरीज
कोरोना से ठीक हो चुके कुछ मरीजों को अचानक हार्ट, किडनी और लीवर से जुड़ी दिक्कत हुई और उनकी जान भी चली गई। अहमदाबाद में वेंटिलेटर और आईसीयू बेड पर 70 फीसदी मरीज ऐसे हैं जो कोरोना से ठीक होकर दोबारा भर्ती हुए हैं। ठाणे के जुपिटर हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. आशीष नाबर ने पिछले कुछ समय में कई कोरोना मरीजों का इलाज किया लेकिन एक रिश्तेदार की मौत से वो पूरी तरह हिल गए।
डॉ. आशीष के एक 50 वर्षीय रिश्तेदार जो पूरी तरह कोरोना से ठीक हो चुके थे लेकिन हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के ठीक 7 दिनों बाद मौत हो गई। MRI रिपोर्ट में पता चला कि Carotid artery में बड़ा सा क्लॉट बन गया है। ब्रेन में सूजन के बाद सर्जरी हुई उसके बाद वेंटिलेटर पर रखा गया। दो दिन बाद ही मरीज की मौत हो गई। जब कोरोना से वह पीड़ित थे तो उन्हें वेंटिलेटर की जरूरत नहीं पड़ी थी।
पूरे देश में इस प्रकार के मामले आ रहे सामने
पूरे देश में इस तरह के कई मामले डॉक्टर सामने आते देख रहे हैं। बेंगलुरु के सकरा वर्ल्ड हॉस्पिटल के डॉ. दीपक बालानी ने बताया कि पिछले एक सप्ताह में तीन चार ऐसे मरीजों की मौत हो गई जो कोरोना से ठीक हो चुके थे। कोरोना से ठीक होने के बाद शरीर में दूसरे इंफेक्शन की वजह भी कारण बनी।
वाशिंगटन यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ मेडिसिन की रिसर्च में एक बात सामने आई कि कोरोना से ठीक हो चुके मरीजों में अगले 6 माह तक जान गंवाने का खतरा अधिक रहा। 87 हजार लोगों पर यह स्टडी की गई।
ऐसे मरीजों के सामने है अधिक खतरा
एम्स ट्रॉमा सेंटर के चीफ डॉ. राजेश मल्होत्रा का कहना है कि खतरा उन मरीजों को अधिक है जिनको हार्ट से जुड़ी बीमारियां हैं। अधिक उम्र के मरीज और डायबिटीज मरीजों में खतरा अधिक है। जिनको पहले से ऐसी बीमारी है और उसके बाद कोरोना हो गया है उनको खतरा अधिक है। ऐसे कई केस सामने आए हैं।
सेवेन हिल्स हॉस्पिटल मुंबई के डॉक्टर एक 83 वर्षीय मरीज की मौत पर हैरान हुए। बुजुर्ग मरीज कोरोना से पूरी तरह ठीक होकर घर जा चुके थे तीन दिन बाद सांस में दिक्कत के बाद दोबारा हॉस्पिटल पहुंचे। डिप्टी डीन डॉ. स्मिता चव्हाण ने बताया कि मरीज को तुरंत भर्ती किया गया।ऑक्सिजन लेवल नीचे जा रहा था जिसके बाद वेंटिलेटर की जरूरत पड़ी। मरीज को बचाया नहीं जा सका।
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