Even today India suffers from caste and gender discrimination Prof Pleasure – आज भी जाति व लिंग भेद से ग्रस्त है भारत : प्रो. आनंद, दरभंगा न्यूज

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Even today India suffers from caste and gender discrimination  Prof  Pleasure – आज भी जाति व लिंग भेद से ग्रस्त है भारत : प्रो. आनंद, दरभंगा न्यूज

Even today India suffers from caste and gender discrimination Prof Pleasure – आज भी जाति व लिंग भेद से ग्रस्त है भारत : प्रो. आनंद, दरभंगा न्यूज

दरभंगा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में जाति, भाषा और धर्म की विविधता के…

Newswrapहिन्दुस्तान टीम,दरभंगाTue, 28 Nov 2023 09:45 PM

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दरभंगा। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद भारत में जाति, भाषा और धर्म की विविधता के बावजूद भारत का नवनिर्माण बखूबी होता गया। जब यह देश आजाद हुआ था तो विदेशियों एवं कतिपय भारतीय नेताओं ने भी भारत का एक राष्ट्र के रूप में स्थायित्व संदिग्ध माना था। भारत के नवनिर्माण में भारतीय संविधान ने महत्वपूर्ण भूमिका अदा की। महाराजाधिराज कामेश्वर सिंह कल्याणी फाउंडेशन के तत्वावधान में महाराजा कामेश्वर सिंह की जयंती पर आयोजित व्याख्यान में जेएनयू के समाजशास्त्री प्रो. आनंद कुमार ने यह बातें कही। स्वराज-रचना और राष्ट्र निर्माण का गांधी मार्ग विषय पर अपने विचार रखते हुए प्रो. कुमार ने कहा कि भारतीय लोकतंत्र को चुनाव और उसका धनतंत्र सर्वाधिक प्रभावित करने लगा। समाजवादी ने जाति तोड़ो से अभियान शुरू किया और आज जाति जोड़ो का राग आलाप रहे हैं। आज राष्ट्रवाद से उपजा लोकतंत्र परिवारवाद में बदलकर रह गया। भारतीय समाज आज भी लिंग भेद और जाति भेद से ग्रस्त है। आज भी ्त्रिरयों को न तो सुरक्षा प्राप्त है और न स्वतंत्रता। आज भी भारत में सामाजिक और आर्थिक असमानता जारी है। भारत के समक्ष धर्म और राजनीति का सम्बन्ध सबसे उलझा प्रश्न है। राष्ट्र निर्माण का आर्थिक पक्ष भी काफी महत्वपूर्ण है। ठोस आर्थिक नीति के अभाव में कोरोना काल में भारत की राष्ट्रीयता खंडित हुई। उन्होंने कहा कि भारतीय राष्ट्र के नवनिर्माण के सभी पक्षों पर गांधीजी के विचार काफी विचारणीय और समीचीन हैं। भारत के नवनिर्माण के लिए आर्थिक समानता, साम्प्रदायिक एकता, ग्राम-स्वराज, दरिद्रता और बेरोजगारी निर्मूलन, स्त्री पुनरुत्थान, स्वच्छता-स्वास्थ्य-शिक्षा सुधार, भाषा स्वराज, विकेन्द्रीकरण एवं देश-दुनिया में शांति के लिए प्रभावशाली कदम उठाना भारत की नयी जिम्मेदारी है। स्वतंत्रता के इस अमृत वर्ष में इन नौ सूत्रीय जिम्मेदारी के बारे में आत्म मूल्यांकन आवश्यक है। अध्यक्षता करते हुए संस्कृत विवि के कुलपति प्रो. शशिनाथ झा ने फाउंडेशन से प्रकाशित पुस्तक की महत्ता पर प्रकाश डाला। मैथिली में समारोह को संबोधित करते हुए प्रो. झा ने 1956 के अकाल के समय महाराज कामेश्वर सिंह के लोकोपकार की विस्तृत जानकारी दी। स्वागत करते हुए फाउंडेशन के मानद सदस्य प्रो. रामचंद्र झा ने मिथिला के वर्तमान शैक्षिक परिदृश्य में फाउंडेशन के कार्यों पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम का संचालन श्रुतिकर झा व धन्यवाद ज्ञापन डॉ. जेके सिंह ने किया। सफल आयोजन में पारसनाथ सिंह ठाकुर की सक्रिय भूमिका रही।

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