Eknath Shinde: 20 साल और 350 मुकदमे, कौन हैं बच्चू कडू जिन्होंने हिला दिया एकनाथ शिंदे का सिंहासन, जानिए h3>
मुंबई: मंगलवार को अमरावती (Amravati) के निर्दलीय विधायक रवि राणा (Ravi Rana) पर निशाना साधते हुए प्रहार जनशक्ति पार्टी के मुखिया बच्चू कडू (Bachchu Kadu) ने एक तीर से दो निशाने साधे। नाम लिए बगैर बच्चू कडू ने रवि राणा पर जमकर हमला किया। कार्यकर्ता सम्मेलन में बच्चू कडू ने एकनाथ शिंदे सरकार (Eknath Shinde Government) और रवि राणा पर प्रहार किया। कडू ने कहा कि सत्ता गई भाड़ में, बीते 20 साल में मेरे ऊपर 350 मुकदमे दर्ज किए गए हैं। इन सबके साथ मैं महाराष्ट्र (Maharashtra) में जनता के बीच जा रहा हूं। बाकी नेता अपने कार्यकर्ताओं से जाकर लड़ने के लिए कहते हैं लेकिन मैं खुद मैदान में जाता हूं। मुझमें और अन्य नेताओं में यही फर्क है। कोई भी एक कुछ भी बोलेगा , यह नहीं चलेगा। कोई भी आएगा और कुछ भी बोलेगा अब यह चलने वाला नहीं है। पहली गलती है इसलिए माफ कर रहा हूं। उसके बाद कोई भी हो अगर गलती हुई तो प्रहार का वार उन्हें दिखाया जाएगा। महाराष्ट्र के अमरावती जिले के यह दोनों विधायक फिलहाल राज्य की सियासत में चर्चा का विषय बने हुए हैं।
इन दोनों नेताओं के बीच में बीते दिनों जमकर जुबानी जंग देखने को मिली। दरअसल रवि राणा ने बच्चू कडू पर 50 करोड़ लेकर बीजेपी को समर्थन देने का आरोप लगाया था। इस बात से नाराज होकर उन्हें एकनाथ शिंदे सरकार को चेतावनी भी दी थी। बच्चू कडू ने कहा कि हम यूं ही गुवाहाटी नहीं गए थे। एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि डॉ बाबासाहेब आंबेडकर भी 1938 में कांग्रेस को एक जलता हुआ घर कहा था लेकिन बाबा साहेब की बातों में उस वक्त कुछ तथ्य थे। हम जिन वंचित लोगों के पास तक सत्ता लाने के लिए लड़ाई लड़ते हैं। इसलिए बाबा साहेब भी कांग्रेस के साथ गए और देश को संविधान देकर इतिहास में अमर हो गए।
एनबीटी ऑनलाइन से रवि राणा की खास बातचीत
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत करते हुए अमरावती के विधायक रवि राणा ने कहा कि फिलहाल हमने यह विवाद खत्म कर दिया है। राणा ने कहा कि हमारा उद्देश्य महाराष्ट्र की जनता की परेशानियों, गरीबी मिटाने और रोजगार लाने पर केंद्रित है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुझे और बच्चू कडू दोनों को ही अलग-अलग कमरे में बैठा कर समझाया था। जिसके बाद दो कदम मैं पीछे हटा हूं और चार कदम बच्चू कडू पीछे हटें हैं। रवि राणा ने कहा कि चुनाव में हम जरूर बताएंगे कि किसमें कितना दम है। चुनाव में तंज कसने वाले लोगों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा, मैं सब सुन और देख रहा हूं।
कौन हैं बच्चू कडू
महाराष्ट्र की विधानसभा में 288 विधायक हैं। इन्हीं में से एक हैं ओमप्रकाश बाबाराव कडू उर्फ बच्चू कडू। विदर्भ के अमरावती जिले की अचलापुर विधानसभा सीट से बच्चू कडू लगातार चौथी बार विधायक हैं। वह भी निर्दलीय। बच्चू कडू उद्धव ठाकरे की सरकार में जलसंपदा, स्कूली शिक्षा, श्रम, महिला और बाल कल्याण तथा मुक्त घुमंतू जाति जनजाति कल्याण, इन पांच-पांच मंत्रालयों के राज्य मंत्री रहे हैं। लेकिन एकनाथ शिंदे की बगावत के दौरान वह शिंदे के साथ हो गए। उनकी एक संस्था है, जिसका नाम ‘प्रहार जनशक्ति’, जो उनके स्वभाव और कर्म से मेल खाता है। छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए बच्चू कडू अपने आंदोलनों के लिए महाराष्ट्र भर में लोकप्रिय हैं।
जब लिखित शिकायत करके, धरना-प्रदर्शन, भूख हड़ताल करके समस्याओं का निराकरण नहीं होता तब वह अपने ढंग से आंदोलन करते हैं। कभी-कभी वह खुद को जमीन में गाड़ लेते हैं। कभी तहसील कार्यालय में ताला लगाकर कर्मचारियों को भीतर ही बंद कर देते हैं। जब सरकारी दफ्तरों में कभी अपंग लोगों को न्याय दिलाने के लिए महीनों तक हाथ में प्लास्टर लगा कर रहते। विधानसभा में किसानों दबे-कुचले लोगों की आवाज को इन अलग-अलग तरहों से उठाने के कई वाकये उनके नाम पर है। एक बार तो एक सरकारी दफ्तर में अधिकारी मौजूद नहीं थे। तब उन्होंने अधिकारियों की कुर्सियों को सार्वजनिक रूप से नीलाम कर करवा दिया और नीलामी का जो पैसा मिला उसे सरकारी खजाने में जमा करवा दिया।
जितने लोकप्रिय उतने ही बदनाम
आम जनता के बीच वह जितने लोकप्रिय हैं, उतने ही अधिकारियों से हाथापाई, मारपीट, बदसलूकी के लिए बदनाम भी हैं। उनके इस आक्रामक व्यक्तित्व के पीछे एक संवेदनशील इंसान भी छिपा है। अब तक वह करीब 70-75 हजार लोगों को मुफ्त इलाज उपलब्ध करा चुके हैं। खुद सैकड़ों बार रक्तदान कर चुके हैं। लोगों को समय पर इलाज उपलब्ध कराने के लिए उनके चुनाव क्षेत्र में एम्बुलेंस की व्यवस्था होना जरूरी है। इसके लिए बच्चू कडू ने जो कारनामा किया, उसका वर्णन होना भी जरूरी है। हुआ यूं कि विधायकों को अपने चुनाव क्षेत्र में जनता की बीच आने-जाने के लिए कार खरीदने की खातिर बिना ब्याज का कर्ज मिलता है।
बच्चू कडू ने इसी योजना के तहत बिना ब्याज के कर्ज पर एक कार खरीदी। फिर उसे बेच कर एम्बुलेंस खरीद ली और उसका लोकार्पण कर दिया। कॉमर्स से ग्रेजुएट तक पढ़े बच्चू कडू अपने विद्रोही स्वभाव पर सफाई दे हुए एक ही बात कहते हैं, उनका रिश्ता वेदनाओं से है। जहां आम आदमी वेदना दिखती है, उनके भीतर का कार्यकर्ता जाग उठता है। फिर वह न विधायकी की चिंता करते हैं और न उन पर केस दर्ज होने की।
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इन दोनों नेताओं के बीच में बीते दिनों जमकर जुबानी जंग देखने को मिली। दरअसल रवि राणा ने बच्चू कडू पर 50 करोड़ लेकर बीजेपी को समर्थन देने का आरोप लगाया था। इस बात से नाराज होकर उन्हें एकनाथ शिंदे सरकार को चेतावनी भी दी थी। बच्चू कडू ने कहा कि हम यूं ही गुवाहाटी नहीं गए थे। एक किस्सा सुनाते हुए उन्होंने कहा कि डॉ बाबासाहेब आंबेडकर भी 1938 में कांग्रेस को एक जलता हुआ घर कहा था लेकिन बाबा साहेब की बातों में उस वक्त कुछ तथ्य थे। हम जिन वंचित लोगों के पास तक सत्ता लाने के लिए लड़ाई लड़ते हैं। इसलिए बाबा साहेब भी कांग्रेस के साथ गए और देश को संविधान देकर इतिहास में अमर हो गए।
एनबीटी ऑनलाइन से रवि राणा की खास बातचीत
नवभारत टाइम्स ऑनलाइन से बातचीत करते हुए अमरावती के विधायक रवि राणा ने कहा कि फिलहाल हमने यह विवाद खत्म कर दिया है। राणा ने कहा कि हमारा उद्देश्य महाराष्ट्र की जनता की परेशानियों, गरीबी मिटाने और रोजगार लाने पर केंद्रित है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और उप मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने मुझे और बच्चू कडू दोनों को ही अलग-अलग कमरे में बैठा कर समझाया था। जिसके बाद दो कदम मैं पीछे हटा हूं और चार कदम बच्चू कडू पीछे हटें हैं। रवि राणा ने कहा कि चुनाव में हम जरूर बताएंगे कि किसमें कितना दम है। चुनाव में तंज कसने वाले लोगों को उन्हीं की भाषा में जवाब दिया जाएगा, मैं सब सुन और देख रहा हूं।
कौन हैं बच्चू कडू
महाराष्ट्र की विधानसभा में 288 विधायक हैं। इन्हीं में से एक हैं ओमप्रकाश बाबाराव कडू उर्फ बच्चू कडू। विदर्भ के अमरावती जिले की अचलापुर विधानसभा सीट से बच्चू कडू लगातार चौथी बार विधायक हैं। वह भी निर्दलीय। बच्चू कडू उद्धव ठाकरे की सरकार में जलसंपदा, स्कूली शिक्षा, श्रम, महिला और बाल कल्याण तथा मुक्त घुमंतू जाति जनजाति कल्याण, इन पांच-पांच मंत्रालयों के राज्य मंत्री रहे हैं। लेकिन एकनाथ शिंदे की बगावत के दौरान वह शिंदे के साथ हो गए। उनकी एक संस्था है, जिसका नाम ‘प्रहार जनशक्ति’, जो उनके स्वभाव और कर्म से मेल खाता है। छात्र राजनीति से सक्रिय राजनीति में आए बच्चू कडू अपने आंदोलनों के लिए महाराष्ट्र भर में लोकप्रिय हैं।
जब लिखित शिकायत करके, धरना-प्रदर्शन, भूख हड़ताल करके समस्याओं का निराकरण नहीं होता तब वह अपने ढंग से आंदोलन करते हैं। कभी-कभी वह खुद को जमीन में गाड़ लेते हैं। कभी तहसील कार्यालय में ताला लगाकर कर्मचारियों को भीतर ही बंद कर देते हैं। जब सरकारी दफ्तरों में कभी अपंग लोगों को न्याय दिलाने के लिए महीनों तक हाथ में प्लास्टर लगा कर रहते। विधानसभा में किसानों दबे-कुचले लोगों की आवाज को इन अलग-अलग तरहों से उठाने के कई वाकये उनके नाम पर है। एक बार तो एक सरकारी दफ्तर में अधिकारी मौजूद नहीं थे। तब उन्होंने अधिकारियों की कुर्सियों को सार्वजनिक रूप से नीलाम कर करवा दिया और नीलामी का जो पैसा मिला उसे सरकारी खजाने में जमा करवा दिया।
जितने लोकप्रिय उतने ही बदनाम
आम जनता के बीच वह जितने लोकप्रिय हैं, उतने ही अधिकारियों से हाथापाई, मारपीट, बदसलूकी के लिए बदनाम भी हैं। उनके इस आक्रामक व्यक्तित्व के पीछे एक संवेदनशील इंसान भी छिपा है। अब तक वह करीब 70-75 हजार लोगों को मुफ्त इलाज उपलब्ध करा चुके हैं। खुद सैकड़ों बार रक्तदान कर चुके हैं। लोगों को समय पर इलाज उपलब्ध कराने के लिए उनके चुनाव क्षेत्र में एम्बुलेंस की व्यवस्था होना जरूरी है। इसके लिए बच्चू कडू ने जो कारनामा किया, उसका वर्णन होना भी जरूरी है। हुआ यूं कि विधायकों को अपने चुनाव क्षेत्र में जनता की बीच आने-जाने के लिए कार खरीदने की खातिर बिना ब्याज का कर्ज मिलता है।
बच्चू कडू ने इसी योजना के तहत बिना ब्याज के कर्ज पर एक कार खरीदी। फिर उसे बेच कर एम्बुलेंस खरीद ली और उसका लोकार्पण कर दिया। कॉमर्स से ग्रेजुएट तक पढ़े बच्चू कडू अपने विद्रोही स्वभाव पर सफाई दे हुए एक ही बात कहते हैं, उनका रिश्ता वेदनाओं से है। जहां आम आदमी वेदना दिखती है, उनके भीतर का कार्यकर्ता जाग उठता है। फिर वह न विधायकी की चिंता करते हैं और न उन पर केस दर्ज होने की।
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