Eknath Shinde: उद्धव ठाकरे पर एकनाथ शिंदे का एक और वॉर, कोरोना काल में हुए BMC के कामकाज की CAG करेगा जांच h3>
मुंबई: महाराष्ट्र (Maharashtra) के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने उद्धव ठाकरे की मुश्किलें बढ़ाने वाला फरमान जारी किया है। दरअसल एकनाथ शिंदे ने आदेश दिया है कि बीते 2 सालों में बृहन्मुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) में हुए कामकाज की जांच कैग के जरिए करवाई जाए। यह कार्यकाल कोरोना महामारी का वह दौर था। जब ज्यादातर लोग घर पर थे और बीएमसी अपनी तरफ से कोरोना मरीजों का इलाज और उनकी देखभाल करने में जुटी हुई थी। राज्य सरकार को इस बात का संदेह है कि कोरोना के नाम में बीएमसी में बड़ा घोटाला हुआ है। इसी बात को लेकर अब इस जांच के आदेश जारी किए गए हैं। एकनाथ शिंदे सरकार ने बीएमसी में कोरोना काल के दौरान हुए कामों की कैग से जांच का आदेश देकर महाराष्ट्र और मुंबई की सियासी हलचल को बढ़ा दिया है। शिंदे सरकार चाहती है कि कोरोना काल के दौरान बीएमसी (BMC) में हुए कोविड सेंटर घोटाला (Covid Centre Scam), मरीजों को दी जाने वाली दवाओं में हुए फर्जीवाड़े की जांच, इसके अलावा नियमों के विरुद्ध जाकर किए गए अन्य कामों की भी जांच सीएजी द्वारा की जाए।
बता दें कि बीजेपी (BJP) ने बड़े पैमाने पर तत्कालीन उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की शिवसेना के नेताओं और प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। एकनाथ शिंदे सरकार (Eknath Shinde) इन तमाम घोटालों की जांच को जल्द से जल्द पूरा कर रिपोर्ट सबमिट करने के आदेश कैग को दिए हैं। एकनाथ शिंदे सरकार ने प्रमुख रूप से 5 मामलों की जांच करने का आदेश कैग को दिया है। जिसमें उन्हें शक है कि यहां बड़े पैमाने पर करप्शन हुआ है। आइये जानते हैं वो कौन से पांच मामले हैं।
1) बीएमसी का कोविड सेंटर घोटाला– इस मामले में भी बीएमसी प्रशासन पर नियमों को ताक पर रखकर टेंडर देने का आरोप लगा है। आरोप है कि बीएमसी ने उस लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेस को पांच सेंटर का ठेका तब दिया गया जब यह कंपनी अस्तित्व में ही नहीं थी। यह भी कहा जाता है कि यह रजिस्टर्ड फर्म नहीं थी। तकरीबन 100 करोड़ रुपए का ठेका गलत तरीके से देने का भी आरोप है। कोरोना काल के दौरान खरीददारी- बीएमसी पर कोरोना काल के दौरान मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर खरीदारी में भी भारी घोटाले का आरोप है।
2)रेमडेसिविर घोटाला– कोरोना काल के दौरान बीएमसी पर यह आरोप भी लगा है कि उन्होंने 7 अप्रैल 2020 को रेमडेसिविर के एक वायल को 1568 रुपये में खरीदा, बीएमसी ने इस दौरान 2 लाख वायल खरीदने का ठेका दिया था। जबकि इसी दिन सरकारी हाफकिन इंस्टीट्यूट ने यही दवा 668 प्रति वायल खरीदी थी। इस मामले में भी भारी गड़बड़ी नजर आती है।
3) दहिसर जमीन अधिग्रहण घोटाला– मुंबई के दहिसर इलाके की जमीन को महंगे दाम में खरीदने का आरोप भी बीएमसी पर लगा है। दरअसल बीएमसी ने दहिसर में एक जमीन का हिस्सा निशल्प रियलिटीज ( अल्पेश अजमेरा) से 349 करोड रुपए में खरीदा था। जबकि यह पता चला है कि इसी जमीन को अल्पेश अजमेरा ने मस्कारहन्स फैमिली से महज 2 लख करोड़ पचपन लाख रुपए में खरीदा था। उस दौरान बीएमसी अधिकारियों ने इस जमीन की खरीद पर विरोध जताया था। इस मामले में बिल्डर अदालत गया था और 900 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह एक सबसे बड़ा घोटाला है जिसकी कड़ी जांच होना जरूरी है।
4)ऑक्सिजन जेनरेशन प्लांट घोटाला– साल 2021 के जून-जुलाई महीने के दौरान बृहनमुंबई महानगर पालिका में अपने विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सिजन सप्लाई के लिए ऑक्सिजन जेनरेशन प्लांट लगाने का ठेका दिया था। द हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी को 16 जून 2021 को अपारदर्शी तरीके से दिया गया था। इस टेंडर को लेकर मंत्री असलम शेख ने भी सवाल उठाए थे। द हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी ब्लैक लिस्ट थी। ऐसा माना जा रहा है कि इस मामले में भी बड़ा घोटाला किया गया है।
5)कोविड कॉन्ट्रैक्ट में बीएमसी अधिकारियों का समावेश– आरोप है कि श्री मनीष राधाकृष्ण वालेन्जु ने उनके इलाके कुर्ला में जीन हेल्थ डायग्नोस्टिक प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को ठेका दिया था। यह कंपनी उनके पिता राधाकृष्ण वालेन्जु की है। इसी तरह से आरटीपीसीआर कोविड टेस्टिंग कॉन्ट्रैक्ट भी गलत ढंग से दिया गया है। इसकी भी जांच होनी चाहिए।
कांग्रेस ने किया स्वागत
एकनाथ शिंदे द्वारा कैग जांच के आदेश दिए जाने को लेकर बीएमसी में कांग्रेस के नेता रवि राजा ने कहा कि एनबीटी ऑनलाइन से कहा कि सरकार का यह फैसला सकारात्मक और अच्छा है। कोरोना काल में बीएमसी की तरफ से बेहतरीन काम हुआ है। इस काम को करने के लिए बड़े पैमाने पर पैसा खर्च किया गया है। जो आम आदमी के टैक्स का पैसा है। ऐसे में इस पैसे का ऑडिट होना जरूरी है। इसलिए हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं।
हम किसी भी जांच से गुजरने को तैयार
सीएजी जांच के मामले में शिवसेना प्रवक्ता आनंद दुबे ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि जांच करवाना सरकार का अधिकार है। लेकिन जिस समय पर यह जांच का आदेश दिया गया है। उस पर जरूर सवाल उठाए जाने चाहिए। किसी भी समय बीएमसी के चुनाव घोषित किए जा सकते हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को परेशान करने के लिए एकनाथ शिंदे ने यह दांव चला है। कोरोना काल में बीएमसी और उद्धव ठाकरे सरकार की तारीफ डब्ल्यूएचओ, भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट तक ने की थी। जहां तक जांच की बात है तो जब ऐसी कोई आपदा आती है तब बीएमसी टेंडर जारी करने की बजाय इसपर बात ध्यान केंद्रित करती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके। बीएमसी ने इसके लिए पूरी शिद्दत से काम किया था।
बढ़ सकती है उद्धव ठाकरे की मुश्किलें?
महाराष्ट्र सरकार के इस आदेश के बाद माना जा रहा है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। दो दशकों से ज्यादा वक्त से शिवसेना बीएमसी की सत्ता पर काबिज है। कुछ महीनों पहले ईडी ने उद्धव ठाकरे के साले श्रीधर पाटणकर के घर और दफ्तर पर छापेमारी भी की थी। उस समय भी कहा जा रहा था कि ईडी जांच की आंच ठाकरे परिवार तक भी पहुंच सकती है। एकनाथ शिंदे सरकार का यह नया आदेश भी ठाकरे परिवार की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
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बता दें कि बीजेपी (BJP) ने बड़े पैमाने पर तत्कालीन उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) की शिवसेना के नेताओं और प्रशासन पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाया गया था। एकनाथ शिंदे सरकार (Eknath Shinde) इन तमाम घोटालों की जांच को जल्द से जल्द पूरा कर रिपोर्ट सबमिट करने के आदेश कैग को दिए हैं। एकनाथ शिंदे सरकार ने प्रमुख रूप से 5 मामलों की जांच करने का आदेश कैग को दिया है। जिसमें उन्हें शक है कि यहां बड़े पैमाने पर करप्शन हुआ है। आइये जानते हैं वो कौन से पांच मामले हैं।
1) बीएमसी का कोविड सेंटर घोटाला– इस मामले में भी बीएमसी प्रशासन पर नियमों को ताक पर रखकर टेंडर देने का आरोप लगा है। आरोप है कि बीएमसी ने उस लाइफलाइन हॉस्पिटल मैनेजमेंट सर्विसेस को पांच सेंटर का ठेका तब दिया गया जब यह कंपनी अस्तित्व में ही नहीं थी। यह भी कहा जाता है कि यह रजिस्टर्ड फर्म नहीं थी। तकरीबन 100 करोड़ रुपए का ठेका गलत तरीके से देने का भी आरोप है। कोरोना काल के दौरान खरीददारी- बीएमसी पर कोरोना काल के दौरान मेडिकल इमरजेंसी के नाम पर खरीदारी में भी भारी घोटाले का आरोप है।
2)रेमडेसिविर घोटाला– कोरोना काल के दौरान बीएमसी पर यह आरोप भी लगा है कि उन्होंने 7 अप्रैल 2020 को रेमडेसिविर के एक वायल को 1568 रुपये में खरीदा, बीएमसी ने इस दौरान 2 लाख वायल खरीदने का ठेका दिया था। जबकि इसी दिन सरकारी हाफकिन इंस्टीट्यूट ने यही दवा 668 प्रति वायल खरीदी थी। इस मामले में भी भारी गड़बड़ी नजर आती है।
3) दहिसर जमीन अधिग्रहण घोटाला– मुंबई के दहिसर इलाके की जमीन को महंगे दाम में खरीदने का आरोप भी बीएमसी पर लगा है। दरअसल बीएमसी ने दहिसर में एक जमीन का हिस्सा निशल्प रियलिटीज ( अल्पेश अजमेरा) से 349 करोड रुपए में खरीदा था। जबकि यह पता चला है कि इसी जमीन को अल्पेश अजमेरा ने मस्कारहन्स फैमिली से महज 2 लख करोड़ पचपन लाख रुपए में खरीदा था। उस दौरान बीएमसी अधिकारियों ने इस जमीन की खरीद पर विरोध जताया था। इस मामले में बिल्डर अदालत गया था और 900 करोड़ रुपये की मांग की थी। यह एक सबसे बड़ा घोटाला है जिसकी कड़ी जांच होना जरूरी है।
4)ऑक्सिजन जेनरेशन प्लांट घोटाला– साल 2021 के जून-जुलाई महीने के दौरान बृहनमुंबई महानगर पालिका में अपने विभिन्न अस्पतालों में ऑक्सिजन सप्लाई के लिए ऑक्सिजन जेनरेशन प्लांट लगाने का ठेका दिया था। द हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी को 16 जून 2021 को अपारदर्शी तरीके से दिया गया था। इस टेंडर को लेकर मंत्री असलम शेख ने भी सवाल उठाए थे। द हाईवे कंस्ट्रक्शन कंपनी ब्लैक लिस्ट थी। ऐसा माना जा रहा है कि इस मामले में भी बड़ा घोटाला किया गया है।
5)कोविड कॉन्ट्रैक्ट में बीएमसी अधिकारियों का समावेश– आरोप है कि श्री मनीष राधाकृष्ण वालेन्जु ने उनके इलाके कुर्ला में जीन हेल्थ डायग्नोस्टिक प्राइवेट लिमिटेड नाम की कंपनी को ठेका दिया था। यह कंपनी उनके पिता राधाकृष्ण वालेन्जु की है। इसी तरह से आरटीपीसीआर कोविड टेस्टिंग कॉन्ट्रैक्ट भी गलत ढंग से दिया गया है। इसकी भी जांच होनी चाहिए।
कांग्रेस ने किया स्वागत
एकनाथ शिंदे द्वारा कैग जांच के आदेश दिए जाने को लेकर बीएमसी में कांग्रेस के नेता रवि राजा ने कहा कि एनबीटी ऑनलाइन से कहा कि सरकार का यह फैसला सकारात्मक और अच्छा है। कोरोना काल में बीएमसी की तरफ से बेहतरीन काम हुआ है। इस काम को करने के लिए बड़े पैमाने पर पैसा खर्च किया गया है। जो आम आदमी के टैक्स का पैसा है। ऐसे में इस पैसे का ऑडिट होना जरूरी है। इसलिए हम सरकार के इस फैसले का स्वागत करते हैं।
हम किसी भी जांच से गुजरने को तैयार
सीएजी जांच के मामले में शिवसेना प्रवक्ता आनंद दुबे ने एनबीटी ऑनलाइन को बताया कि जांच करवाना सरकार का अधिकार है। लेकिन जिस समय पर यह जांच का आदेश दिया गया है। उस पर जरूर सवाल उठाए जाने चाहिए। किसी भी समय बीएमसी के चुनाव घोषित किए जा सकते हैं। ऐसे में उद्धव ठाकरे की शिवसेना को परेशान करने के लिए एकनाथ शिंदे ने यह दांव चला है। कोरोना काल में बीएमसी और उद्धव ठाकरे सरकार की तारीफ डब्ल्यूएचओ, भारत सरकार और सुप्रीम कोर्ट तक ने की थी। जहां तक जांच की बात है तो जब ऐसी कोई आपदा आती है तब बीएमसी टेंडर जारी करने की बजाय इसपर बात ध्यान केंद्रित करती है कि कैसे ज्यादा से ज्यादा लोगों की जान बचाई जा सके। बीएमसी ने इसके लिए पूरी शिद्दत से काम किया था।
बढ़ सकती है उद्धव ठाकरे की मुश्किलें?
महाराष्ट्र सरकार के इस आदेश के बाद माना जा रहा है कि राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की मुश्किलें भी बढ़ सकती हैं। दो दशकों से ज्यादा वक्त से शिवसेना बीएमसी की सत्ता पर काबिज है। कुछ महीनों पहले ईडी ने उद्धव ठाकरे के साले श्रीधर पाटणकर के घर और दफ्तर पर छापेमारी भी की थी। उस समय भी कहा जा रहा था कि ईडी जांच की आंच ठाकरे परिवार तक भी पहुंच सकती है। एकनाथ शिंदे सरकार का यह नया आदेश भी ठाकरे परिवार की मुश्किलें बढ़ा सकता है।
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