इतिहास में विश्व का सबसे छोटा युद्ध किन दो देशो के बीच हुआ था ?

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बहुत की कम लोगो को मालूम होगा की  इतिहास का सबसे छोटा युद्ध सन 1896 में इंग्लैंड और जंजीबार (पूर्वी अफ्रीका में स्थित) के बीच में हुआ था, जो की केवल 38 मिनट तक चला था | हैं न ये मजेदार जानकारी चलिए हम आप को बताते हैं की यह युद्ध कब हुआ तथा कारण क्या था |

तंजानिया और जंजीबार संधि के बाद हुआ यह युद्ध :-

यह युद्ध 27 अगस्त, 1896 को सुबह 9 बजे शुरू हुआ था, जो केवल 38 मिनट तक चला था,  इस युद्ध की नींव उस समय पड़ी, जब जंजीबार को लेकर जर्मनी और ब्रिटेन के बीच साल 1890 में संधि पर हस्ताक्षर हुआ. ब्रिटेन की कोशिश थी कि इस संधि के जरिए वो पूरे पूर्वी अफ्रीका में अपने साम्राज्य का विस्तार कर सके. इसी कारण जंजीबार की सत्ता को ब्रिटेन को सौंपा गई, वहीं समझौते में जर्मनी के हिस्से में तंजानिया के भूभाग आए. ब्रिटेन ने जंजीबार को हमद बिन थुवैनी को देख रेख के लिए दे दिया.

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सुल्तान हमद की मौत के बाद शुरू हुआ युद्ध का सिलसिला :-

ऐसा माना जाता हैं की सुल्तान हमद ने करीबन 3 साल तक इस जगह की देख रेख की लेकिन उसके बाद 25 अगस्त 1896 को सुल्तान हमद की अचानक मौत हो गयी, हलाकि उनके मौत के कारण का पता नहीं चल पाया | लेकिन हमारे इतिहासकारो द्वारा बताया गया की सत्ता के लालच में सुल्तान हमद के भतीजे खालिद बिन बर्घश ने उनको जहर दिया था. जिसके बाद उसने बिना ब्रिटिश सरकार की अनुमति के अपने आप को सुल्तान के रूप में स्थापित कर लिया था जिसको लेकर ब्रिटिश शासन काफी नाराज़ था, और वहां ब्रिटिश सरकार के चीफ डिप्लोमैट बेसिल केव ने खालिद बिन बर्घश को तुरंत सुल्तान की गद्दी छोड़ने का आदेश दिया. खालिद बिन बर्घश ने अंग्रेजों के आदेश को ना मानते हुए महल के चारों तरफ अपनी सेना को तैनात कर दिया।

तैनात सेना के पास लड़ने के लिए वही बंदूकें थीं, जिन्हें ब्रिटिश अधिकारियों ने सुल्तान हमद को भेंट की थी. खालिद बिन बर्घश के 3000 सेना हथियारों के साथ महल को सुरक्षित बनाए हुए थे. ठीक उसी समय ब्रिटेन के दो जंगी समुद्री जहाज एचएसएस फिलोमॉल औऱ एचएसएस रश पर सवार ब्रिटिश सैनिक जंजीबार पहुंचे और उन्होंने तुरंत ब्रिटिश काउंसलेट को अपने कब्जे में ले लिया. चीफ डिप्लोमैट बेसिल केव हालात पर नजर रखे हुए थे, उनके पास युद्ध का ऑर्डर देने का अधिकार नहीं था.

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इसलिए उन्होंने ब्रिटेन के विदेश भाग में तार भेजा कि वो शांतिपूर्वक तरीके से मामले को हल कर रहे हैं लेकिन उन्हें युद्ध ना होने की उम्मीद कम ही नजर आ रही है। उन्होंने ऐसा इसलिए कहा क्योंकि सुल्तान के पद पर कब्जा करने वाला खालिद बिन बर्घश किसी की भी बात सुनने को तैयार नहीं था। इधर बेसिल केव मामले को शांतिपूर्वक हल करने का प्रयास कर रहे थे। वहीं दूसरी तरफ ब्रिटेन के और भी जंगी जहाज जंजीबार में तैनात किए जा रहे थे। इसके कुछ ही समय बाद ब्रिटेन के विदेश विभाग से बेसिल केव को तार से यह संदेश मिला कि सरकार की ओर से उन्हें पूरी छूट दी गई ।

वह अब इस मामले को अपने तरीके से हल कर सकते हैं और वह इस मामले में निर्णय लेने के लिए पूरी तरह से अधिकृत हैं तथा अपने विवेक से युद्ध का निर्णय भी ले सकते हैं। ब्रिटिश सरकार से आदेश मिलने के बाद बेसिल केव ने 26 अगस्त को सुल्तान को अंतिम चेतवनी  दिया गया कि वह अगले दिन सुबह 9 बजे तक शांतिपूर्वक आत्मसमर्पण कर दे। इसके अलावा बेसिल केव ने ब्रिटेन के जंगी जहाजों को युद्ध के लिए तैयार रहने का भी आदेश दे दिया था।

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ब्रिटिश ने मार गिराए थे करीबन 3 हज़ार सैनिक :-

जिसके बाद ब्रटिशरस ने करीबन सुबह 9 बजे सुल्तान की गुफा को चारो तरफ से घेर लिया और उसके बाद वाह बमबारी शुरू कर दी और सुबह  के 9:02 तक सुल्तान की सारी तोपों ब्रिटिश द्वारा तबाह कर दिया गया था जिसके कारण सुल्तान के 3000 सैनिक मार गिराए गए थे और कहा जाता है की सुल्तान बीच में ही लडाई छोड़ कर भाग गया था और जिसके बाद 38 मिनट की लडाई के बाद करीबन सुबह के 9:40 तक सुल्तान के किले का झंडा नीचे कर दिया गया था और इस प्रकार यह कहलाया गया था दुनिया का अब तक का सबसे छोटा युद्ध |