Dinesh Khatik: दिनेश खटीक का ‘इस्तीफा’, चर्चा में द्रौपदी का श्राप और हस्तिनापुर का अभिशाप…पढ़ें पूरी कहानी

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Dinesh Khatik: दिनेश खटीक का ‘इस्तीफा’, चर्चा में द्रौपदी का श्राप और हस्तिनापुर का अभिशाप…पढ़ें पूरी कहानी

Dinesh Khatik: दिनेश खटीक का ‘इस्तीफा’, चर्चा में द्रौपदी का श्राप और हस्तिनापुर का अभिशाप…पढ़ें पूरी कहानी

लखनऊ: योगी सरकार में यूपी के राज्यमंत्री दिनेश खटीक (Dinesh Khatik) लगातार नाराज चल रहे थे। बुधवार को उन्होंने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। दिनेश खटीक ने अपना इस्तीफा अमित शाह के नाम पर भेजा। कहा जा रहा है कि वह अपनी नाराजगी हाई कमान से जाहिर करने के लिए दिल्ली भी पहुंचे हैं। मंगलवार को वह योगी मंत्रिमंडल की बैठक में भी दिनेश खटीक शामिल नहीं हुए थे। दिनेश खटीक के इस्तीफे का बाद एक बार फिर हस्तिनापुर पर द्रौपदी के श्राप को लेकर चर्चा शुरू हो गई है। हालांकि अभी सरकार ने दिनेश खटीक के इस्तीफे की पुष्टि नहीं की है लेकिन उनके इस्तीफा सामने आ गया है।

जीत के बाद जब दिनेश खटीक को उत्तर प्रदेश में राज्यमंत्री बनाया गया तो उन्होंने एक इंटरव्यू में कहा कि वह हस्तिनापुर के श्राप को खत्म करेंगे। हस्तिनापुर का विकास होगा। उन्होंने कहा था, ‘हस्तिनापुर में द्रौपदी के श्राप के प्रभाव के बारे में मैंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को भी बताया। उनसे आश्वासन मिला कि महाभारत कालीन ऐतिहासिक नगरी को एक बार फिर विकसित किया जाएगा।’

द्रौपदी का श्राप बनता है चुनावी मुद्दा
हस्तिनापुर उत्तर प्रदेश के दोआब क्षेत्र में स्थित एक शहर है। यह मेरठ जिले का हिस्सा है। मेरठ शहर हस्तिनापुर से 37 किलोमीटर दूर है जबकि देश की राजधानी दिल्ली से 110 किमी पर बसा है। यह इलाका एक पर्यटन स्थल भी है, इस सब के बावजूद इस इलाके का आज तक विकास नहीं हो पाया। यहां से चुनाव लड़ने वाले द्रौपदी के श्राप से मुक्ति दिलाने का वादा करते हैं।

अर्चना गौतम की हार पर फिर हुई थी महिलाओं के अपमान की चर्चा
इस चुनाव में मिस बिकनी इंडिया रह चुकीं अभिनेत्री अर्चना गौतम कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ी थीं। उन्होंने हस्तिनापुर विधानसभा सीट से चुनाव लड़ने के दौरान वादा किया था कि अगर वह चुनाव जीतेंगी तो हस्तिनापुर को द्रौपदी के श्राप से मुक्त कराएंगी। उनके हारने के बाद फिर द्रौपदी के श्राप की चर्चा हुई कि हस्तिनापुर आज भी महिलाओं का सम्मान नहीं करता इसलिए श्राप से मुक्त नहीं होगा। दिनेश खटीक ने जीत के बाद दावा किया कि वह हस्तिनापुर के श्राप से मुक्त कराएंगे।

हस्तिनापुर में कुछ भी अच्छा होते-होते रह जाता है!

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को 2020 अप्रैल में हस्तिनापुर से पौधरोपण कार्यक्रम की शुरूआत करनी थी। तैयारियां पूरी कर ली गईं लेकिन मुख्यमंत्री का कार्यक्रम स्थगित हो गया। लोगों ने कहा हस्तिनापुर आज भी द्रौपदी के श्राप से मुक्त नहीं पाया है। इससे पहले भी गंगा यात्रा में भी योगी आदित्यनाथ के हस्तिनापुर आने की तैयारियां थीं लेकिन वह भी कैंसल हो गया फिर द्रौपदी का श्राप चर्चा में आ गया।

जो विधायक बनता है उसकी ही पार्टी की बनती है सत्ता
हस्तिनापुर विधानसभा का एक संयोग है कि जिस पार्टी का विधायक इस सीट से जीतता है उसकी ही सरकार प्रदेश में बनती है। 2012 में बीएसपी से योगेश शर्मा विधायक बने और प्रदेश में सरकार बीएसपी की बनी। मुख्यमंत्री मायावती ने योगेश वर्मा का टिकट काटा तो वह पीस पार्टी से चुनाव लड़े और बीएसपी ने सत्ता गंवा दी। 1974 में इस सीट पर रेवती शरण मौर्य विधायक रहे। 3 साल बाद हुए चुनाव में रेवती शरण मौर्य ने पार्टी बदल दी और जनता पार्टी से दूसरी बार विधायक बने। दोनों बार प्रदेश में उनकी पार्टी की सरकार बनी। सत्ता बनाने वाली यह विधानसभा हमेशा विकास की मोहताज रही।

द्रौपदी ने हस्तिनापुर को क्या श्राप दिया था?
पुराणों के अनुसार महाभारत काल में हस्तिनापुर पांडवों की राजधानी हुआ करती थी। इसी जगह पांडवों के सबसे बड़े भाई युधिष्ठिर ने कौरवों के साथ जुए में द्रौपदी को हारा था और कौरवों ने द्रौपदी का चीरहरण किया था। यह वही समय था जब द्रौपदी ने हस्तिनापुर को श्राप दिया और कहा कि जिस जगह नारी का सम्मान नहीं होता, उस जमीन पर कोई विकास नहीं होता। वह जमीन पिछड़ जाती है। कहा जाता है कि द्रौपदी का यह श्राप आज भी असरदार है हस्तिनापुर आज भी विकास से वंचित है।

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