Delhi Weather Update: प्री मॉनसून सीजन में राजधानी से दूर हुई बारिश, इसलिए गर्मी इतनी ज्यादा
विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः प्री मॉनसून सीजन में राजधानी से इस बार बारिश दूर रही है। एक अप्रैल से 30 जून तक प्री मॉनसून सीजन रहता है। इस दौरान राजधानी में औसत 113.3 एमएम बारिश होती है। हालांकि इसमें से सबसे अधिक बारिश जून में होती है। मार्च और अप्रैल में राजधानी में औसत 28.1 एमएम बारिश हुई है। लेकिन इस अनुपात में भी अब तक बारिश 83 प्रतिशत कम हुई है। बारिश की इसी कमी की वजह से राजधानी इस बार इतनी अधिक गर्म हो रही है।
गौर करें तो पिछले साल भी मार्च और अप्रैल में बारिश राजधानी से दूर ही रही थी। इन दो महीनों के दौरान महज 6.6 एमएम बारिश हुई थी। आईएमडी के अनुसार, इस साल मार्च में बारिश हुई ही नहीं। जबकि अप्रैल में भी यह सामान्य से 98 प्रतिशत तक अब तक कम हुई है। मार्च और अप्रैल 2022 को मिला दें तो महज 0.3 एमएम बारिश राजधानी में हुई है।
गौरतलब है कि इस बार बारिश की शुरुआत अच्छी हुई थी। जनवरी और फरवरी दोनों महीनों में सामान्य से अधिक बारिश हुई थी। जनवरी में सामान्य से 306 प्रतिशत अधिक तो फरवरी में 65 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी। लेकिन इसके बाद मार्च में ही वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की कमी की वजह से बारिश एकदम से रूक गई। मौसम पूरी तरह शुष्क हो गया।
एक्सपर्ट के अनुसार, बारिश की वजह वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की कमी तो रही ही है। साथ ही, शहरीकरण भी इसकी एक वजह है। यदि राजधानी के जिलों के हिसाब से बात करें तो ईस्ट दिल्ली और वेस्ट दिल्ली में सबसे कम बारिश हुई है। यहां सामान्य से 97 प्रतिशत कम बारिश हुई है। स्काईमेट के अनुसार, इस बार मौसम रेकॉर्ड स्तर तक शुष्क रहा है। मार्च में ऐसा शुष्क मौसम बहुत ही कम देखने को मिलता है। इसकी वजह राजस्थान के ऊपर बना एंटी साइक्लोन सिस्टम रहा। इस सिस्टम ने नमी को सोख लिया। वहीं, दूसरी तरफ वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के अभाव में पाकिस्तान से गर्म हवाएं लगातार आती रहीं। अप्रैल में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस तो आए लेकिन यह इतने कमजोर रहे कि राजधानी को ठंडा नहीं कर सके। स्काईमेट के अनुसार, मई के बचे हुए दिनों में दो वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर दिख सकता है। लेकिन यह सिस्टम भी कमजोर होंगे। इनसे बहुत अधिक राहत की संभावना नहीं है। यहां आंधी या बूंदाबांदी जैसी गतिविधियां करवा सकते हैं।
प्री मॉनसून सीजन (एक मार्च से 16 मई) तक बारिश का रेकॉर्ड
जिला
कितनी बारिश हुई
सामान्य बारिश
कितनी कम
सेंट्रल दिल्ली
14.8 एमएम
33.6 एमएम
56 प्रतिशत
ईस्ट दिल्ली
1.0 एमएम
33.6 एमएम
97 प्रतिशत
नई दिल्ली
8.5 एमएम
56.7 एमएम
85 प्रतिशत
नॉर्थ दिल्ली
9.6 एमएम
26.4 एमएम
64 प्रतिशत
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली
2.5 एमएम
33.6 एमएम
93 प्रतिशत
नॉर्थ वेस्ट दिल्ली
10.9 एमएम
36.0 एमएम
70 प्रतिशत
साउथ दिल्ली
7.0 एमएम
33.6 एमएम
79 प्रतिशत
साउथ वेस्ट दिल्ली
1.9 एमएम
37.7 एमएम
95 प्रतिशत
वेस्ट दिल्ली
1.0 एमएम
35.5 एमएम
97 प्रतिशत
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गौरतलब है कि इस बार बारिश की शुरुआत अच्छी हुई थी। जनवरी और फरवरी दोनों महीनों में सामान्य से अधिक बारिश हुई थी। जनवरी में सामान्य से 306 प्रतिशत अधिक तो फरवरी में 65 प्रतिशत अधिक बारिश हुई थी। लेकिन इसके बाद मार्च में ही वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की कमी की वजह से बारिश एकदम से रूक गई। मौसम पूरी तरह शुष्क हो गया।
एक्सपर्ट के अनुसार, बारिश की वजह वेस्टर्न डिस्टर्बेंस की कमी तो रही ही है। साथ ही, शहरीकरण भी इसकी एक वजह है। यदि राजधानी के जिलों के हिसाब से बात करें तो ईस्ट दिल्ली और वेस्ट दिल्ली में सबसे कम बारिश हुई है। यहां सामान्य से 97 प्रतिशत कम बारिश हुई है। स्काईमेट के अनुसार, इस बार मौसम रेकॉर्ड स्तर तक शुष्क रहा है। मार्च में ऐसा शुष्क मौसम बहुत ही कम देखने को मिलता है। इसकी वजह राजस्थान के ऊपर बना एंटी साइक्लोन सिस्टम रहा। इस सिस्टम ने नमी को सोख लिया। वहीं, दूसरी तरफ वेस्टर्न डिस्टर्बेंस के अभाव में पाकिस्तान से गर्म हवाएं लगातार आती रहीं। अप्रैल में वेस्टर्न डिस्टर्बेंस तो आए लेकिन यह इतने कमजोर रहे कि राजधानी को ठंडा नहीं कर सके। स्काईमेट के अनुसार, मई के बचे हुए दिनों में दो वेस्टर्न डिस्टर्बेंस का असर दिख सकता है। लेकिन यह सिस्टम भी कमजोर होंगे। इनसे बहुत अधिक राहत की संभावना नहीं है। यहां आंधी या बूंदाबांदी जैसी गतिविधियां करवा सकते हैं।
प्री मॉनसून सीजन (एक मार्च से 16 मई) तक बारिश का रेकॉर्ड
जिला | कितनी बारिश हुई | सामान्य बारिश | कितनी कम |
सेंट्रल दिल्ली | 14.8 एमएम | 33.6 एमएम | 56 प्रतिशत |
ईस्ट दिल्ली | 1.0 एमएम | 33.6 एमएम | 97 प्रतिशत |
नई दिल्ली | 8.5 एमएम | 56.7 एमएम | 85 प्रतिशत |
नॉर्थ दिल्ली | 9.6 एमएम | 26.4 एमएम | 64 प्रतिशत |
नॉर्थ ईस्ट दिल्ली | 2.5 एमएम | 33.6 एमएम | 93 प्रतिशत |
नॉर्थ वेस्ट दिल्ली | 10.9 एमएम | 36.0 एमएम | 70 प्रतिशत |
साउथ दिल्ली | 7.0 एमएम | 33.6 एमएम | 79 प्रतिशत |
साउथ वेस्ट दिल्ली | 1.9 एमएम | 37.7 एमएम | 95 प्रतिशत |
वेस्ट दिल्ली | 1.0 एमएम | 35.5 एमएम | 97 प्रतिशत |