Delhi Signature Bridge: क्राइम रोकने के साथ-साथ सिग्नेचर ब्रिज से यमुना में कूदने वालों को बचा रही है दिल्ली पुलिस, एक साल में बचाईं इतनी जानें

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Delhi Signature Bridge: क्राइम रोकने के साथ-साथ सिग्नेचर ब्रिज से यमुना में कूदने वालों को बचा रही है दिल्ली पुलिस, एक साल में बचाईं इतनी जानें

Delhi Signature Bridge: क्राइम रोकने के साथ-साथ सिग्नेचर ब्रिज से यमुना में कूदने वालों को बचा रही है दिल्ली पुलिस, एक साल में बचाईं इतनी जानें

नई दिल्ली: सिग्नेचर ब्रिज पर पुलिस की तैनाती लूट और झपटमारी रोकने के लिए की गई थी, लेकिन जब देखा कि लोग यहां से यमुना में कूदकर आत्महत्या करने लगे हैं, तो पुलिस ने यहां पर लोगों की जिंदगी बचाने का काम शुरू किया। क्योंकि, धन-दौलत गई तो फिर भी मेहनत करके कभी ना कभी कमाई जा सकती है, लेकिन जिंदगी ही चली गई तो क्या होगा। यह कहना है तिमारपुर थाने के एसएचओ त्रिभुवन नेगी का। जो अपनी टीम के साथ मिलकर सिग्नेचर ब्रिज और ओल्ड वजीराबाद ब्रिज से यमुना में कूदकर आत्महत्या करने की कोशिश करने वालों की जिंदगी बचाने का नेक काम कर रहे हैं।

​यमुना में कूदकर जान देने वालों को बचाया

नॉर्थ दिल्ली के डीसीपी सागर सिंह कलसी के मार्गदर्शन में किए जा रहे इस काम में तिमारपुर थाना पुलिस सिग्नेचर ब्रिज पर ऐसे जवानों को तैनात करती है, जो ना केवल चोर-उचक्कों की धर-पकड़ तो करें हीं, बल्कि जरूरत पड़ने पर यमुना में कूदकर लोगों की जान बचाने का जज्बा भी रखते हों। एसएचओ त्रिभुवन द्वारा शुरू की गई इस मुहिम में पुलिस को बड़ी अच्छी कामयाबी मिल रही है। करीब एक साल में ही दिल्ली पुलिस प्राइवेट गोताखोरों के साथ मिलकर 30 से अधिक लोगों की जिंदगी बचा चुकी है। इनमें 15 से अधिक लोग तो ऐसे थे, जो यमुना में कूद गए थे या फिर कूदने को तैयार में थे। जिन्हें ऐन वक्त पर पुलिस के जवानों ने देखा और उनकी जिंदगी बचाई।

​डूबते लोगों को बचा रहे हैं दिल्ली पुलिस के जवान

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एसएचओ त्रिभुवन नेगी दिल्ली पुलिस में बतौर सब-इंस्पेक्टर 1997 में भर्ती हुए थे। वह मूलरूप से उत्तराखंड में पौड़ी गढ़वाल जिले के कोटद्वार इलाके के रहने वाले हैं। इससे पहले वह नई दिल्ली रेलवे स्टेशन और आईजीआई एयरपोर्ट समेत अन्य थानों और यूनिट में भी रह चुके हैं। उनका साथ यहां ब्रिज के आसपास रहने वाली गोताखोर अब्दुल सत्तार और इनकी टीम भी देती है। जो एक कॉल मिलते ही तुरंत डूबते लोगों को बचाने में जुट जाती है। एसएचओ नेगी की टीम में थाने से एएसआई राजकुमार, हवलदार मनोज और रविंद्र भी अपनी पूरी लगन से लोगों की जिंदगी बचाने में डटे रहते हैं।

​अलग से एक डेडिकेटेड टीम बनाने की तैयारी

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वैसे तो सिग्नेचर ब्रिज पर 24×7 पुलिस के दो जवान तैनात रहते हैं, लेकिन अब थाना पुलिस कोशिश कर रही है कि इसके लिए अलग से ही एक डेडिकेटेड पुलिस टीम बना दी जाए। जिसमें गोताखोर भी हों। जिनके पास जरूरत का सारा साजो-सामान हो। इसके अलावा और भी कई तरीके से पुलिस लोगों की जिंदगी बचाने पर काम कर रही है। हालांकि, कई बार पुलिस की नजर से बचकर कुछ लोग यमुना में कूद जाते हैं, लेकिन फिर भी पुलिस की पूरी कोशिश रहती है कि वह किसी भी सूरत में यमुना में किसी भी शख्स को स्यूसाइड करने से रोक सके। कुछ मामलों में ऐसे लोगों को भी बचाया गया है, जिन्होंने स्यूसाइड करने की बात सोशल मीडिया में शेयर की। देश-विदेश से भी जानकारी मिलने पर पुलिस यहां लोगों की जिंदगी बचाने का काम कर रही है।

​फेंसिंग बनाने से होगा फायदा

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अगर सिग्नेचर ब्रिज पर भी कश्मीरी गेट, आईटीओ और गीता कॉलोनी ब्रिज की तरह ही उंची-उंची लोहे की फेंसिंग लगा दी जाए, तो इससे भी काफी हद तक लोगों को यमुना में कूदने से बचाया जा सकता है। इसके डबल फायदे होंगे। एक तो लोग बेकार की चीजें यमुना में नहीं फेंक पाएंगे, दूसरे स्यूसाइड करने यहां आने वाले लोगों को भी यमुना में कूदने से बचाया जा सकेगा। इस मामले में दिल्ली सरकार और संबंधित अधिकारी गौर करें, तो लोगों की जिंदगी बचाने के इस सबसे बड़े काम में काफी मदद मिल सकती है।

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