Delhi School Cabs: कैब वालों की रोजी-रोटी, स्कूलों की दिक्कत और रिस्क लेकर बच्चों को प्राइवेट कैब में भेजने की पैरेंट्स की क्या है मजबूरी… स्कूल कैब्स पर स्पेशल रिपोर्ट

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Delhi School Cabs: कैब वालों की रोजी-रोटी, स्कूलों की दिक्कत और रिस्क लेकर बच्चों को प्राइवेट कैब में भेजने की पैरेंट्स की क्या है मजबूरी… स्कूल कैब्स पर स्पेशल रिपोर्ट

Delhi School Cabs: कैब वालों की रोजी-रोटी, स्कूलों की दिक्कत और रिस्क लेकर बच्चों को प्राइवेट कैब में भेजने की पैरेंट्स की क्या है मजबूरी… स्कूल कैब्स पर स्पेशल रिपोर्ट

नई दिल्ली: स्कूली बच्चों को लाने ले जाने के लिए स्कूल कैब के रूप में इस्तेमाल हो रहीं प्राइवेट गाड़ियों के खिलाफ दिल्ली सरकार के परिवहन विभाग की कार्रवाई जारी रहेगी। गर्मियों की छुट्टियां खत्म होने के बाद से शुरू हुई इस कार्रवाई के तहत अब तक 300 से ज्यादा गाड़ियों को जब्त किया जा चुका है और इनके भारी भरकम चालान काटे गए हैं। इस कार्रवाई के खिलाफ कैब संचालकों की एक प्रमुख यूनियन स्कूल ट्रांसपोर्ट एकता यूनियन ने 1 अगस्त को सांकेतिक हड़ताल करने की घोषणा की है। वहीं, परिवहन विभाग के अधिकारियों ने साफ कर दिया है कि वे किसी प्रकार के दबाव में नहीं आएंगे और अनधिकृत तरीके से चलाई जा रहीं इन कैब्स के खिलाफ कार्रवाई जारी रखेंगे।

​जारी रहेगी कार्रवाई

इस पूरे अभियान की अगुवाई कर रहे ट्रांसपोर्ट विभाग के जॉइंट कमिश्नर और स्टेट ट्रांसपोर्ट अथॉरिटी के सचिव नवलेंद्र कुमार सिंह ने एनबीटी से बातचीत में कहा कि जो गाड़ियां स्कूल कैब के रूप में रजिस्टर्ड हैं, उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। जिन प्राइवेट गाड़ियों के खिलाफ कार्रवाई हो रही है, वो असल में स्कूल कैब हैं ही नहीं। क्योंकि इनमें स्कूल कैब के लिए बनाए गए किसी भी नियम का पालन नहीं हो रहा है। इसलिए यह कहना गलत और भ्रामक है कि स्कूल कैब्स के खिलाफ एक्शन हो रहा है। प्राइवेट गाड़ियों का अवैध तरीके से कमर्शल इस्तेमाल कर अपने फायदे के लिए छोटे बच्चों की सेफ्टी को खतरे में डालकर जो लोग गाड़ियां चला रहे हैं, केवल उन्हीं के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। ये लोग दो-दो तीन-तीन शिफ्टों में गाड़ियां चलाते हैं। इस चक्कर में ओवर स्पीडिंग और ओवर लोडिंग भी करते हैं। छोटी-छोटी गाड़ियों में 12-12 तक बच्चों को बैठाते हैं। इन गाड़ियों में न तो स्पीड गर्वनर लगा है और ना सेफ्टी का इंतजाम है। हम इसकी बिल्कुल इजाजत नहीं देंगे। हम किसी दबाव में आकर अपनी कार्रवाई रोकेंगे नहीं।

​चेकिंग कर रही टीम की गाड़ी पर हमला

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इस बीच शुक्रवार सुबह मयूर विहार में स्कूलों के पास चेकिंग के लिए लगाई गई ट्रांसपोर्ट विभाग की एनफोर्समेंट टीम की एक गाड़ी पर हमला किया गया। जॉइंट कमिश्नर नवलेंद्र कुमार सिंह के मुताबिक, दो बाइक सवारों ने लोहे की रॉड या कोई भारी भरकम डंडा मारकर गाड़ी का शीशा तोड़ दिया और फरार हो गए। उन्होंने अपनी बाइक की नंबर प्लेट भी मोड़ रखी थी। शक है कि इसके पीछे वही लोग हैं, जिनके खिलाफ कार्रवाई हो रही है। हमें रोकने के लिए अब वो इस तरह की हरकतों पर उतर आए हैं। हमने इस बारे में पुलिस में शिकायत देकर एफआईआर दर्ज कराई है, मगर इससे कोई फर्क नहीं पड़ने वाला हैं। हमारी कार्रवाई तब तक जारी रहेगी, जब तक कि प्राइवेट कैब चालक स्कूल कैब के नियमों के दायरे में आकर गाड़ी नहीं चलाएंगे।

​स्कीम लाने पर चल रहा है विचार

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कैब संचालकों की मांग है कि सरकार प्राइवेट गाड़ियों को स्कूल कैब के रूप में तब्दील करने की स्कीम लेकर आए, जिससे वे लोग भी अधिकृत तरीके से अपनी गाड़ियां चला सकें। इस बारे में ट्रांसपोर्ट विभाग के अधिकारियों ने बताया कि सरकार इस संबंध में नई स्कीम लाने पर विचार कर रही है। इससे जुड़ी फाइल सरकार के पास भेजी जा चुकी है। जल्द ही उस पर कोई फैसला होने की उम्मीद है। अधिकारियों का कहना है कि हम नहीं चाहते कि बच्चों की सुरक्षा को ताक पर रखकर गाड़ियां चलाईं जाएं। पॉलिसी लागू होने के बाद अगर प्राइवेट गाड़ियों को नियमों के दायरे में लाकर चलाया जाए, तो उसमें हमें कोई दिक्कत नहीं होगी। स्कूलों के प्रिंसिपल्स से भी अपील है कि वे पैरेंट्स को समझाएं कि वे इस तरह की प्राइवेट कैब्स में अपने बच्चों को स्कूल न भेजें। केवल अधिकृत स्कूल कैब्स ही हायर करें।

​प्राइवेट कैब को स्कूल कैब में बदलवाने का खर्च

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  • रजिस्ट्रेशन फीस- 300 रुपये (वन टाइम)
  • रोड टैक्स- मोटर कैब के लिए 1130 रुपये और मैक्सी कैब के लिए 1915 रुपये (सालाना)
  • फिटनेस फीस- 300 रुपये (सालाना)
  • परमिट फीस- मोटर कैब के लिए 1500 रुपये और मैक्सी कैब के लिए 2000 रुपये (5 साल के लिए)
  • पार्किंग फीस- मोटर कैब के लिए 1500 रुपये और मैक्सी कैब के लिए 2500 रुपये (सालाना)

​क्या है पैरेंट्स की परेशानी

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हड़ताल होगी और कैब्स पर कार्रवाई कब तक जारी रहेगी। बच्चों को स्कूल छोड़ने और लाने के लिए क्या व्यवस्था करनी होगी, ऐसे बहुत से सवालों से पैरेंट्स परेशान हैं क्योंकि सोमवार को हड़ताल पर जाने की कैब वालों ने घोषणा की है। पैरेंट्स का कहना है कि स्कूलों के पास सभी बच्चों को देने के लिए ट्रांसपोर्ट नहीं है, उनके पास गाड़ियां कम हैं और इसलिए प्राइवेट कैब्स के भरोसे हमें बच्चों को स्कूल भेजना पड़ता है। दूसरा, ट्रांसपोर्ट है भी तो उसके पिकअप और ड्रॉप पॉइंट दूर हैं। वहां तक बच्चों को लाना-ले जाना मुश्किल होता है। ऐसे में बच्चों की सुरक्षा को ताक पर रखकर प्राइवेट कैब्स में स्कूल भेजना पड़ता है।

​स्कूल ट्रांसपोर्ट का सेफ्टी ऑडिट होगा, शिक्षा निदेशालय का आदेश

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स्कूली बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए दिल्ली सरकार के शिक्षा निदेशालय ने स्कूल ट्रांसपोर्ट का सुरक्षा ऑडिट कराने का निर्देश जारी किया है। यह निर्देश सभी सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त व अन्य मान्यता प्राप्त प्राइवेट स्कूलों पर लागू होगा। सभी जिलों के डिप्टी डायरेक्टर (एजुकेशन) को निर्देश दिया गया है कि वे अपने-अपने जिलों में इस आदेश के तहत पहले से तय नियमों और दिशा-निर्देशों की चेकलिस्ट के अनुरूप स्कूल ट्रांसपोर्ट का सेफ्टी ऑडिट करवाएं और एक कंप्लायंस रिपोर्ट तैयार करके विभाग को भेजें। इस संबंध में 27 जुलाई को जारी किए गए सर्कुलर में राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसआर) के द्वारा 25 अप्रैल 2022 को भेजे गए पत्रों का हवाला देते बताया गया है कि आयोग ने ही यह सेफ्टी ऑडिट कराने का निर्देश दिया है। एनसीपीसीआर ने इस बात पर गौर किया था कि कोविड की वजह से लंबे समय तक बंद रहने के बाद जबसे स्कूल खुले हैं, तबसे स्कूल ट्रांसपोर्ट में बच्चों की सेफ्टी और सिक्योरिटी को नजरअंदाज किया जा रहा है और इस पर स्कूलों का फोकस कम हो गया है।

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