Delhi News: आप का आरोप – एमसीडी में 6000 करोड़ रुपये का घोटाला, मनीष सिसोदिया ने लिखी उपराज्यपाल को चिट्ठी

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Delhi News: आप का आरोप – एमसीडी में 6000 करोड़ रुपये का घोटाला, मनीष सिसोदिया ने लिखी उपराज्यपाल को चिट्ठी

Delhi News: आप का आरोप – एमसीडी में 6000 करोड़ रुपये का घोटाला, मनीष सिसोदिया ने लिखी उपराज्यपाल को चिट्ठी

नई दिल्ली: डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने बुधवार को उप-राज्यपाल वी.के. सक्सेना को एक पत्र लिखकर एमसीडी में टोल टैक्स घोटाले के आरोपों की सीबीआई से जांच कराने की मांग की है। उनका आरोप है कि बीजेपी के नेताओं की मिलीभगत से हुए इस कथित भ्रष्टाचार के कारण एमसीडी को 6000 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। उन्होंने इस मामले में शामिल एमसीडी के अधिकारियों, कर्मचारियों और इस सांठगांठ में शामिल बीजेपी नेताओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई किए जाने और निगम को हुए नुकसान की भरपाई करवाने की मांग भी की है।

पत्र में सिसोदिया ने लिखा है कि यूपी और हरियाणा से दिल्ली में प्रवेश करने वाले कमर्शल गाड़ियों से एमसीडी 100 रुपये से लेकर 1200 रुपये प्रति गाड़ी के हिसाब से टोल टैक्स वसूलती है। एमसीडी ने 2017 में जिस कंपनी को टोल वसूलने का ठेका दिया था, उसे हर साल निगम को 1200 करोड़ रुपये देने थे। आरोप है कि कंपनी ने पहले साल तो निगम को पूरा पैसा दिया, लेकिन उसके बाद निगम के नेतृत्व से मिलीभगत करके एमसीडी को पैसा देना लगभग बंद कर दिया। कभी 20 तो कभी 30 पर्सेंट पैसा ही एमसीडी को दिया। आरोप है कि बाकी का सारा पैसा एमसीडी के नेतृत्व के साथ मिलकर कंपनी खुद हड़प कर गई। ऐसे में टेंडर की शर्तों के अनुसार पैसा ना मिलने की स्थिति में निगम को टेंडर तुरंत कैंसल करके कंपनी को ब्लैक लिस्ट कर देना चाहिए था और नए सिरे से टेंडर करके किसी और कंपनी को काम सौंपना चाहिए था, लेकिन एमसीडी ने 4 साल तक कुछ नहीं किया।

सिसोदिया के मुताबिक, हजारों करोड़ों का गबन होने के बाद एमसीडी ने 2021 में नया टेंडर किया, लेकिन पुरानी कंपनी के डायरेक्टरों की ही एक दूसरी कंपनी को 786 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष की दर पर टेंडर दे दिया। यानी 1200 करोड़ का टेंडर दूसरी बार में केवल 786 करोड़ में दे दिया गया। सिसोदिया ने लिखा कि यह जांच का विषय है कि जिस टेंडर से आने वाले सालों में नगर निगम को और ज्यादा पैसा मिलना चाहिए था, वह इतने कम दाम पर किसके दबाव में और किसको फायदा पहुंचाने के लिए दिया गया? इतना ही नहीं, आगे कोरोना काल में हुए नुकसान के नाम पर इस कंपनी को 83 करोड़ की छूट और दे दी गई। उस पर से अब पता चला है यह कंपनी इतने कम दाम में टेंडर लेने के बावजूद अभी भी निगम को टैक्स का पूरा पैसा नहीं दे रही है। सिसोदिया ने दावा किया कि एमसीडी के कुछ अधिकारियों ने इस कंपनी को टेंडर दिए जाने और उसे इतनी छूट दिए जाने के फैसले पर लगातार आपत्ति भी की, लेकिन इसके बावजूद कंपनी को लगातार अनुचित फायदा पहुंचाया जा रहा है।

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