Delhi-NCR में असली दूध पी रहे हैं या नकली, मशीन भी पकड़ पाने में नाकाम

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अभिषेक राज, मेवात/नई दिल्ली: दिल्ली-एनसीआर भैंस का जो दूध सप्लाई हो रहा है, बहुत हद तक मुमकिन है कि वो नकली दूध हो. खास बात ये है कि आप उस दूध की कितनी भी टेस्टिंग करा लीजिए, किसी भी लैब में दिखा लीजिए. उस दूध को फेल नहीं कर पाएंगे. ऐसे में आप भरोसा करके उस दूध का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो पूरी तरह से नकली है. जी हां, ज़ी मीडिया ने मेवात इलाके के नूह जिले में ऐसे स्टिंग ऑपरेशन को अंजाम दिया है, जिसने नकली और असली दूध के खेल को पूरी तरह से एक्सपोज कर दिया है. 

नकली दूध का शैतानी खेल

दिल्ली से 100 किलोमीटर दूर हरियाणा का मेवात इलाका नकली दूध बनाने का नया हॉटस्पॉट बन चुका है. ऐसे में ज़ी मीडिया की टीम ने नूह जिले के पुनहना गांव में इस सबसे बड़े स्टिंग को अंजाम दिया. यहां से नकली दूध बनाने वाले लोग दिल्ली, फरीदाबाद, गुड़गांव (गुरुग्राम) तक इस दूध को सप्लाई करते हैं. खास बात ये है कि ये सारा काम सिर्फ एक पाउडर का है, जिसकी एक किलो मात्रा 10 किलो पानी में मिलाई जाती है और इससे तैयार हो जाता है असली से भी बेहतर नकली दूध. कुछ समय पहले तक मिलावटखोर दूध में डिटर्जेंट, स्टार्च, यूरिया और रिफाइन ऑयल मिलाकर नकली दूध तैयार करते थे, लेकिन नूह जिले के पुनहना गांव में केमिकल से दूध बनाया जाता है, जिसकी पूरी प्रक्रिया ज़ी मीडिया की टीम ने कैमरे में कैद किया. इस दूध को बनाने वालों का दावा है कि इस दूध को लैब में भी नहीं पकड़ा जा सकता है. उनका कहना है कि इस दूध से पनीर-चाय-मिठाई सबकुछ बनता है. इसके स्वाद में कोई फर्क नहीं है. और न ही इसके रंग रूप में. इसकी लागत भी कम आती है और संगठिन गिरोह इतना शातिर है कि सिर्फ गिने चुने लोगों को ही ये केमिकल उपलब्ध कराता है. मिलावट खोरों ने इस बात को जोर देकर दोहराया कि इस दूध को कोई लैब फेल नहीं कर सकती. 

एक साल से इस्तेमाल कर रहे हैं नया फॉर्मूला

इस खेल में शामिल दूधिया ने ऑन कैमरा इस बात को स्वीकार किया कि वो लोग नकली दूध बना रहे हैं. दूधिया ने कहा कि पहले जो दूध बनाया जाता था, वो लैब में पकड़ा जाता था. लेकिन जो नया फॉर्मूला आया है, वो पकड़ा नहीं जा सकता. दूधिया ने ऑन कैमरा नकली दूध बनाकर भी दिखाया और बताया कि स्पेशल पाउडर के साथ उसने दूध में चूना, तेल भी मिलाया है. और ये दूध टैंकरों में भरकर दिल्ली-एनसीआर में सप्लाई हो रहा है. उसने कहा कि किसी भी प्रयोगशाला में इस नकली दूध का टेस्ट करा सकते हैं. ये दूध भैंस के असली दूध से किसी भी मामले में कम नहीं होगा. ऐसे में ज़ी मीडिया ने इस दूध की टेस्टिंग भी कराई. 

बेहद हैरान करने वाला खुलासा

ज़ी मीडिया की टीम मेवात से असली और नकली दूध का सैंपल लेकर हम गाजियाबाद के राजेंद्र नगर स्थित Hydel Laboratories पहुंची. ISO प्रमाणित इस प्रयोगशाला में हमने भैंस के असली दूध और पानी-लिक्विड वाले फॉर्मूले और पाउडर से मिले नकली दूध के सैंपल जमा कर दिए. 4 दिन बाद इसकी रिपोर्ट हमें मिली. दूध की रिपोर्ट को इस प्रयोगशाला के सीनियर लैब टैक्नीशियन गणेश प्रसाद जायसवाल ने पढ़कर बताया. उन्होंने बताया कि लेबोरेटरी की जांच में नकली दूध… असली दूध से भी बेहतर साबित हुआ है. क्योंकि भैंस के असली दूध में फैट की मात्रा 11.32 है, जबकि नकली दूध में फैट की मात्रा 6.71 है. जो फैट की संतुलित मात्रा 7.8 के करीब है. भैंस के असली दूध में प्रोटीन की मात्रा 3.7 है जबकि नकली दूध में प्रोटीन की मात्रा 3.25 है. भैंस के असली दूध में कुल सॉलिड्स की मात्रा 22.09 है, जबकि नकली दूध में कुल सॉलिड्स की मात्रा 16.20 है. जबकि संतुलित मात्रा 11 से 13 तक होनी चाहिए. 

अब क्या कदम उठाएगी FSSAI?

अब हैरानी की बात ये है कि आखिर नकली दूध बनाने का ये कैसा फॉर्मूला है जो भारतीय खाद्य संरक्षा एवं मानक प्राधिकरण FSSAI के तय मानकों पर खरा उतरा है. भारतीय पशु कल्याण बोर्ड के सदस्य मोहन सिंह अहलुवालिया से इसके बारे में जानते हैं. मोहन सिंह अहलूवालिया ने कहा कि मिलावटखोर पहले यूरिया का इस्तेमाल करते थे, अब ये लोग ऐसे केमिकल का इस्तेमाल करते हैं जो FSSAI के पैरामीटर को पूरा करता है. हमें इस दिशा में काम करने की जरूरत है. 

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भारत देश के लिए खतरे की घंटी

भारत दुनिया में दूध का सबसे बड़ा उत्पादक है. बावजूद इसके देश दूध में मिलावट से घिरा है. एक अनुमान के मुताबिक भारत में दूध का उद्योग 6 लाख करोड़ रुपये से भी ज्यादा का है. कृषि मंत्रालय की रिपोर्ट कहती है कि भारत इस समय हर साल 17 करोड़ लीटर दूध का उत्पादन कर रहा है. लेकिन देश में दूध की खपत तो 64 करोड़ लीटर सालाना हो रही है, यानी उत्पादन से लगभग 4 गुना ज्यादा. WHO की रिपोर्ट के मुताबिक विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लूएचओ) भी दूध में मिलावट के खिलाफ भारत सरकार के लिए एडवायजरी जारी कर चुका है. इसमें संगठन ने साफ कहा हैं कि अगर देश में दूध और उससे बनने वाले उत्पादों पर रोक नहीं लगाई तो आने वाले वर्ष 2025 तक भारत की 87 फीसदी आबादी कैंसर जैसे जानलेवा रोगों की गिरफ्त में होगी.





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