Delhi Monsoon: दिल्ली में साल दर साल बढ़ती जाएगी, क्या तैयार हैं हम? इस साल प्री-मॉनसून सीजन में गर्मी ने तोड़ा 6 साल का रेकार्ड

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Delhi Monsoon: दिल्ली में साल दर साल बढ़ती जाएगी, क्या तैयार हैं हम? इस साल प्री-मॉनसून सीजन में गर्मी ने तोड़ा 6 साल का रेकार्ड

Delhi Monsoon: दिल्ली में साल दर साल बढ़ती जाएगी, क्या तैयार हैं हम? इस साल प्री-मॉनसून सीजन में गर्मी ने तोड़ा 6 साल का रेकार्ड

विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः भले मॉनसून आ चुका है लेकिन गर्मी से राहत मिलना बाकी है। गर्मी साल दर साल बढ़ती जाएगी, लेकिन क्या हम इस बढ़ती गर्मी से निपटने के लिए तैयार हैं? यह सवाल सीएसई ने एक रिपोर्ट जारी करते हुए उठाए हैं। रिपोर्ट में सीएसई (सेंटर फॉर साइंस एंड एनवायरमेंट) ने दावा किया है कि 2022 में प्री मॉनसून सीजन 2016 के बाद सबसे गर्म रहा है। मार्च से मई तक प्री मॉनसून सीजन होता है। इस साल इन तीन महीनों में सामान्य से 1.24 डिग्री अधिक गर्मी रही। यह 2016 के प्री मॉनसून सीजन से 1.20 डिग्री अधिक है लेकिन 2010 के प्री मॉनसून सीजन से 1.45 डिग्री कम है।

इस रिपोर्ट में दूसरा चौकाने वाला दावा यह किया गया है कि मॉनसून सीजन प्री मॉनसून सीजन से गर्म होता जा रहा है। जबकि सर्दियों और पोस्ट मॉनसून सीजन भी तेजी से गर्म हो रहा है। देश के स्तर पर मॉनसून सीजन में गर्मी प्री मॉनसून सीजन के अनुपात में 0.3-0.4 डिग्री तक अधिक हो रही है। वहीं मॉनसून की तुलना में पोस्ट मॉनसून सीजन में भी 0.73 डिग्री और सर्दियों में 0.68 डिग्री गर्मी बढ़ रही है।

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प्री मॉनसून सीजन में कितनी गर्म रही दिल्ली
सीएसई की रिपोर्ट के अनुसार जमीनी सतह के तापमान के अनुसार 2010 के बाद यह सबसे गर्म प्री मॉनसून रहा। वहीं हवा के तापमान के अनुसार यह तीसरा सबसे गर्म प्री मॉनसून रहा है। बेसलाइन तापमान के मुकाबले इस बार हवा का तापमान इस सीजन में 1.77 डिग्री अधिक गर्म रहा। वहीं जमीनी सतह का तापमान भी 1.95 डिग्री अधिक रहा। हीट इंडेक्स 1.64 डिग्री तक अधिक रहा। राजधानी के ट्रेंड के अनुसार 2016 के बाद से 2021 तक राजधानी में प्री मॉनसून सीजन लगातार ठंडा चल रहा था, लेकिन इस साल गर्मी तेजी से बढ़ी।

राजधानी में मार्च और अप्रैल शुष्क रहे मई में कुछ बारिश के साथ नमी की शुरुआत हुई। जिससे लू से राहत मिली। लेकिन इस नमी की वजह से हीट इंडेक्स बढ़ने लगा। जून में औसत हीट इंडेक्स 40 से अधिक दर्ज हुआ। इतना ही नहीं आसपास की जगहों में भी छह डिग्री तक का अंतर दर्ज किया गया। सीरीफोर्ट और चांदनी चौक ऐसे ही पड़ोसी क्षेत्र रहे। हवा के तापमान के हिसाब से चांदनी चौक का सीजनल तापमान 34.2 डिग्री रहा जबकि सर अरबिंदो मार्ग का औसत तापमान 28.1 डिग्री रहा। सीरीफोर्ट का औसत सीजनल हीट इंडेक्स 38.2 रहा और चांदनी चौक का सीजनल हीट इंडेक्स 36.8 डिग्री रहा।

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गर्मी के हॉट स्पॉट
14 मई 2022 को राजधानी की ज्यादातर जगहों पर तापमान 40 डिग्री से अधिक रहा। इस मामले में 16 मई 2020, फिर 11 मई 2018 और 21 मई 2016 को सबसे अधिक जगहों पर तापमान 40 डिग्री से अधिक रहा। गर्मी के हॉट स्पॉट में साउथ वेस्ट दिल्ली में नजफगढ़ के आसपास, जाफरपुर कलां, इंदिरा गांधी इंटरनैशनल एयरपोर्ट शामिल रहे। इसके बाद साउथ दिल्ली में बदरपुर, जैतपुर, संगम विहार और फतेहपुर बैरी रहे। नार्थ दिल्ली में नरेला, बवाना और शाहदरा में यमुना नदी का किनारा रहा। राजधानी में पिछले कुछ सालों के दौरान गर्मी के हॉट स्पॉट बढ़ते जा रहे हैं। राजधानी का साउथ सेंट्रल हिस्से का तापमान 36 से 40 के बीच रहा। यह राजधानी के ठंडे इलाकों में एक रहा।

औद्योगिक और खेती वाले इलाकों में सबसे अधिक बढ़ी गर्मी
रिपोर्ट के अनुसार नॉर्थ, साउथ वेस्ट, नॉर्थ वेस्ट दिल्ली में जमीनी सतह के तापमान में सबसे अधिक इजाफा हुआ। 19 मार्च से 14 मई 2022 तक के आधार पर यह विश्लेषण किया गया है। नरेला में यह 26.5, बवाना में 25.3, मटियाला में 24, मुंडका में 23.9, नजफगढ़ में 22.9, बुराड़ी में 22.8 और करावल नगर में 20.7 डिग्री तक यह बढ़ा। खेती और ग्रामीण क्षेत्रों में यह इजाफा 13.6 से 26 डिग्री तक रहा। वहीं राजेंद्र नगर, घोंडा, लक्ष्मी नगर, बदरपुर, ओखला, रोहिणी, तुगलकाबाद, संगम विहार, देवली, महरोली, छतरपुर आदि में तापमान 13.6 से 19 डिग्री तक बढ़े। वहीं मध्य और नई दिल्ली में यह 7.6 से 10.5 डिग्री के आसपास बढ़े।

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क्या किया जाना चाहिए
सीएसई की एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर अनुमिता रायचौधरी के अनुसार आने वाले समय में स्थितियां और खराब होंगी। इसलिए अभी से गर्म क्षेत्रों के आसपास उचित कदम उठाने की जरूरत है। इस तरह से प्लानिंग होनी चाहिए कि बढ़ती गर्मी से लोगों के स्वास्थ्य को कम से कम खतरा हो, काम की वजह से वह लू की चपेट में न आएं, बिजली की खपत आदि को ध्यान में रखते हुए प्लान तैयार होने चाहिए। शहरों में हीट आइसलेंड इफेक्ट को कम करने के लिए कदम उठाने की जरूरत है। इसके लिए अर्बन ग्रीन, वन क्षेत्र और झीलों को बढ़ाने की जरूरत है। इस तरह का निर्माण हो कि जमीनी सतह पर कंक्रीट का इस्तेमाल कम हो। इसके साथ ही इमरजेंसी में उठाए जाने वाले कदमों की तैयारी करना भी जरूरी है।

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