Delhi Metro News: मेट्रो के सफर में इंतजार पड़ रहा भारी, लाइन में बीत रहे दिल्लीवालों के सुबह-शाम

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Delhi Metro News: मेट्रो के सफर में इंतजार पड़ रहा भारी, लाइन में बीत रहे दिल्लीवालों के सुबह-शाम

हाइलाइट्स:

  • दिल्ली में मेट्रो स्टेशन के बाहर लोगों को इंतजार पड़ रहा भारी
  • मेट्रो ने कहा- भीड़ ना हो, इसलिए एंट्री को करना पड़ रहा है रेगुलेट
  • किसी को ऑफिस के लिए लेट होता है तो किसी ने बदल लिया रूटीन

नई दिल्ली
मेट्रो स्टेशन में एंट्री के लिए लंबी लाइन लगी थी। एंट्री गेट पर लोगों को रोका गया और इस वजह से दो युवा सीढ़ियों पर बैठ गए थे। इतने में दिल्ली पुलिस का एक जवान आया और पूछा, तुम दोनों सीढ़ियों पर क्यों बैठे हो? लाइन में किसी ने पीछे से कहा, ‘डेढ़ घंटे से खड़े हैं सर लाइन में। पैर तो दर्द हो ही जाते हैं।’ पुलिसवाले ने पीछे लंबी लाइन को देखा और फिर मुड़कर युवाओं से कहा, ‘अरे तुम लोग तो हट्टे-कट्टे हो। थोड़ा खड़े हो जाओगे तो क्या होगा।’ एक युवा खड़ा होते हुए बोला, ‘सर खड़े तो हो जाएंगे, मगर इसमें जो टाइम खराब हो रहा है, उसकी भरपाई कौन करेगा।’

ये वाकया है राजीव चौक मेट्रो स्टेशन का, जहां मेट्रो में एंट्री के लिए दूर-दूर तक लंबी लाइन लगना अब चौंकाने वाली बात नहीं रही। आराम से इन लाइनों में एक घंटे से ऊपर तक का वक्त खर्च हो जाता है। जो लोग इस स्टेशन से रोज सफर करते हैं, उनका कहना है कि शाम को चार बजे से रात को 8 बजे तक मेट्रो का यही हाल रहता है। रिपोर्टर ने भी अपनी रिपोर्ट के लिए इन लाइनों में लगकर देखा तो पता लगा कि कुछ निश्चित संख्या में लोगों को अंदर जाने दिया जाता है और फिर लाइन को एंट्री पर रोक लिया जाता है। जब अंदर से और लोगों को भेजने के लिए कहा जाता है तब बाहर खड़े 20-40 और लोगों को अंदर जाने दिया जाता है। इस वजह से यहां रोज लंबी लाइन लगती है। वैसे ये हाल सिर्फ राजीव चौक मेट्रो का नहीं है, बल्कि ज्यादातर मेट्रो स्टेशनों पर लोगों को पीक ऑवर्स में 45 मिनट से लेकर एक घंटा तक लाइन में खड़े रहना पड़ता है।

मेट्रो स्टेशनों पर सुबह और शाम यही हाल रहता है। मेरे रोज के दो घंटे लाइन में खराब हो रहे हैं। अब क्लोजिंग का महीना चल रहा है और काम पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है।

रविकांत शर्मा

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रोज हो रहे हैं ऑफिस के लिए लेट
सैफ अली शाहदरा में रहते हैं और रोज मेट्रो से ऑफिस जाते हैं। वह कहते हैं, ‘जाते और आते हुए, दोनों समय लाइन लगानी पड़ती है जिससे रोज ऑफिस के लिए लेट हो जाते हैं। हालांकि अभी ऑफिस वाले इसे समझ रहे हैं तो कोई दिक्कत नहीं है। लेकिन इस तरह कब तक रोज देर से जाएंगे।’ दिनेश शर्मा की भी परेशानी कुछ इसी तरह की है। वह बताते हैं, ‘मैं अपने घर के लिए बाराखंभा से मेट्रो पकड़ता हूं और कभी-कभी राजीव चौक से भी। रोज 40 मिनट से लेकर 1 घंटा तक इन लाइनों में जाता है। राजीव चौक पर 8 में से सिर्फ एक गेट खोला है एंट्री के लिए जबकि यहां खूब भीड़ आती है ये हम सभी जानते हैं। बाराखंभा पर भी ढेरों ऑफिस हैं तो वहां भी खूब लाइन लगती है मगर वहां भी चार में से एक ही गेट खोला है। मैंने इस बारे में कई बार मेट्रो स्टेशन पर मौजूद अधिकारियों से भी कहा कि बहुत असुविधा होती है। तो अब अगर कोरोना का संक्रमण दर कम है तो मेट्रो के एक-दो गेट्स और खोल दिए जाएं ताकि लोगों को कम से कम असुविधा हो। अब इन लाइनों की वजह से रोज का दो घंटा बर्बाद हो रहा है।’ उत्तम नगर वेस्ट से मेट्रो का सफर करने वाले रविकांत शर्मा एक सीए फर्म में काम करते हैं। वह कहते हैं, ‘मेट्रो स्टेशनों पर सुबह और शाम यही हाल रहता है। मेरे रोज के दो घंटे लाइन में खराब हो रहे हैं। अब क्लोजिंग का महीना चल रहा है और काम पर बहुत प्रभाव पड़ रहा है।’

रोज लाइन में दो घंटे बर्बाद हो रहे हैं। मैंने इस बारे में मेट्रो स्टेशन के अधिकारियों से भी शिकायत की है। अब संक्रमण दर कम है तो एक-दो गेट और खोल दिए जाएं।

दिनेश शर्मा

बदलना पड़ गया है अपना रूटीन
एक ओर जहां कई लोग रोज अपने ऑफिस के लिए लेट हो रहे हैं तो कई ऐसे भी हैं जिन्होंने ऑफिस समय से पहुंचने के लिए अपना रूटीन ही बदल दिया। बाराखंभा से रोज सफर करने वाले दिलीप कहते हैं, ‘मैं अब अपने ऑफिस के लिए लेट ना होऊं इसके लिए मुझे सुबह का अपना रूटीन बदलना पड़ा है। मैं सुबह जल्दी उठकर एक्सरसाइज करता था और न्यूजपेपर पढ़ता था। पहले पार्क जाता था और अब खुले हैं तो अब भी जाता। लेकिन जिस एक-डेढ़ घंटे का इस्तेमाल मैं अपने शरीर को फिट बनाने के लिए करता था, अब उसका इस्तेमाल घर से जल्दी निकलने के लिए करता हूं ताकि लाइन में अपना वक्त बर्बाद कर सकूं। जो घर पहुंचकर थोड़ा पढ़ता था, बच्चों के साथ खेलता था, वह अब लाइन में जाते हैं।’

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‘इनसे कोरोना का खतरा कम नहीं होता’
लंबी-लंबी इन लाइनों में सोशल डिस्टेंसिग का पालन अक्सर नहीं होता। ऐसे में यात्रियों का कहना है कि कोरोना से बचने के लिए भले ही सरकार मेट्रो स्टेशन के कम गेट खोले और कम लोगों को एंट्री दे, मगर इससे कोरोना का खतरा कम नहीं हो रहा है। राजीव चौक मेट्रो से नियमित यात्रा करने वाले वेद प्रकाश कहते हैं, ‘इन लाइनों में तो कोई सोशल डिस्टेंसिंग का पालन नहीं कर रहा है और ना ही मेट्रो के अंदर किसी तरह की सोशल डिस्टेंसिंग का पालन होता है। लेकिन यहां कोई सिस्टम ही नहीं है। यहां इतनी भीड़ है कि अगर सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करके लाइन लगाई जाए तो पूरा सर्कल ही घूम जाएगा।’ दिलीप कहते हैं, ‘मैं सड़क पर खड़ा हूं लाइन में, मुझे नहीं पता कि पीछे वाले या आगे वाले कहां से आए हैं। सड़क है तो तमाम लोग बगल से निकल रहे हैं। तो इसमें मेरी सुरक्षा कहां है। अभी मेट्रो के फेरे कम हैं, वहां भी मेट्रो में घुसने के लिए भीड़ में खड़े हो जाते हैं, तो वहां भी सुरक्षा नहीं है। अब ऑफिस खुल गए हैं तो मेट्रो में भीड़ तो बढ़ेगी ही। इसलिए दिल्ली मेट्रो को ज्यादा गेट खोलकर और मेट्रो के फेरे बढ़ाकर अंदर स्टेशन में भीड़ का मैनेजमेंट करना चाहिए ताकि बाहर की भीड़ से लोग बचें और कोरोना कम से कम फैले।’

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