Delhi Mayor Election: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मेयर चुनाव का मसला, बीजेपी पर चुनाव में जान बूझकर देरी करने का आरोप

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Delhi Mayor Election: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मेयर चुनाव का मसला, बीजेपी पर चुनाव में जान बूझकर देरी करने का आरोप

Delhi Mayor Election: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा मेयर चुनाव का मसला, बीजेपी पर चुनाव में जान बूझकर देरी करने का आरोप


विशेष संवाददाता, नई दिल्लीः एमसीडी में मेयर, डिप्टी मेयर और स्थायी समिति के 6 सदस्यों के चुनाव का मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। आम आदमी पार्टी की ओर से मेयर पद की प्रत्याशी डॉ. शैली ओबेरॉय ने इस संबंध में एक याचिका दायर करके समयबद्ध तरीके से चुनाव कराने की मांग की है। आम आदमी पार्टी का आरोप है कि बीजेपी जान बूझकर मेयर चुनाव में देरी करवा रही है, ताकि एमसीडी पर केंद्र सरकार के माध्यम से उसका नियंत्रण बना रहे।

आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता सौरभ भारद्वाज ने मेयर चुनाव कराने के लिए पार्टी के सुप्रीम कोर्ट जाने की जानकारी दी। गुरुवार को एक बयान जारी कर उन्होंने कहा कि एमसीडी में बीजेपी का शासन मार्च 2022 में ही खत्म हो चुका है। उसके बाद से उनका कोई नैतिक हक नहीं बनता है कि वो एमसीडी पर अपना कब्जा बनाए रखे, इसके बावजूद परिसीमन और अन्य बहानों से एमसीडी को केंद्र सरकार के अधीन करके बीजेपी ने निगम पर अपना कब्जा जमाए रखा। अब जब निगम चुनाव में दिल्ली की जनता ने आम आदमी पार्टी को बहुमत से चुन लिया है और उसके 134 पार्षद जिताकर भेजे हैं, तब भी बीजेपी अपनी गंदी राजनीति के चलते एमसीडी में आम आदमी पार्टी की सरकार नहीं बनने दे रही है और कई कोशिशों के बावजूद मेयर, डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं होने दे रही है। इसे देखते हुए अब आम आदमी पार्टी अपने नेता सदन और मेयर प्रत्याशी के जरिए सुप्रीम कोर्ट गई है।

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याचिका में रखीं दो प्रमुख मांगें

सौरभ ने कहा कि हमने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर करके कोर्ट के सामने दो बड़ी मांगें रखी हैं। पहली मांग है कि समयबद्ध तरीके से जल्द से जल्द एमसीडी में मेयऱ डिप्टी मेयर के चुनाव करवा के सरकार बनाई जाए और कोर्ट अपनी निगरानी में इस प्रक्रिया को पूरा कराए, क्योंकि बीजेपी और केंद्र सरकार तो चुनाव नहीं कराएंगी। दूसरा, संविधान के आर्टिकल 243-R और डीएमसी एक्ट के सेक्शन-3 के अनुसार मनोनीत पार्षदों को सदन में वोटिंग का अधिकार नहीं है, इसके बावजूद बीजेपी दादागिरी करके बेईमानी से मनोनीत पार्षदों से वोट कराना चाहती है। इसलिए हमने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट इस विषय में भी एक सख्त आदेश केंद्र सरकार और एमसीडी के प्रशासन को दे, ताकि मनोनीत पार्षदों को वोटिंग करने से रोका जा सके।

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मेयर चुनाव को लेकर अनिश्चितता

एमसीडी चुनाव के नतीजे 7 दिसंबर को ही आ चुके हैं, लेकिन डेढ़ महीने से ज्यादा समय बीत जाने के बावजूद अभी तक मेयर, डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं हो पाया है। 6 जनवरी को सदन की पहली ही बैठक हंगामे की भेंट चढ़ गई। वहीं 24 जनवरी को हुई दूसरी बैठक में नव निर्वाचित पार्षदों ने शपथ तो ले ली, लेकिन मेयर, डिप्टी मेयर का चुनाव नहीं हो सका, क्योंकि हंगामे के बाद पीठासीन अधिकारी ने उस दिन भी सदन की कार्यवाही स्थगित कर दी और चुनाव टल गया। तब से आम आदमी पार्टी और बीजेपी के बीच तीखे आरोप प्रत्यारोपों का दौर चल रहा है और मेयर चुनाव कब होगा, इसे लेकर अनिश्चितता बनी हुई है।

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