Delhi Govt vs LG : आज खुश तो बहुत होंगे केजरीवाल, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के बॉस पर क्या फैसला सुना दिया

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Delhi Govt vs LG : आज खुश तो बहुत होंगे केजरीवाल, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के बॉस पर क्या फैसला सुना दिया

Delhi Govt vs LG : आज खुश तो बहुत होंगे केजरीवाल, जानिए सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली के बॉस पर क्या फैसला सुना दिया

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में सर्विसेज पर नियंत्रण किसका होगा, सुप्रीम कोर्ट की पांच जजों की पीठ ने फैसला सुना दिया है। दिल्ली सरकार vs उपराज्यपाल के अधिकार में टकराव की स्थिति खत्म हो गई है। SC ने अपने फैसले में कहा कि पुलिस, कानून व्यवस्था और जमीन को छोड़कर बाकी अधिकार जैसे अधिकारियों के ट्रांसफर और पोस्टिंग आदि पावर दिल्ली सरकार के पास होगी। इस तरह से दिल्ली की आम आदमी पार्टी के पक्ष में फैसला आया है। उच्चतम न्यायालय ने फैसले में कहा कि दिल्ली देश के दूसरे केंद्र शासित प्रदेशों की तरह UT नहीं है। दिल्ली के मामले पर पांचों जजों का एक मत रहा। फैसला दो हिस्सों में लिखा गया था। आइए जानते हैं कि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली में अधिकार को लेकर क्या-क्या कहा।

2019 के फैसले से कोर्ट सहमत नहीं
1. सवाल यह था कि दिल्ली में अधिकारियों की नियुक्तियां और ट्रांसफर किसके अधीन आएगी? दिल्ली सरकार ने कहा था कि चुनी हुई सरकार है लेकिन उसे पूरे अधिकार नहीं दिए जा रहे हैं। दिल्ली की आम आदमी पार्टी की सरकार की दलील रही है कि अधिकारियों की पोस्टिंग नहीं कर सकते तो हम काम कैसे करेंगे। दिल्ली सरकार ने कहा है कि दिल्ली बाकी केंद्रशासित प्रदेश से अलग है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने आज फैसले में कहा कि 2019 के फैसले से हम पूर्ण रूप से सहमत नहीं हैं। उस फैसले में पूरा नियंत्रण केंद्र सरकार को दिया गया था। उस फैसले में कहा गया था कि संयुक्त सचिव से ऊपर की नियुक्तियां केंद्र सरकार करेगी।

2. दिल्ली पर केंद्र और राज्य के बीच पावर की लड़ाई पर निर्णायक फैसला आया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अनुच्छेद 239 एए के तहत दिल्ली विधानसभा को कई शक्तियां मिली हैं लेकिन केंद्र के साथ इन शक्तियों का संतुलन बनाया गया है। इसी सेक्शन को लेकर विवाद होता आया है।

पुलिस, कानून-व्यवस्था और जमीन
3. कोर्ट ने कहा कि संसद को भी दिल्ली के मामलों में अधिकार हासिल हैं। दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं मिला इसलिए केंद्र से संतुलन बनाना होगा। 239 एए पुलिस, कानून-व्यवस्था और भूमि से जुड़ी हुई शक्तियां दिल्ली विधानसभा को नहीं देता। इसके अलावा तमाम शक्तियां दिल्ली सरकार के पास हैं।

केंद्र का ऐसा नियंत्रण नहीं कि…
4. कोर्ट ने आगे कहा कि दिल्ली विधानसभा के सदस्य दूसरी विधानसभाओं की तरह लोगों द्वारा ही चुने जाते हैं। SC ने फैसले में कहा कि लोकतंत्र और संघीय ढांचे के सम्मान को सुनिश्चित किया जाना चाहिए। NCT (National Capital Territory of Delhi) पूर्ण राज्य भले ही न हो, लेकिन इसकी विधानसभा राज्य सूची और समवर्ती से जुड़े हुए कानून बना सकती है। कोर्ट ने कहा कि समवर्ती सूची के कुछ विषयों पर केंद्र सरकार का नियंत्रण इस तरह से नहीं हो सकता है कि राज्य का कामकाज प्रभावित हो।

उपराज्यपाल बनाम दिल्ली सरकार
5. उपराज्यपाल को लेकर भी SC ने अपने फैसले में साफ कहा है कि एलजी की कार्यकारी शक्तियां उन मामलों पर है, जो विधानसभा के दायरे में नहीं आते। लोकतंत्र में चुनी हुई सरकार को शक्ति मिलनी चाहिए। अगर राज्य सरकार को अपनी सेवा में नियुक्त अधिकारी पर नियंत्रण नहीं होगा तो काम ठीक से नहीं होगा। अधिकारी सरकार की बात नहीं सुनेंगे।

6. आखिर में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि पुलिस, कानून व्यवस्था और जमीन को छोड़कर प्रशासनिक अधिकार दिल्ली सरकार को दिया गया है। कोर्ट ने कहा कि उपराज्यपाल दिल्ली सरकार की सलाह और सहायता से काम करेंगे। चीफ जस्टिस ने कहा कि लोकतांत्रिक सरकार में प्रशासन का रियल पावर सरकार के निर्वाचित अंग के पास होना चाहिए।

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