Delhi Excise Policy Scam | सुप्रीम कोर्ट से मनीष सिसोदिया को झटका, पुनर्विचार याचिका खारिज, जानें पूरा मामला | Navabharat (नवभारत) h3>
नई दिल्ली. सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) से आम आदमी पार्टी (आप) के नेता मनीष सिसोदिया (Manish Sisodia) को गुरुवार को झटका लगा। दरअसल, कोर्ट ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले (Delhi Excise Policy Scam) से जुड़े भ्रष्टाचार और धन शोधन मामले में सिसोदिया की जमानत याचिकाओं को खारिज करने संबंधी 30 अक्टूबर के उसके फैसले पर पुनर्विचार करने के अनुरोध वाली याचिका खारिज कर दी है।
न्यायमूर्ति संजीव खन्ना और न्यायमूर्ति एस.वी.एन. भट्टी की पीठ ने बुधवार को सिसोदिया की पुनर्विचार याचिकाएं खारिज कीं। पीठ ने कहा, “हमने पुनर्विचार याचिकाओं और उसके समर्थन में दिये गए आधार का ध्यान से अध्ययन किया है। हमारे विचार से, 30 अक्टूबर 2023 के फैसले की समीक्षा करने का कोई मामला नहीं बनता है। इसलिए, पुनर्विचार याचिकाएं खारिज की जाती हैं।” बुधवार को पारित अपने आदेश में न्यायालय ने इन याचिकाओं पर मौखिक सुनवाई के लिए सिसोदिया के अनुरोध को भी खारिज कर दिया।
Supreme Court rejects review petition of AAP leader Manish Sisodia against top court order denying him bail in excise policy irregularities case.
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— ANI (@ANI) December 14, 2023
सिसोदिया ने दिल्ली आबकारी नीति घोटाले से जुड़े मामले में जमानत देने से इनकार करने के 30 अक्टूबर के सुप्रीम कोर्ट के आदेश को चुनौती देते हुए एक समीक्षा याचिका दायर की थी।
26 फरवरी से जेल में है सिसोदिया
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री को केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) ने 26 फरवरी को दिल्ली आबकारी नीति 2020-21 के निर्माण और कार्यान्वयन में भ्रष्टाचार में उनकी कथित भूमिका के लिए गिरफ्तार किया था। तब से वह हिरासत में हैं। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने CBI की FIR के बाद तिहाड़ में पूछताछ के बाद मनी लॉन्ड्रिंग मामले में सिसोदिया को गिरफ्तार कर लिया। आबकारी विभाग संभालने वाले सिसौदिया ने अपनी गिरफ्तारी के बाद 28 फरवरी को दिल्ली कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था।
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बता दें कि अरविंद केजरीवाल सरकार ने 17 नवंबर, 2021 को दिल्ली आबकारी नीति 2020-21 लागू की, लेकिन भ्रष्टाचार के आरोपों के बीच सितंबर 2022 के अंत में इसे रद्द कर दिया।
जांच एजेंसियों का आरोप है कि नई आबकारी नीति के तहत थोक विक्रेताओं का मुनाफा मार्जिन मनमाने ढंग से 5% से बढ़ाकर 12% कर दिया गया। एजेंसियों ने आगे कहा कि नई नीति के परिणामस्वरूप गुटबंदी हुई और शराब लाइसेंस के लिए अयोग्य लोगों को मौद्रिक लाभ दिया गया। हालांकि, दिल्ली सरकार और सिसोदिया ने आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि नई नीति से सरकारी राजस्व में बढ़ोतरी होगी।