दिल्ली सरकार ने डोर स्टेप डिलीवरी में 60 और सुविधाओं वाले प्रस्ताव पर लगाई मुहर

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नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने डोर स्टेप डिलीवरी सेवाओं को बढ़ाते हुए 60 नई सुविधाओं को इसके अंतर्गत जोड़ने वाले प्रस्ताव पर मुहर लगा दी है. वहीं बुधवार को हुई दिल्ली कैबिनेट की मीटिंग में कॉल एग्जीक्यूटिव की संख्या में इजाफा कर 600 करने का फैसला किया है.

सेवा के तहत सुविधाओं को बढ़ाने पर इनकी संख्या और भी अधिक की जा सकती है. आने वाले समय में जनता से लिए गए फीडबैक पर दिल्ली सरकार की तरफ से विशेष ध्यान दिया जाएगा. ये ही नहीं प्रशासनिक सुधार विभाग के प्रस्ताव के अनुरूप कॉल पीआरआई लाइन की संख्या 11 करने का फैसला लिया गया है.

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10 सितंबर को योजना 40 कॉल एक्जीक्यूटिव के साथ शुरू हुई है

आपको बता दें कि दिल्ली सरकार ने पब्लिक सर्विस के तहत डोर स्टेप डिलीवरी को पिछले साल 16 नवंबर के दिन हामी दी थी. 10 सितंबर को योजना 40 कॉल एक्जीक्यूटिव के साथ शुरू हुई है. जिस दौरान एक पीआरआई लाइन भी स्टार्ट की गई थी, जिसमें तीस चैनल का कॉल सेंटर था. पहले दिन ही भारी मात्रा में कॉल आने से कॉल एक्जीक्यूटिव की संख्या में बढ़ाकर 150 कर दी गई. हालांकि इसके अतिरिक्त दिल्ली सरकार ने कई और खामियों को सुधारा था. जिससे लोगों को काफी राहत आई भी थी.

दिल्ली सीएम अरविंद केजरीवाल की अगुवाई में हुई दिल्ली कैबिनेट की बैठक ने फास्ट ट्रैक अदालतों के लिए वर्तमान में अस्थायी पदों को स्थायी पदों में बदलने के प्रस्ताव पर सहमती दी है. कानून विभाग द्वारा दिए गए प्रस्ताव के तहत मौजूद वक्त में जिला न्यायाधीशों (एडीजे) के 18 पदों के साथ 86 जरूरी कर्मचारियों के पद शामिल है.

पदों को स्थायी करने के बाद दिल्ली सरकार पर नौ करोड़ रूपये का भार आएगा. बवजूद इसके इन पदों को स्थायी करने के लिए दिल्ली सरकार को केंद्र के तरफ से कोई सहायत नहीं मिली है. जबकि सीएम ने कई बार इस संबंध में केंद्र सरकार को पत्र लिखा है. साल 2005 में कैबिनेट ने अस्थायी रूप से 115 पदों को स्वीकार की थी. इसमें 20 पद अतिरिक्त जिला न्यायाधीशों की थी.