Dashmita struggle: क्या है 4297 सीटों की लड़ाई, क्यों नागपुर से पैदल चलकर दिल्ली पहुंचे युवा?

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Dashmita struggle: क्या है 4297 सीटों की लड़ाई, क्यों नागपुर से पैदल चलकर दिल्ली पहुंचे युवा?

Dashmita struggle: क्या है 4297 सीटों की लड़ाई, क्यों नागपुर से पैदल चलकर दिल्ली पहुंचे युवा?

नई दिल्ली: दिल्ली की चिपचिपी गरमी में पसीने से तर बतर दश्मिता (dashmita) चेहरे से पसीना पोंछते हुए बताती हैं कि हम रविवार रात ही दिल्ली पहुंचे हैं। हमारे कुछ साथी अभी भी रास्ते में हैं। 1 जून को नागपुर से पैदल चलना शुरू किया और सोमवार को यह 61 वां दिन है। 25 साल की दश्मिता और उनके साथियों की मांग है कि एसएससी जीडी 2018 (SSC 2018 recruitment) की जो भर्तियां रोकी गई हैं उन्हें भरा जाए। दश्मिता कहती हैं हमने लिखित, फिजिकल, मेडिकल सारी परीक्षा पास कर ली थी तो हमें भर्ती क्यों नहीं किया जा रहा है।

सब सहकर भी लड़ाई
उड़ीसा की रहने वाली दश्मिता बताती हैं कि मेरे पिता मजदूरी करते थे और उसी से पूरे घर का खर्च चलता था, जब से वह बीमार हुए हैं तो मां मजदूरी करने लगी। मेरी दो छोटी बहन और एक भाई पढ़ाई कर रहे हैं। मैंने इस एग्जाम के लिए बहुत मेहनत की और पास भी हो गई। यह सपना देखा था कि मैं पूरे परिवार की जिम्मेदारी उठा सकूंगी। लेकिन सारे पद न भरने से मेरा सपना चूर चूर हो गया है। वह कहतीं है कि घर से लड़की एक हफ्ते के लिए निकल जाती है तो गांव वाले तरह तरह की बातें करते हैं, सवाल करते हैं कि कहीं लड़की भाग तो नहीं गई। गांव वालों की बहुत सी बातें सुनकर भी घरवाले मेरी लड़ाई में साथ दे रहे हैं। उन्हें मालूम है कि हम अपने हक की लड़ाई लड़ रहे हैं।

क्या है पूरा मामला
जुलाई 2018 में सीएपीएफ, एनआईए, एसएसएफ में कॉस्टेबल (जीडी) और असम राइफल्स में राइफलमैन (जीडी) में भर्ती का नोटिफिकेशन निकला। 31 मार्च 2020 को इस नोटिफिकेशन को संशोधित कर बताया गया कि खाली पद 60,210 हैं। यानी इतने पदों के लिए भर्ती होनी है। इसके लिए कुल 30,41,284 युवाओं ने हिस्सा लिया जिसमें लड़कियां भी शामिल थी। लिखित, फिजिकल, मेडिकल सारी परीक्षाओं के बाद कुल 1,09552 अभ्यर्थियों को योग्य पाया गया। फिर जनवरी 2021 को परीक्षा का अंतिम परिणाम घोषित किया गया। लेकिन इसमें 60,210 की जगह पर 55,913 अभ्यर्थियों का ही चयन किया गया।

पद भरने की लड़ाई
फिर फरवरी 2021 से युवाओं ने बाकी के 4297 पद भरने की मांग के साथ लड़ाई शुरू की। युवाओं ने बताया कि हमने पहले करीब एक साल दिल्ली के जंतर मंतर पर धरना दिया। सभी सांसदों को ज्ञापन दिया। तीन सांसदों ने संसद में आवाज भी उठाई पर कोई जवाब नहीं मिला। फिर नागपुर में 72 दिन का आमरण अनशन किया। जिसके बाद केंद्र सरकार में मंत्री रामदास आठवले ने हमें भरोसा दिया कि हमारी मुलाकात गृह मंत्री अमित शाह से कराई जाएगी। हमें वक्त भी दे दिया गया। जब हम 10 युवा दिल्ली पहुंच गए तो कहा गया कि मीटिंग नहीं हो सकती।

‘जैसे भगवान से मिलने जाते हैं’
पैदल चल दिल्ली पहुंचे युवाओं ने बताया कि फिर हमने तय किया कि जैसे भगवान से मिलने के लिए जाया जाता है उसी तरह हम नागपुर से पैदल चलकर गृह मंत्री से मिलने आएंगे। करीब 160 युवाओं ने नागपुर से पैदल सफर शुरु किया जिसमें करीब 35 लड़कियां भी हैं। युवाओं ने बताया कि हमें जगह जगह रोका गया। आमरण अनशन के दौरान तो मनोबल तोड़ने के लिए लड़कियों का प्रेगेनेंसी टेस्ट तक कराया गया। हमारे घर वालों पर दबाव डाला जा रहा है। रास्ते में भी होटल वालों से कह दिया गया कि हमारी मदद ना करें। युवाओं ने कहा कि हम टूटेंगे नहीं क्योंकि हम अपना हक मांग रहे हैं।

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