Darlings Review: ब्लैक ज्यादा और कॉमेडी कम, एक्टरों के शानदार परफॉरमेंस ने बचाया इस फिल्म को

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Darlings Review: ब्लैक ज्यादा और कॉमेडी कम, एक्टरों के शानदार परफॉरमेंस ने बचाया इस फिल्म को


Darlings Review: ब्लैक ज्यादा और कॉमेडी कम, एक्टरों के शानदार परफॉरमेंस ने बचाया इस फिल्म को

New Film On OTT 2022: डार्लिंग्स के डायलॉग्स में बात-बात में एक्सट्रा ‘एस’ लगा है. जो कई जगह बनावटी लगता है और सुनने में खटकता है. लव यहां लव्स है. फिल्म वैवाहिक जीवन में घरेलू हिंसा जैसे गंभीर मुद्दे से शुरू होती है. लेकिन यह हिंसा आपको सिर्फ संवादों से समझनी पड़ती है. हिंसा का एक्शन यहां नहीं हैं. मेकर्स दर्शकों से कहते हैं कि स्याही से दर्ज किया है, खून से लिखा समझना. ऐसा लगता है कि राइटर डायरेक्टर ने दमन और अग्निसाक्षी जैसी फिल्में नहीं देखी. सिनेमा दृश्य माध्यम है. देखना-दिखना ही उसकी असली भाषा है. डार्लिंग्स में असली समस्या यह है कि आलिया भट्ट जैसी ए ग्रेड अभिनेत्री पर विजय वर्मा जैसे एक्टर की हिंसा कैसे दिखाई जाए?
मुस्कान भी मुश्किल
डार्लिंग्स पति-पत्नी की कहानी है. दोनों ने ‘लव्स मैरिज’ की थी. मोहब्बत में आशिक का इंतजार करती माशूका की रूठा-रूठी के बीच टाइटल खत्म होते ही कहानी तीन साल आगे छलांग मारती है. आपको पता चलता है कि दोनों अब पति-पत्नी हैं. पति शराब पीकर पत्नी को आए दिन पीटता है. पत्नी खुद की समझाती है कि एक बार बच्चा हो जाए, तो यह अपने आप सुधर जाएगा. लेकिन न तो बच्चा होता है और न पति सुधरता है. सुस्त रफ्तार से चलती कहानी लड़खड़ाती है तो डायरेक्टर जसमीत के.रीन इसकी दिशा बदल कर पटरी पर लाने की कोशिश करती हैं. यहां एक्टरों का परफॉरमेंस फिल्म को डूबने से बचाता. फिल्म के बारे में कहा गया था कि यह ब्लैक कॉमेडी है. लेकिन कॉमेडी यहां नहीं के बराबर है. होठों पर हंसी तो क्या मुस्कराट तक कहीं मुश्किल से आती है. जबकि फिल्म में घरेलू हिंसा की घटनाएं डार्क होती चली जाती हैं. पति को पत्नी और सास मिल कर मौत के मुहाने तक ले जाती हैं.
कहानी में ट्विस्ट
डार्लिंग्स एक्टरों के लिए देखी जाने वाली फिल्म है. आलिया भट्ट मुस्लिम युवती बदरुनिस्सा के रोल में हैं, जो पति हमजा (विजय वर्मा) के हाथों से रह-रह कर बदन और चेहरे पर हिंसा के निशान पाने के बाद भी उसके साथ रह रही है. दोनों मुंबई की जिस चॉल में रहते हैं, वहीं बदरुनिस्सा की मां रुखसार (शेफाली शाह) भी रहती है. बेटी का हाल देख कर मां दुखी है. हमजा रेलवे में टीसी है, टिकट कलेक्टर. जबकि उसका बॉस उसे रोज टीसी यानी टॉयलेट क्लीनर बनाए रहता है. हमजा यूं तो बदरू से मोहब्बत करता है लेकिन शराब पीने के बाद जानवर बन जाता है. हालांकि उसे बाद में समझ आता है कि मार-पीट के लिए शराब को दोष देना बेकार है, समस्या उसके अंदर है. उसे हिंसा अच्छी लगती है. कहानी में ट्विस्ट तब आता है, जब गर्भवती बदरू को हमजा सीढ़ियों से धकेल देता है. बदरू का गर्भपात हो जाता है. तब वह मां के साथ मिलकर हमजा को सबक सिखाने का मन बना लेती है और दोनों उसे घर में बंधक बना कर तरह-तरह से प्रताड़ित करते हुए, यह प्लान बनाती हैं कि आखिर उससे कैसे छुटकारा पाया जाए. डार्लिंग की कहानी का आखिरी मुद्दा यही है.

नए डायरेक्टर की समस्या
जब नए डायरेक्टर ए लिस्ट स्टार को लेकर फिल्म बनाते हैं तो अपना सब कुछ भूलना पड़ता है. उन्हें सिर्फ स्टार को ध्यान में रख कर सब कुछ रचना पड़ता है. जसमीत के. रीन के साथ भी यही हुआ. आलिया भट्ट के बाहर वह न कुछ देख पाती और न सोच पाती हैं. दूसरे एक्टरों के सीन भी वह आलिया को ध्यान में रख कर सोचती हैं. फिल्म देख कर साफ लगता है कि जसमीत की सोच को आजादी नहीं है. लेकिन विजय वर्मा जरूर अपने परफॉरमेंस से छाप छोड़ने में कामयाब रहते हैं. वह फिल्म में धीरे-धीरे खुलते हैं और आलिया की मौजूदगी में भी अपनी स्पेस हासिल कर लेते हैं. उनके हाव-भाव और डायलॉग बोलने का अंदाज बांधी हुई सीमाओं में भी असर छोड़ता है. शेफाली शाह ने अपनी भूमिका को अच्छे से निभाया है. जबकि राजेश शर्मा का किरदार नाम मात्र को है.
थोड़े धैर्य की जरूरत
नेटफ्लिक्स पर रिलीज हुई करीब सवा दो घंटे की यह फिल्म भले ही समाज के निचले तबके की कहानी कहती है, लेकिन जिंदगी की गहराइयों में नहीं उतरती. यहां न उनकी हकीकत दिखाते, दिल को छूने वाले वाले दृश्य हैं और न संवाद. कहानी अच्छी है लेकिन स्क्रिप्ट बीच-बीच में लड़खड़ाती है. फिल्म में गुलजार के गीत और विशाल भारद्वाज का संगीत है. दोनों ठीकठाक हैं. याद रह जाने जैसे नहीं हैं. बतौर निर्देशक जसमीत में फिल्म को संभालने की संभावनाएं दिखती हैं, लेकिन जरूरी है कि वह सितारे की छवि से स्वतंत्र होकर काम करें. सिर्फ उसे में ध्यान में रख कर काम करते हुए वह फिल्म से न्याय नहीं कर सकतीं. डार्लिंग्स औसत फिल्म है, जिसे आप समय मिलने पर एक्टरों के परफॉरमेंस के लिए देख सकते हैं. फिल्म धीमी, दोहराव भरी और लड़खड़ाती शुरुआत के बाद संभलती है. अतः शुरू में धैर्य रखने की जरूरत है.

निर्देशकः जसमीत के. रीन
सितारेः आलिया भट्ट, विजय वर्मा, शेफाली शाह, रोशन मैथ्यू, राजेश शर्मा
रेटिंग **1/2

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