Cyber Fraud: जामताड़ा से कम नहीं यूपी का जालौन, साइबर ठगी में लगा है पूरा गांव

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Cyber Fraud: जामताड़ा से कम नहीं यूपी का जालौन, साइबर ठगी में लगा है पूरा गांव

Cyber Fraud: जामताड़ा से कम नहीं यूपी का जालौन, साइबर ठगी में लगा है पूरा गांव

यूपी का जालौन (Jalaun Crime News) जिला अब जामताड़ा बनता जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर में पकड़ा जाने वाला हर दूसरा-तीसरा केस इसी जिले से किसी न किसी तरीके से जुड़ा हुआ मिलता है। वहां के कई ऐसे गांव के नाम सामने आए हैं जहां के युवा सिर्फ साइबर ठगी (Cyber Fraud) की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं।

 

हाइलाइट्स

  • गांव के खेतों में लगाए जाते हैं ट्रेनिंग सेंटर, मेवात से आकर ठग सिखाते हैं धोखाधड़ी
  • लैपटॉप, इंटरनेट और मोबाइल की खुद करनी होती है व्यवस्था, डेटा जुटाने का सिखाया जाता है तरीका
  • एक हफ्ते की ट्रेनिंग और फिर चालू हो जाता है फर्जी कॉल सेंटर का ऑफिस
फरीदाबाद: यूपी का जालौन (Jalaun Crime News) जिला अब जामताड़ा बनता जा रहा है। दिल्ली-एनसीआर में पकड़ा जाने वाला हर दूसरा-तीसरा केस इसी जिले से किसी न किसी तरीके से जुड़ा हुआ मिलता है। वहां के कई ऐसे गांव के नाम सामने आए हैं जहां के युवा सिर्फ साइबर ठगी (Cyber Fraud) की वारदातों को अंजाम दे रहे हैं। इसके लिए बाकायदा इन युवाओं को एक-एक हफ्ते की ट्रेनिंग दी जा रही है। फरीदाबाद साइबर थाना एनआईटी ने भी साइबर ठगी के मामले में इसी जिले से कई युवाओं को दबोचा है। इनसे साइबर ठगी करने के कई प्रमाण मिले हैं और उन्हें जेल भी भेजा गया है।

घर के सभी लोग ठगी में लगे
पुलिस सूत्रों ने बताया कि जालौन के कन्नरपुरा और माधौगढ़ गांव में पूरा का पूरा घर ऐसी ठगी देने में लगा रहता है। फरीदाबाद के एक केस में जब पुलिस ने यहां से चार युवाओं को दबोचा तो सामने आया कि उन्हें गांव में ही कैंप लगाकर साइबर ठगी करने की ट्रेनिंग दी गई है। इस ट्रेनिंग में उन्हें लैपटॉप, मोबाइल और इंटरनेट डिवाइस लेकर जाना होता है। ये कैंप गांव में एक हफ्ते तक चलता है। रोज कैंप की लोकेशन बदल दी जाती है ताकि पुलिस की पकड़ से बचा जा सके।

कन्नरपुरा गांव की फाइल फोटो

फर्जी बैंक अकाउंट और डेटा जुटाने की भी ट्रेनिंग
पूछताछ में ठगों ने बताया कि फर्जी बैंक अकाउंट 5 से 10 हजार रुपये में मिल जाता है। इसके बाद डेटा कहां से लेना है इस बारे में भी इस ट्रेनिंग कैंप में सिखाया जाता है। क्रेडिट कार्ड, नौकरी तलाश रहे लोगों का डेटा आसानी से ऑनलाइन कई वेबसाइट पर मौजूद है। एक नंबर का एक पैसा पड़ता है। एक बार में कम से कम पांच हजार नंबरों का डेटा मिलता है। इसे ये ठग खरीदकर आपस में बांट लेते थे।

कॉलिंग करने वालों को ठगी का मिलता था 30%

इस गिरोह में कॉल करने वाले सुरेंद्र प्रताप सिंह, शिवम सिंह, मोहित, सत्यम सिंह, रजत सेंगर व विनीत सिंह को कॉलर से ठगी गई राशि का 30 प्रतिशत हिस्सा मिलता था। बचा हुआ हिस्सा कॉल सेंटर चलाने वाले मास्टरमाइंड दीपक सिंह, मानवेंद्र सिंह व अजीत सिंह आपस में बांट लेते थे। ये तीनों 2016 से ऐसी ठगी में जुटे हुए थे। पहले ये गांव से ही ऑपरेट कर रहे थे। लॉकडाउन के बाद से इन्होंने कॉल सेंटर दिल्ली में खोल लिया था। गांव के लड़कों को वहीं ट्रेनिंग देकर दिल्ली लाते थे।

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10वीं व 12वीं पास लड़कों को जोड़ते थे साथ

जल्दी मोटी रकम कमाने का झांसा देकर गांव व आसपास के 10वीं और 12वीं पास युवाओं को ठग अपने साथ जोड़ लेते थे। पहले गांव में ट्रेनिंग देते और इसके बाद वहीं कॉलिंग के काम में लगा दिया जाता था। ऐसा करके कई युवाओं ने कार, महंगे फोन और घर में महंगे-महंगे उपकरण तक ले लिए हैं।

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Web Title : Hindi News from Navbharat Times, TIL Network

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