CUET का असर: 12वीं में थे कम नंबर, फिर भी DU के टॉप कॉलेज में मिला एडमिशन, नए स्टूडेंट्स ने शेयर की अपनी खुशी

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CUET का असर: 12वीं में थे कम नंबर, फिर भी DU के टॉप कॉलेज में मिला एडमिशन, नए स्टूडेंट्स ने शेयर की अपनी खुशी

CUET का असर: 12वीं में थे कम नंबर, फिर भी DU के टॉप कॉलेज में मिला एडमिशन, नए स्टूडेंट्स ने शेयर की अपनी खुशी

नई दिल्ली: दिल्ली यूनिवर्सिटी में पहली बार कॉमन यूनिवर्सिटी एंट्रेंस एग्जामिशन (सीयूईटी) के स्कोर के आधार पर अंडरग्रैुजएट कोर्सेज में दाखिले हुए। क्लास-12 के हाई स्कोर, 100% कटऑफ, एक ही बोर्ड के कई स्टूडेंट्स की स्थिति से बचने के लिए एंट्रेंस एग्जाम लाया गया और इसका असर साफ नजर भी आ रहा है। डीयू में जिन कॉलेजों में पहली लिस्ट में पहले 98% और इससे ऊपर के स्कोर में दाखिले होते थे, वहां पहली लिस्ट में 85%-95% स्कोर वाले भी स्टूडेंट्स को पहली लिस्ट में सीट मिल गई। साथ ही, जिन कॉलेजों में केरल बोर्ड के स्टूडेंट्स की भरमार दिखती थी, वहां यह संख्या काफी कम हुई है।

हिंदू कॉलेज की प्रिंसिपल डॉ. अंजू श्रीवास्तव कहती हैं, सीयूईटी में जिन स्टूडेंट्स का स्कोर अच्छा रहा है, उन्हें हिंदू कॉलेज में एडमिशन मिला है। सीयूईटी आने से वे स्टूडेंट्स भी हमारे कॉलेज में सीट हासिल कर पाए हैं, जिनके क्लास 12 में 85% से 90% तक थे, क्योंकि इन्होंने एंट्रेंस में अच्छी परफॉर्मेंस दी। और किसी एक बोर्ड के स्टूडेंट्स से हमारा कोई कोर्स नहीं भरा है, जो कि पहले देखा जाता था।

डीयू के NCWEB की दूसरी कटऑफ में 7% तक की कमी, स्टूडेंट के लिए एडमिशन ओपन
पिछले साल हिंदू कॉलेज में पॉलिटिकल साइंस ऑनर्स की कटऑफ जनरल कैटिगरी के लिए 100% गई है और पहले ही दिन कॉलेज को 90 स्टूडेंट्स मिल गए थे। कोर्स में दाखिला पाने वाले 146 में से 120 बच्चे केरल बोर्ड के थे। मगर इस साल यह संख्या सिर्फ दो है। इसी तरह से मिरांडा हाउस, एसआरसीसी में भी केरल बोर्ड के कई हाई स्कोरर्स मिले थे। एसआरसीसी की प्रिंसिपल डॉ. सिमरित कौर कहती हैं, इस बार ज्यादातर बच्चे सीबीएसई बोर्ड से हैं, स्टेट बोर्ड से नहीं हैं। हमारे दोनों ही कोर्स बीकॉम ऑनर्स और इकनॉमिक्स ऑनर्स की सभी सीटें भर चुकी हैं।

रामजस कॉलेज के प्रिंसिपल डॉ. मनोज खन्ना कहते हैं, सीयूईटी का असर दिखा है, एडमिशन प्रोसेस हमारे लिए आसान हुई है, ओवर एडमिशन नहीं हो रहे और क्वॉलिटी स्टूडेंट्स भी मिल रहे हैं। कुछ सालों से हम देख रहे थे कि किसी खास बोर्ड के स्टूडेंट्स 12वीं के हाई स्कोर की बदौलत बड़ी संख्या में टॉप कॉलेजों में एडमिशन ले रहे हैं, चाहे उनकी सब्जेक्ट नॉलेज इतनी अच्छी नहीं भी हो। सभी बोर्ड पहले तक एक लेवल पर नहीं थे, मगर अब सब एक लेवल पर दाखिले की रेस में हैं। साथ ही, हमें इस बार पहली ही लिस्ट में ईडब्ल्यूएस, एसटी, पीडब्ल्यूडी कैटिगरी में भी कई बच्चे मिले हैं।

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‘कटऑफ होती, तो पसंदीदा कॉलेज नहीं मिलता’
स्टूडेंट्स का कहना है कि अगर सीयूईटी नहीं होता तो उन्हें नॉर्थ कैंपस या फिर डीयू ही नहीं मिल पाता। मिरांडा कॉलेज में इंग्लिश ऑनर्स में एडमिशन पाने वाली दिल्ली की स्टूडेंट राशि कहती हैं, मेरे क्लास 12 में 90% मार्क्स थे, अगर कटऑफ होती तो मुझे डीयू में भी कहीं भी एडमिशन नहीं मिल पाता। किरोड़ीमल कॉलेज के साइंस ब्लॉक में एंट्री लेने वाले वाले यश कहते हैं, सीयूईटी ने मुझे दूसरा चांस दिया क्योंकि क्लास 12 में मुझे 82% स्कोर ही मिला था। सीयूईटी के लिए मैंने काफी तैयारी की और स्कोर अच्छा आ गया।

हिंदू कॉलेज में फिलॉसफी ऑनर्स में सीट पाने वालीं अभिलाषा कहती हैं, क्लास-12 में मेरा स्कोर 93% था और इस स्कोर पर मुझे हिंदू कॉलेज क्या, नॉर्थ कैंपस का कोई भी कॉलेज नहीं मिलता। मगर सीयूईटी मेरे लिए काम आया। एसआरसीसी में बीकॉम ऑनर्स में पहली ही लिस्ट में सीट पाने वालीं आस्था सोनी कहती हैं, क्लास 12 में 92% मिले और सीयूईटी स्कोर 723/800 था तो सीट मिल गई। इस कॉलेज में तो एक ही बोर्ड के कई स्टूडेंट्स 100% वाले पहुंचते थे। कई स्टेट बोर्ड में हाई स्कोर लाना बहुत आसान है। एसआरसीसी में मैं 12वीं के स्कोर पर सीट के लिए सोच भी नहीं सकती थी।
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हालांकि, इसका दूसरा पहलू भी नजर आया। दौलतराम कॉलेज में पहली लिस्ट में बीए में एडमिशन लेनी वालीं शिवांगी कहती हैं, मैं मिरांडा या एलएसआर में एडमिशन चाहती थी। मेरा 12वीं में 98% स्कोर था, कटऑफ से होता तो मिरांडा मिल जाता। मगर फिर भी मुझे सीयूईटी अच्छा लगा, बशर्तें इस साल की तरह गड़बड़ियां और लेट सेशन ना हों।

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