देश में क्यूँ हो रही कैश की समस्या? हर बात की जानकारी के लिए पढ़ें पूरी खबर

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देश के कई हिस्सों में एक बार फिर कैश का संकट सामने आया है. कुछ जगह तो नोटबंदी जैसा माहौल पैदा होने लगा है. एक बार फिर एटीएम और बैंकों में नकदी निकालने के लिए लाइन लगने लगी हैं. देश के बड़े राज्यों में शुमार उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, बिहार, झारखंड, गुजरात समेत कई राज्यों में बैंकों और एटीएम में कैश नहीं है. एटीएम के बाहर NO CASH का बोर्ड लगा दिया गया है. लोग कैश की तलाश में एटीएम और बैंक के चक्कर काट रहे हैं. बैंक भी लोगों को ज़्यादा कैश नहीं दे रहे हैं, जबकि शादी का सीज़न चल रहा है.

मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने काश संकट पर चौंकाने वाला बयान देते हुए इसे साजिश करार दिया है. किसानों की सभा को संबोधित करने को दौरान सीएम शिवराज सिंह चौहान ने कहा कि 2000 के नोट को साजिश के तहत चलन से गायब किया जा रहा है.

यूं हुई कैश की किल्लत

वहीं केंद्रीय सरकार और भारतीय रिज़र्व बैंक ने इसकी कई वजहें गिनाई हैं. इसके साथ ही सरकार ने कहा है कि जल्द ही हालात सामान्य हो जाएंगे. एटीएम से कैश समाप्त होने के लिए लोगों के नकदी सहेजने समेत अन्य कई कारण गिनाए जा रहे हैं. सरकारी सूत्रों का कहना है कि कई राज्यों में बैसाखी, बिहू और सौर नव वर्ष जैसे त्योहार होने की वजह से लोगों को ज़्यादा नकदी की ज़रूरत थी. इस वजह से संभव है कि लोगों ने ज्यादा नकदी अपने बैंक खातों से निकाली हो. रिजर्व बैंक के सूत्रों का कहना है कि असम, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, कर्नाटक, महाराष्ट्र, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश आदि राज्यों में लोगों के जरूरत से ज्यादा नकदी निकालने की वजह से यह संकट खड़ा हुआ है.

वहीं रिज़र्व बैंक की दलील है कि नकदी की उपलब्धता में ऐसे उतार-चढ़ाव होते रहते हैं. जैसे यदि किसी राज्य में डिमांड बढ़ जाती है तो दूसरे राज्य में आपूर्ति पर थोड़ा अंकुश लगा दिया जाता है. असम में शनिवार को बिहू त्योहार होने की वजह से उसके कुछ दिनों पहले नकदी की निकासी काफी बढ़ गई. इसलिए दूसरे कुछ राज्यों में आपूर्ति में कटौती करनी पड़ी.

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एफआरडीआई का डर

बैंक ऑफिसर कन्फेडरेशन ने दावा किया है कि देश में 30 से 40 फीसदी कैश की कमी है और यह कमी रिज़र्व बैंक द्वारा लगातार डिजिटल इकोनॉमी का दबाव बनाने से हुई है.

अधिकारियों के इस संगठन ने दावा किया है कि देशभर में लोगों में केन्द्र सरकार द्वारा प्रस्तावित एफआरडीआई बिल का खौफ है, लिहाज़ा लोग बैंक में पैसा जमा करने की जगह कैश अपने पास रखने को तरजीह दे रहे हैं. इस संगठन के मुताबिक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया डिजिटल इकोनॉमी बनाने के लिए कैश की राशनिंग कर रहा है जिससे कई राज्यों में कैश का संकट देखने को मिल रहा है.

ये है एफआरडीआई बिल

प्रस्तावित एफआरडीआई बिल के ज़रिए केन्द्र सरकार सभी वित्तीय संस्थाओं जैसे बैंक, इंश्योरेंस कंपनी और अन्य वित्तीय संगठनों का इंसॉल्वेंसी और बैंकरप्सी कोड के तहत उचित निराकरण करना चाह रही है. इस बिल को कानून बनाकर केन्द्र सरकार बीमार पड़ी वित्तीय कंपनियों को संकट से उबारने की कोशिश करेगी. इस बिल की ज़रूरत 2008 के वित्तीय संकट के बाद महसूस की गई जब कई हाई-प्रोफाइल बैंकरप्सी देखने को मिली थी. इसके बाद से केन्द्र सरकार ने जनधन योजना और नोटबंदी जैसे फैसलों से लगातार कोशिश की है कि ज्यादा से ज्यादा लोग बैंकिंग व्यवस्था के दायरे में रहें. इसके चलते यह बेहद जरूरी हो जाता है कि बैंकिंग व्यवस्था में शामिल हो चुके लोगों को बैंक या वित्तीय संस्था के डूबने की स्थिति में अपने पैसों की सुरक्षा की गारंटी रहे.

नोट संभाल रही जनता

जानकारों का ये भी कहना है कि नोटबंदी के दौरान 2000 और 500 रुपये के नये नोट के बाद 200 और 50 रुपये के नये नोट जारी किए गए हैं. ये नोट मिलने शुरू तो हो गए हैं, लेकिन बड़ी संख्या में नहीं. दरअसल जब भी नये नोट आते हैं, तो लोग उन्हें खर्च करने की बजाय संभालने पर ज़्यादा ध्यान देते हैं. 200 और 50 रुपये के नये नोटों के साथ भी यही हो रहा है. इसके अलावा कर्नाटक में चुनाव करीब हैं, इसलिए वहां भी नकदी की मांग काफी बढ़ गई है. फसल के समय किसानों द्वारा भी नकदी की निकासी बढ़ जाती है.

आधिकारिक बयान

वित्तमंत्री अरुण जेटली ने मंगलवार को कैश संकट की समस्या की पर ट्वीट किया. उन्होंने लिखा “ मैंने देश की कैश समस्या की समीक्षा की है. बाज़ार और बैंकों में पर्याप्त मात्रा में कैश मौजूद है. जो एक दम दिक्कतें सामने आई हैं वो इसलिए है क्योंकि कुछ जगहों पर अचानक कैश की मांग बढ़ी है.”

वहीं वित्त राज्यमंत्री शिवप्रताप शुक्ला ने आश्वासन दिया है कि कैश की किल्लत दो-तीन दिन में दूर हो जाएगी और देश में नगदी की कोई कमी नहीं है. उन्होंने कहा कि फिलहाल रिज़र्व बैंक के पास 1,25,000 करोड़ रुपये की नगदी है. बस कुछ असमान हालत बन जाने की वजह से समस्या हुई है. कुछ राज्यों में कम करेंसी है तो कुछ में ज़्यादा. सरकार ने राज्यवार समितियां बनाई हैं और रिजर्व बैंक ने भी अपनी एक कमिटी बनाई है ताकि एक से दूसरे राज्य तक नकदी का ट्रांसफर हो सके.

जल्द से जल्द समस्या का समाधान

हालांकि अफरा-तफरी न मचे इसके लिए वित्त मंत्रालय ने तत्काल रिज़र्व बैंक के अधिकारियों के साथ बैठक की. सूत्रों के अनुसार, वित्त मंत्रालय के अधिकारियों ने विभिन्न राज्यों के अधिकारियों और बैंक प्रमुखों से परामर्श भी किया.

RBI news4social -

शिवप्रताप शुक्ला ने कहा, ‘रिजर्व बैंक पैसों की राज्यों में असमानता को खत्म कर रहा है. एक राज्य से दूसरे राज्य में पैसे पहुंच रहे हैं. बिना रिज़र्व बैंक के आदेश के ही प्रांतों में स्थ‍िति कैसे ठीक की जा सकती है, इसका अध्ययन कर रहे हैं. पैसे की कोई कमी नहीं है. नोटबंदी की तरह कमी नहीं होने देंगे. हालात ठीक हो जाएंगे.’