नई दिल्ली: भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोरोना वैक्सीनेशन अभियान (Corona Vaccination Drive) जारी है. देश में अब तक 1 करोड़ 17 लाख से ज्यादा लोग वैक्सीन की कम से कम एक डोज तो लग चुकी है. टीकाकरण अभियान सीरम इंस्टिट्यूट की कोविशील्ड (Covishield) और भारत बायोटेक की कोवैक्सीन (Covaxin) के जरिए चल रहा है. दोनों वैक्सीनों को लेकर स्टडी भी जारी है. इसबीच अगर आपके मन में ये सवाल उठा हो कि दोनों में कौन सी ज्यादा असरदार यानी कारगर है तो उसका जवाब भी आपको बताते हैं. ताजा जानकारी के मुताबिक अगर आपने हाल ही में वैक्सीनेशन करवाया है और कोवैक्सीन (Covaxin) लगवाई है तो आप उस व्यक्ति के मुकाबले कुछ ज्यादा फायदे में हैं, जिसने कोवीशील्ड (Covishield) लगवाई होगी.
Covaxin ने साझा किए अंतिम चरण के नतीजे
दरअसल कोवैक्सीन बनाने वाली कंपनी भारत बायोटेक (Bharat Biotech) ने वैक्सीन ट्रायल के तीसरे और अंतिम चरण के नतीजे प्रकाशित किए हैं. इन नतीजों में कोवैक्सीन (Covaxin) को 81% कारगर पाया गया है. इसका मतलब ये है कि ये वैक्सीन कोरोना का संक्रमण को रोकने में 81% तक कारगर पाई है. यानी कोविशील्ड की तुलना में कोवैक्सीन ज्यादा कारगर पाई गई है क्योंकि कोवीशील्ड सिर्फ 62% तक प्रभावी दिखी थी. ICMR ने भी इस तथ्य की पुष्टि की है.
A great win for Atmanirbhar Bharat! India’s indigenously developed #COVAXIN shows 81% interim efficacy in Phase 3 trial. We are now one step closer to winning the fight against COVID-19. #Unite2FightCOVID @MoHFW_India @PMOIndia @drharshvardhan @PIB_India @BharatBiotech pic.twitter.com/jVKYy0Tsm1
— ICMR (@ICMRDELHI) March 3, 2021
ब्रिटेन वाले स्ट्रेन पर भी कारगार
नतीजों के मुताबिक पूरी तरह स्वदेशी कोवैक्सीन Covaxin, कोरोना वायरस (Coronavirus) के ब्रिटेन (UK) वाले स्ट्रेन पर भी कारगर है. इसके अलावा, रिसर्च के दौरान ये भी पता चला है कि कोवैक्सीन लगवाने पर शरीर में कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी वाले सेल्स भी तैयार हो जाते हैं. कोवैक्सीन के तीसरे ट्रायल 25 हजार 800 लोगों पर किए गए थे. भारत में 25 अलग-अलग जगह पर ट्रायल चल रहा है. इनमें आधे लोगों को वैक्सीन और आधे लोगों को प्लेसिबो दिया था, यानी आधे लोगों को वैक्सीन नहीं दी गई थी.
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भारत में ये अब तक का सबसे बड़ा ट्रायल
भारत में किए गए ये अब तक के सबसे बड़े ट्रायल हैं. पहले दूसरे और तीसरे चरण को मिलाकर कुल 27 हज़ार लोगों पर ट्रायल किया गया. इस ट्रायल में 18 साल से 98 साल तक की आयु के लोग शामिल थे. वहीं 2433 लोगों की उम्र 60 साल से ऊपर थी. सैंपल साइज में 4500 लोग ऐसे भी थे जिन्हें कोई ना कोई बीमारी थी.
दूसरी डोज लेने के बाद ऐसे लोगों में वैक्सीन 81 प्रतिशत तक कारगर पाई गई, जिन्हें पहले कोरोना नहीं हुआ था. नतीजों पर पहुंचने के लिए स्टडी में ऐसे लोगों का आंकलन किया गया जिन्हें ट्रायल के दौरान कोरोना हुआ हो. प्लेसिबो ग्रुप में 36 लोग ऐसे मिले जिन्हें कोरोना हुआ. और वैक्सीन वाले ग्रुप में 7 लोग ऐसे पाए गए जिन्हें कोरोना हुआ था.
Covaxin की खासियत
ये वैक्सीन 2 से 8 डिग्री सेल्सियस यानी साधारण फ्रीजर के तापमान में स्टोर की जा सकती है. कंपनी का दावा है कि एक बार वैक्सीन का वायल खुलने के बाद उसे 28 दिन तक प्रयोग किया जा सकता है. यानी 28 दिन तक खुला हुआ वायल भी खराब नहीं होता है.
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आगे भी जारी रहेगी स्टडी
भारत बायोटक स्टडी का फाइनल आंकलन भी जारी करेगा. उसके लिए स्टडी में शामिल किए गए 27 हज़ार लोगों में से कम से कम 130 लोगों को कभी ना कभी कोरोना होना जरुरी है. इससे ये पता चल सकेगा कि वैक्सीन लगाए जाने के बाद जिन्हें कोरोना संक्रमण हुआ, उन पर वैक्सीन कितनी कामयाब रही. लेकिन भारत में कोरोना का प्रकोप कम हो चुका है. इसलिए स्टडी का फाइनल नतीजा दे पाना मुश्किल हो रहा है.
हम आपको बता दें कि वैक्सीन लगने के बाद भी कोरोना हो सकता है लेकिन संक्रमण से वैक्सीनेटिड व्यक्ति को कोई नुकसान नहीं होता. उसे गंभीर बीमारी नहीं होती. और वो सुरक्षित रहता है. इसलिए वैक्सीन की दोनों डोज जरूरी है.
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