जज लोया की मौत के केस में नया मोड़, दो क़रीबियों की संदिग्ध मौत

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भारतीय न्यायपालिका का सबसे चर्चित केस बन चुका जज लोया की संदिग्ध मौत का मामला एक बार फिर से सुर्ख़ियों में है. अब तक कोई भी राजनैतिक पार्टी इस केस में खुलकर सामने नही आ रही थी. किसी भी पार्टी ने इस हाईप्रोफाइल मामले में दिलचस्पी नही दिखाई. लेकिन अब कांग्रेस इस केस के सम्बन्ध में खुलकर सामने आयी है.

बुधवार को कांग्रेस ने यह मामला नए सिरे से उठाने की कोशिश की. एक प्रेस कॉन्‍फ्रेंस में कांग्रेस के चार बड़े नेता और वकीलों ने दो लोगों को मीडिया के सामने पेश किया. बताया जा रहा है कि इनमें से एक व्यक्ति जज लोया के केस का पहला याचिकाकर्ता है और दूसरा व्यक्ति उसी केस का वकील है. कांग्रेस ने इन दोनों के हवाले से आरोप लगाया है कि जज लोया पर दबाव की जानकारी जिन लोगों को थी उनमें से दो लोगों की संदिग्ध मौत हो चुकी है. इसके अलावा कांग्रेस ने जज लोया की मौत के मामले की जांच सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक स्पेशल इनवेस्टिगेटिव टीम से करवाने की मांग की.

बड़े खुलासों का विषय रही प्रेस कांफ्रेंस

इस प्रेस कांफ्रेंस में कांग्रेस ने दावा किया कि जा लोया की मौत के मामले में सूर्यकांत लोगले पहले याचिकाकर्ता हैं और सतीश उके इस मामले की पैरवी कर रहे थे. कांग्रेस के प्रवक्ता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने बताया कि जज लोया ने एड्वोकेट श्रीकांत खंडालकर और रिटायर्ड जज प्रकाश थोम्ब्रे के ज़रिए सतीश उके से संपर्क किया था. लोया चाहते थे कि सतीश उन लोगों के खिलाफ केस करें जो सोहराबुद्दीन मामले में आरोपी को छोड़ने का दबाव बना रहे थे.

दावा किया जा रहा है कि  सतीश उके की जज लोया के साथ वीडियो कॉल के ज़रिए बातचीत भी हुई. इस बातचीत में जज लोया ने सतीश उके से अपने ऊपर पड़ रहे दबाव की बात कही और बताया कि उन्हें एक ड्राफ्ट ऑर्डर की कॉपी दी गई है. उनपर दबाव बनाया जा रहा है कि वो इसी ड्राफ्ट ऑर्डर के मुताबिक फैसला सुनाएं.

Kabil sibbal -

क़रीबीयों की संदिग्ध मौत का दावा

कांग्रेस ने दावा किया है कि जिन दो लोगों से जज लोया ने संपर्क किया था उनकी मौत भी संदिग्ध हालात में हो गई. जज लोया की मृत्यु के ठीक एक साल बाद 29 नवंबर, 2015 को वकील श्रीकांत खंडालकर का शव नागपुर के डिस्ट्रिक्ट कोर्ट के अहाते से बरामद हुआ. बताया गया था कि वो आठवीं मंज़िल से नीचे गिर गए.

कपिल सिब्बल के मुताबिक, जस्टिस लोया ने खुद को मिली ड्राफ्ट ऑर्डर की कॉपी अपने करीबी जानकार और भरोसेमंद जज प्रकाश थोम्ब्रे को दी थी जो तब रिटायर हो चुके थे. लेकिन जज लोया की संदिग्ध मौत के क़रीब डेढ़ साल बाद 16 मई, 2016 को जज थोम्ब्रे की भी संदिग्ध हालात में ट्रेन में मौत हो गई. जिस वक़्त थोम्ब्रे की मौत हुई उस वक़्त वो नागपुर से बेंगलुरु जा रहे थे और उनकी मौत हैदराबाद के क़रीब हुई. कांग्रेस ने दावा किया है कि थोम्ब्रेस के पास ड्राफ्ट ऑर्डर की कॉपी थी इसलिए उनकी मौत की भी जांच होनी चाहिए.

गंभीर है कोर्ट का रुख

कांग्रेस ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एक एसआईटी बनाकर इस मामले की जांच कराई जाए. हालांकि इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट में पहले ही सुनवाई शुरू हो चुकी है. खुद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा कह चुके हैं कि मामला गंभीर है और कोर्ट इस केस से जुड़े सभी रिकॉर्ड्स को देखेगी. उच्च न्यायालय ने इस मामले में चल रहे सभी मामलों की फाइल अपने पास मंगा ली है. लेकिन कांग्रेस का कहना है कि महाराष्ट्र सरकार इस मामले में लीपापोती की कोशिश कर रही है.