Congress: बालासाहेब या नाना किसकी है कांग्रेस, महाराष्ट्र में बड़ी बगावत? पटोले के खिलाफ थोरात ने खोला मोर्चा
इस मुद्दे पर नवभारत टाइम्स ऑनलाइन ने नाना पटोले से बातचीत की। उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र कांग्रेस ने विधान परिषद चुनाव में बेहतरीन प्रदर्शन किया है। फडणवीस के गढ़ नागपुर और अमरावती में दो सीटें जीतकर लाई हैं। इसी बात की नाराजगी बीजेपी को है। इसी वजह से बीजेपी ऐसी अफवाहें फैला रही है। हमारी पार्टी में इस तरह का कोई भी विवाद नहीं है। नाना पटोले बनाम बालासाहेब थोरात का कोई भी संघर्ष नहीं चल रहा है। हम आज भी बातचीत करते हैं।
कांग्रेस की नेता हेमलता पाटिल ने एक ट्वीट करके यह सवाल खड़ा कर दिया है कि महाराष्ट्र कांग्रेस क्या वाकई दो गुटों में बंट चुकी हैम जिसमें एक गुट नाना पटोले का है और दूसरा बालासाहेब थोरात का। हेमलता पाटिल ने ट्वीट में लिखा है कि आज सुबह सुबह मुझे एक फोन आया जिसमें पूछा गया कि मैडम अब बालासाहेब थोरात की कांग्रेस के लिए काम करना है या फिर नाना पटोले की कांग्रेस के लिए काम करना है।
नाराज बालासाहेब थोरात ने कहा…
वहीं सूत्रों की माने तो पटोले पर नाराज बालासाहेब थोरात ने कहा कि विधान परिषद चुनाव के दौरान अपमानजनक बातें कही गईं। सार्वजनिक तौर पर परिवार के खिलाफ बयान दिए गए। विवाद को मिटाने की बजाय उसे बढ़ाया गया और कई कार्यकर्ताओं पर कार्रवाई भी हुई। पार्टी की बैठक के दौरान भी निचले स्तर पर जाकर वक्तव्य किए गए। कई कांग्रेस कार्यकर्ताओं को परेशान किया गया और उन्हें मुश्किलों में लाने का प्रयत्न हुआ।
अच्छे प्रदर्शन के बावजूद नाराजगी
वहीं पटोले समर्थक गुट की माने तो महाराष्ट्र में कांग्रेस पार्टी ने प्रदेश अध्यक्ष नाना पटोले के नेतृत्व में हालिया विधान परिषद चुनाव में अच्छा प्रदर्शन किया है। अमरावती और नागपुर में कांग्रेस ने सीटों पर अपनी जीत दर्ज की है। बावजूद इसके नाना पटोले अपने इलाके विदर्भ में भी कांग्रेस नेताओं के निशाने पर हैं। कांग्रेस नेता अशीष देशमुख ने विधान परिषद चुनाव के पहले ही पटोले को प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की मांग की थी। विदर्भ इलाके में कांग्रेस पार्टी के पास पहले से ही सुनील केदार, विजय वडेट्टीवार और यशोमती ठाकुर जैसे कई दिग्गज नेता थे। बावजूद इसके पार्टी ने नाना पटोले को मौका दिया। दूसरी तरफ पार्टी में इस बात की भी नाराजगी है कि थोरात जैसे वरिष्ठ नेता के पास से प्रदेश अध्यक्ष पद वापस लेकर पटोले को दिया गया।