Chirag Paswan के NDA में आते ही कैसे बदला गेम, चाचा के साथ गए MPs अब गांठने लगे PM मोदी के ‘हनुमान’ से दोस्ती

15
Chirag Paswan के NDA में आते ही कैसे बदला गेम, चाचा के साथ गए MPs अब गांठने लगे PM मोदी के ‘हनुमान’ से दोस्ती

Chirag Paswan के NDA में आते ही कैसे बदला गेम, चाचा के साथ गए MPs अब गांठने लगे PM मोदी के ‘हनुमान’ से दोस्ती

पटना: ना ना कहते हुए भी आखिरकार चाचा पशुपति पारस (Pashupati paras) और भतीजे चिराग पासवान (Chirag Paswan) मिल गए। कहते हैं ना राजनीति में न तो कोई हमेशा के लिए दोस्त होता है और न ही दुश्मन। यह बीजेपी की जरूरत और चिराग पासवान की असमर्थता ने सब करा डाला। ऐसा इसलिए भी हुआ क्योंकि चाचा पशुपति पारस और भतीजे चिराग पासवान जानते हैं कि महागठबंधन में स्पेस कम है। जब एलजेपी का बंटवारा हुआ था तब यह कहा जा रहा था कि ये नीतीश कुमार का चिराग पासवान की ओर से बिहार विधान सभा में किए गए छल का जवाब है। तब नीतीश कुमार ने अपने कोटे से पशुपति पारस को मंत्री बनाया और इस प्रभाव में चिराग को छोड़ एलजेपी के सारे सांसदों ने पारस का दामन थाम लिया था। हालांकि, वह भी ये जानते थे कि रामविलास पासवान की विरासत अंततः चिराग पासवान को ही मिली है।

यही वजह है कि जब से प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे जुड़ परोक्ष या अपरोक्ष रूप से चिराग पासवान हनुमान की भूमिका में आ गए। तब से एलजेपी सांसदों का मन फिर बदलने लगा। और यह परिवर्तन दिखा भी तब जब ईद के दौरान चौधरी महबूब अली केसर चिराग से मिले। वैशाली की सांसद वीणा देवी भी दो बार उनसे मिली। दिल्ली में नवादा के सांसद चंदन सिंह भी मिले थे लेकिन तब बात आई गई हो गई थी।

चिराग के एनडीए में आते ही खेला शुरू

देश में विपक्षी एकता की हो रही बैठकों और बीजेपी के नेतृत्व वाले एनडीए की मजबूती को लेकर एलजेपी के दोनों धड़े इसमें आ गए। उनका एनडीए में आना बिहार की राजनीति नई सरगर्मी ला दिया है। एलजेपी रामविलास के पास तो एक सांसद है। लेकिन एलजेपी पारस के पास पांच सांसद हैं। अब पांच सांसदों को फिर से लोकसभा पहुंचने की जरूरत ने गेम फंसाया। नवादा के सांसद चंदन सिंह, वैशाली की संसद वीणा देवी और खगड़िया के सांसद चौधरी महबूब अली कैसर को चिराग के पास आने को मजबूर कर दिया।

हाजीपुर सीट के लिए क्यों चिराग कर रहे जिद, चाचा पारस को कौन मनाएगा ?

क्यों लगा रहे खगड़िया MP चिराग के पास हाजिरी

एलजेपी सांसद चौधरी महबूब अली केसर एक अनुभवी राजनीतिज्ञ रहे हैं। उन्हें यह जानकारी भी है कि रामविलास पासवान की विरासत चिराग को मिली है। रामविलास पासवान को चाहने वाली जनता अभी भी बंगला छाप को जानती है। ऐसे में यह माना जा रहा है कि बीजेपी के इशारे पर खगड़िया सांसद चिराग पासवान के दरवाजे गए होंगे। कैसर जानते हैं लोजपा की चाबी चिराग के पास रहेगी। इसके अलावा चारा भी नहीं है। महागठबंधन के पास खगड़िया में अपना उम्मीदवार है। और वहां ऐसे भी कई दल हैं सो स्पेस भी कम है। इस वजह से भी एलजेपी (आर) के एनडीए में शामिल होते ही उन्होंने चिराग से मिल गलबहियां भी कर डाली।

Chirag Paswan: ‘टूटे दल जुड़ सकते हैं टूटे दिल नहीं’, चाचा का इमोशनल कार्ड तो अचानक दिल्ली क्यों गए चिराग पासवान

नवादा सांसद की हालत तो और भी दुरूह

नवादा सांसद चंदन सिंह भी कई बार सांसद चिराग पासवान से मिले हैं। उनकी जरूरत तो इस बात को लेकर बढ़ी है कि बीजेपी ने नवादा लोकसभा सीट से लड़ने की इच्छा जताई है। ऐसे में नवादा सांसद को चिराग पासवान का ही सहारा है। वैसे भी चंदन सिंह के बड़े भाई का सूरजभान सिंह से रिश्ता बड़ा सम्माननीय था। रामविलास पासवान के वे गुड बुक में आते भी थे। इसलिए रामविलास पासवान की मृत्यु के बाद चिराग से नाता तोड़ने का जो कार्य किया था उस विश्वास को बनाने में समय लगेगा। सो, चंदन सिंह किसी न किसी बहाने दिल्ली में मिलते रहे हैं। चंदन सिंह जानते हैं कि 2024 लोकसभा की कमान चिराग पासवान के हाथ होगी। और वे यह भी जानते हैं कि नवादा भाजपा लड़ती है तो उसके बदले में दूसरी लोक सभा सीट भाजपा से चिराग ही मांग सकते हैं।

Bihar Politics: लोकसभा चुनाव 2024 में ‘INDIA’ से मुकाबले के लिए ‘NDA’ तैयार, अब तो चाचा-भतीजा भी दिखे साथ

वैशाली सांसद की परेशानी

वैशाली सांसद वीणा सिंह के पास चिराग पासवान के अलावा कोई रास्ता ही नहीं है। महागठबंधन में उनके विरोध में रमा सिंह काफी सक्षम उम्मीदवार हैं। और एनडीए में चिराग पासवान की चलने वाली है। इसलिए भी वे मिल रही हैं। इसके पहले उनके पति ने भी चिराग पासवान के यहां हाजरी देकर अपनी लॉयलिटी दिखाई है।

Bihar: चिराग पासवान और पशुपति कुमार पारस में से किसे पसंद कर रही हाजीपुर की जनता, जानिए लोगों की राय

चिराग करेंगे क्या

लोक जनशक्ति पार्टी रामविलास के सूत्रों की माने तो चिराग के राजनीतिक जीवन का वह सबसे मुसीबत भरा समय था। रामविलास पासवान की मृत्यु के कुछ महीने ही गुजरे कि एलजेपी के अधिकांश दिग्गज नेता और पांच सांसदों ने पार्टी से किनारा कर लिया। उन्होंने राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी बना ली। चिराग पासवान अपने दुख के समय दूर हुए नेताओं से दूरी बना कर ही रखेंगे। दिखावा के लिए पार्टी में शामिल भी करा लें पर सांसदी का टिकट किसी को नहीं देने जा रहे हैं। एक सूरत बचती है कि अगर बीजेपी सेफ गेम के तहत चिराग पर अतिरिक्त दबाव न बनाए। 2019 में भी महबूब अली कैसर को टिकट तो नहीं मिल रहा था। ऐसे में कहा जाता है कि बीजेपी के दवाब में उन्हें टिकट दिया गया था। अब देखिए आगे होता है क्या?

बिहार की और खबर देखने के लिए यहाँ क्लिक करे – Delhi News