Chinese Manja Death: जब तक बुलेट रोकते तब तक कट चुकी थी गर्दन… दिल्ली में चीनी मांझे से हुई युवक की दर्दनाक मौत

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Chinese Manja Death: जब तक बुलेट रोकते तब तक कट चुकी थी गर्दन… दिल्ली में चीनी मांझे से हुई युवक की दर्दनाक मौत

Chinese Manja Death: जब तक बुलेट रोकते तब तक कट चुकी थी गर्दन… दिल्ली में चीनी मांझे से हुई युवक की दर्दनाक मौत

दिल्ली के हैदरपुर फ्लाईओवर पर बाइक सवार युवक के गले में प्रतिबंधित चीनी मांझा उलझने से उसकी जान चली गई। मृतक की पहचान 30 वर्षीय सुमित रंगा के रूप में हुई है। उस समय वह बुराड़ी स्थित अपनी हार्डवेयर शॉप से घर के लिए रोहिणी जा रहे थे। शाम को करीब साढ़े छह बजे जब रिंग रोड हैदरपुर फ्लाईओवर पर पहुंचे। इसी दौरान मांझा उनकी गर्दन में उलझ गया। पुलिस का कहना है कि जब तब वह बाइक को रोक पाते तब तक उनके शरीर से काफी खून बह चुका था। हादसे के समय सुमित रोड पर तड़पते रहे। काफी देर बाद एक राहगीर ने हादसे की जानकारी पुलिस को दी, फिर अस्पताल में भर्ती कराया। तब तक काफी देर हो चुकी थी। डॉक्टरों ने सुमित को मृत घोषित कर दिया। उनकी गर्दन में भी मांझे का टुकड़ा फंसा हुआ था। पुलिस ने मांझे के टुकड़े को जांच के लिए कब्जे लिया है। पुलिस ने लापरवाही से मौत की धारा में केस दर्ज कर लिया है। बता दें, दो दिन पहले ही NBT ने मांझे को लेकर लोगों और संबंधित एजेंसियों को आगाह किया था। फिलहाल पुलिस आगे मामले की जांच कर रही है।

​पिता को खुद फोन करके बताया कि मांझे से गला कट गया है

सुमित के पिता राम कुमार ने बताया कि उन्हें बेटे ने कॉल कर बताया कि मांझे से उसका गला कट गया है। उन्होंने कहा कि बेटा बोलने की स्थिति में नहीं था। पास में ही मौजूद एक युवक ने बेटे से मोबाइल लेकर बताया कि उनके गले से काफी खून बह रहा है और हम उन्हें पास के ही एक निजी हॉस्पिटल में लेकर जा रहे हैं। जब हम हॉस्पिटल पहुंचे तो डॉक्टर ने कहा कि अब आपका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा। सुमित रंगा अपने माता पिता के इकलौते बेटे थे।

मांझे ने ली इकलौते बेटे की जान

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‘इकलौता बेटा हमें इस तरह से अचानक छोड़कर चला जाएगा, मुझे यकीन नहीं हो रहा है। हमारे बुढ़ापे का सहारा था, काफी अरमान के साथ बेटे को पाला और पढ़ाया। तीन साल पहले ही बेटे की शादी हुई थी। काफी खुशी के साथ हम लोग एक साथ रह रहे थे। सुमित पूरे परिवार का ख्याल रखते थे।’ मांझे की चपेट में आने से जान गंवाने वाले सुमित के बारे में बताते हुए उनके पिता रामकुमार सिंह की आंखों में आंसू आ गए। कहा, अब किसी के लाल के साथ ऐसा ना हो, इसलिए पुलिस प्रशासन को मांझा बनाने वाले और बेचने वालों के खिलाफ सख्त एक्शन लेना चाहिए। सुमित (30) अपने पिता राम कुमार (64), मां वीरेंद्र कुमारी (60) और पत्नी के साथ रोहिणी सेक्टर-1 के अवंतिका में रहते थे। रोजाना की तरह सुमित सोमवार की सुबह अपने घर से बुराड़ी की अपनी हार्डवेयर की दुकान पर गए थे। जहां से सोमवार की शाम करीब 7:15 बजे दुकान बंद कर बाइक से घर लौट रहे थे। तभी हैदरपुर-बादली मोड़ मेट्रो स्टेशन के सामने फ्लाईओवर पर पहुंचने के बाद वह मांझे की जद में आ गए। इससे उनकी गर्दन कट गई। गले से खून अधिक बहता देख दो राहगीर सुमित को पास के एक निजी अस्पताल लेकर गए। जहां डॉक्टर ने सुमित को मृत घोषित कर दिया।

​तीन साल पहले हुई थी शादी

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सुमित के पिता ने बताया कि इकलौते बेटे सुमित की शादी तीन साल पहले ही हुई थी। मौत की खबर सुनकर सुमित के दादा-दादी का भी रो-रोकर बुरा हाल है। दादा बस एक ही बात कह रहे हैं कि दादा के रहते हुए मेरा पोता कैसे इस दूनिया से चला गया। मां और पत्नी भी मौत की खबर सुनकर बेसुध हैं। जानकारी के मुताबिक सुमित पिछली दिवाली से पहले ही नए फ्लैट में परिवार के साथ शिफ्ट हुए थे। अपने मन-मुताबिक घर का सारा काम कराया था। हर रूम को काफी अच्छे तरीके से सजाया था। यहां तक कि किचन का काम भी खुद की पसंद से कराया था।

​तीज पर बहन के लिए शगुन लेकर जाने वाले थे सुमित

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सुमित के जीजा कपिल ने बताया कि सोमवार को दुकान से ही सुमित ने कॉल कर बताया था कि हम शाम तक शगुन लेकर आ रहे हैं। उन्होंने कहा था कि आज रात का खाना मत बनवाना, हम साथ में बाहर डिनर करेंगे। जिसके बाद सुमित ने अपनी मां को भी फोन कर कहा था कि जीजा के पास जाना है, आप सामान तैयार रखें। आते ही गुरु हरकिशन नगर जीजा के पास जाना है। बेटे का फोन आने के बाद मां ने भी सामान तैयार कर दिया था, ताकि बेटे को इकलौती बहन के पास पहुंचने में देरी ना हो। लेकिन सुमित के आने का इंतजार सभी करते रहे, लेकिन सुमित नहीं पहुंचे।

​कई साल की नौकरी फिर शुरू किया बिजनेस

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पिता ने बताया कि साल 2014 में सुमित ने इलेक्ट्रॉनिक्स कम्युनिकेशन से बीटेक किया था। जिसके बाद सुमित ने कई जगहों पर नौकरी भी की। कभी भी खाली नहीं बैठा। सुमित का मन था कि वह खुद का बिजनेस शुरू करें। दो साल पहले ही बुराड़ी में हार्डवेयर की दुकान खोली थी। काफी मेहनत करने के बाद सुमित का कारोबार भी अच्छा चलने लगा था। सुमित की दुकान पर काम करने वाले किशन शर्मा ने बताया कि सोमवार की शाम मालिक को कहीं जाना था इसलिए वह कई घंटे पहले से ही कह रहे थे कि किशन आज जल्दी घर निकलना है। किशन ने बताया कि वह काफी समय से सुमित के साथ इस दुकान में काम कर रहे हैं। आज तक कभी नहीं लगा कि वह मेरे मालिक हैं। काफी इज्जत के साथ हर किसी से बात करते थे। हमेशा परेशानी में साथ खड़े रहते थे। परिवार के सदस्य की तरह ही मुझे मानते थे।

​’खुशमिजाज और नेकदिल इंसान थे सुमित’

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सुमित के पड़ोसी और रिश्तेदारों का आंबेडकर अस्पताल की मॉर्चरी के बाहर मंगलवार सुबह से ही तांता लगा रहा। हर कोई यही कह रहा था कि सुमित एक नेकदिल और खुशमिजाज इंसान थे। हर किसी का साथ देते। अपने पड़ोसियों के खुशी और गम में शामिल होते। बुजुर्गों का काफी आदर करते। सुमित के चाचा बलराज ने कहा कि पिछले साल कोरोना में एक भाई को खोया, अब जवान भतीजे को खोकर ऐसा लग रहा है, पता नहीं हमारे परिवार को किसकी नजर लग गई है। सुमित सभी रिश्तों को बखूबी निभाना जानता था। हर किसी से बात करना और मिलते जुलते रहना उनका स्वभाव था।

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