China-USA : भारत की तरह अब अमरीका भी चीन पर लगाने जा रहा लगाम, एक दाव से पस्त होगा ड्रैगन | China-USA: Like India, now America is also going to rein in China | Patrika News

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China-USA : भारत की तरह अब अमरीका भी चीन पर लगाने जा रहा लगाम, एक दाव से पस्त होगा ड्रैगन | China-USA: Like India, now America is also going to rein in China | Patrika News

China-USA : भारत की तरह अब अमरीका भी चीन पर लगाने जा रहा लगाम, एक दाव से पस्त होगा ड्रैगन | China-USA: Like India, now America is also going to rein in China | Patrika News

टूल्स की मदद से बनाता है चीन चिप प्रशासन के अधिकारियों ने बताया कि अमरीकी टूलमेकर्स केएलए कॉर्प, लैम रिसर्च कॉर्प और एप्लाइड मैटेरियल्स इंक की ओर से भेजे गए टूल्स की मदद से चीन में सेमीकंडक्टर (Semiconductor Chip) का निर्माण किया जाता है। अब नए नियमों मे चीन (China) को इस तरह के टूल्स या चिप की बिक्री से पूरी तरह रोक दी गई है। बाइडेन प्रशासन के सूत्रों के मुताबिक इस कदम से चीन में सेमी-कंडक्टर के निर्माण की गति धीमी होगी, जिसका असर वहां की अर्थव्यवस्था पर होगा। चीन भले ही विस्तारवाद की नीति के तहत गरीब देशों को कर्ज के जाल में फंसाने के कारनामों में लगा रहता हो, लेकिन कोरोना के बाद खुद उसकी इकोनॉमी भी चरमरा रही है। ऐसे में अमेरिका के इस नए दांव से उसे निश्चित ही बहुत नुकसान होगा।

‘ड्रैगन’ की 30 कंपनियां निगरानी सूची में शामिल
सूत्रों के मुताबिक अमरीका (USA) ने ‘ड्रैगन’ के खिलाफ एक और कड़ा कदम उठाते हुए उसकी मेमोरी चिप बनाने वाली टॉप-30 कंपनियों को एक खास लिस्ट में शामिल कर लिया है। असल में अमरीका इन कंपनियों के संचालन की जांच करना चाहता है लेकिन चीन (China) इसकी इजाजत नहीं देता। इसलिए अमेरिकी सरकार ने इन 30 कंपनियों को अनवेरिफाइड लिस्ट में शामिल किया है। माना जा रहा है कि इस लिस्ट में शामिल होने वाली कंपनियों को अगले कुछ दिनों में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है।

सहयोगी देशों से मांग रहा साथ
इस बारे में पत्रकारों से बात करते हुए प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने कहा कि यह नियम विदेशी फर्मों द्वारा चीन को एडवांस चिप बेचने या उन्हें चिप बनाने के लिए टूल्स की सप्लाई से रोकता है। हालांकि, उन्होंने यह स्वीकार किया कि वह आश्वस्त नहीं हैं कि सहयोगी देश भी ऐसा ही कुछ करेंगे। हालांकि उन्होंने यह भी कहा कि इस बारे में उन देशों के साथ चर्चा जारी है। एक अधिकारी ने कहा कि हमें यह बात समझ रहे हैं कि अगर सभी देशों का सहयोग नहीं मिला तो अमरीकी प्रतिबंध समय के साथ प्रभावी नहीं रह जाएंगे। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि अगर सभी विदेशी कॉम्पटीटर इसी तरह का नियंत्रण नहीं लगाते हैं तो अमरीकी टेक्नोलॉजी का नेतृत्व खतरे में पड़ जाएगा। इन नियमों में कुछ तत्काल प्रभाव में आ जाएंगे। यह सभी इस साल की शुरुआत में टॉप टूलमेकर्स केएलए कॉर्प, लैम रिसर्च कॉर्प और एप्लाइड मैटेरियल्स इंक को भेजे गए पत्रों के आधार पर तैयार किए गए हैं।

बनाई अनवेरिफाइड लिस्ट
गौरतलब है कि शुक्रवार को, अमरीका ने चीन की टॉप मेमोरी चिप निर्माता वाईएमटीसी और 30 अन्य चीनी संस्थाओं को एक खास अनवेरिफाइड लिस्ट में शामिल किया। जानकारी के मुताबिक अनवेरिफाइड लिस्ट कड़े इकोनॉमिक प्रतिबंध लगाने की दिशा में चीनी की कंपनियों को ब्लैकलिस्ट की दिशा में एक कदम है। हालांकि अमरीकी निरीक्षण नियमों का पालन करने वाली कंपनियां इस लिस्ट सूची से बाहर आ सकती हैं। शुक्रवार को, अमरीकी अधिकारियों ने चीन के वूशी बायोलॉजिक्स सहित नौ ऐसी फर्मों को हटा दिया, जो एस्ट्राजेनेका के सीओवीआईडी -19 वैक्सीन के लिए सामग्री बनाती हैं।

भारत पहले ही कर चुका है पहल
खास बात ये है कि चीन (China) के खिलाफ अमरीका (USA) जिन कदमों को अब उठाने की कोशिश कर रहा है, उनकी पहल भारत पहले ही कर चुका है। चीन के खिलाफ बने माहौल को देखते हुए मोदी सरकार ने भारत को दुनिया का सेमीकंडक्टर (Semiconductor Chip) हब बनाने की कोशिश शुरू कर दी है। इसके लिए ताइवान के सहयोग से देश में सेमी-कंडक्टर फैक्ट्रियां लगाने की कोशिश हो रही है। सरकारी सूत्रों के मुताबिक इस कदम से भारत सेमी-कंडक्टर के मामले में आत्मनिर्भर बन जाएगा, साथ ही चीन की इकोनॉमी को भी करारा झटका लगेगा।



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