China News: इस छोटे से ‘देश’ ने चीन को दिया करारा जवाब, बोला- ताइवान को लेकर हमें हुक्म नहीं दे सकते
ताइपे: ताइवान को लेकर हाल में ही पैदा हुए एक छोटे से देश ने चीन (China Taiwan Tension) को करारा जवाब दिया है। ताइवान की यात्रा पर पहुंचे सोमालीलैंड (Taiwan Somaliland Relations) के विदेश मंत्री ने कहा कि चीन यह तय नहीं कर सकता कि हमें किस देश के साथ संबंध (China (Somaliland News) बनाना है। उन्होंने कहा कि सोमालीलैंड एक संप्रभु राष्ट्र है जो स्वतंत्र पैदा हुआ था। ऐसे में हमारी विदेश नीति को चीन नहीं तय कर सकता है। सोमालीलैंड 1991 में सोमालिया (Somaliland vs Somalia) से अलग हो गया था, लेकिन आज भी इसे दुनियाभर के अधिकतर देशों ने एक स्वतंत्र देश के रूप में मान्यता नहीं दी है। सोमालीलैंड (Somaliland News) का क्षेत्र ज्यादातर शांतिपूर्ण रहा है जबकि सोमालिया तीन दशकों के गृहयुद्ध से जूझ रहा है। सोमालीलैंड हॉर्न ऑफ अफ्रीका में स्थित है, जिसके उत्तर में अदन की खाड़ी, पूर्व में सोमालिया और उत्तर पश्चिम में जिबूती और इथियोपिया हैं।
सोमालीलैंड और ताइवान की स्थिति एक जैसी
सोमालीलैंड और ताइवान की लगभग एक जैसी स्थिति है। दोनों ही अपने आपको एक स्वतंत्र देश होने का दावा करते हैं। लेकिन, दुनियाभर के अधिकतर देश इन्हें मान्यता नहीं दिए हुए हैं। सोमालीलैंड को मान्यता देने पर सोमालिया शुरू से ऐतराज जताता रहा है। वहीं, ताइवान को लेकर चीन का विरोध और धमकियां तो जग जाहिर हैं। 2020 में दोनों ही देशों ने एक दूसरे की राजधानियों में बीजिंग और मोगादिशु के विरोधों को दरकिनार करते हुए प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित किए थे।
चीन ने सोमालीलैंड को लेकर दी तीखी प्रतिक्रिया
चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमालीलैंड के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ताइवान ने सोमालीलैंड के वरिष्ठ मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी करके आग की लपटों को हवा दी है। स्वतंत्रता और एकीकरण की ऐसी कोशिशों से किसी का भी फायदा नहीं होने वाला है। वहीं, सोमालीलैंड के विदेश मंत्री एसा कायद ने कहा कि चीन उनके देश पर हुक्म नहीं चला सकता। हम स्वतंत्र पैदा हुए थे और हम स्वतंत्र रहेंगे। हम अपना व्यवसाय वैसे ही चलाएंगे जैसे हम चाहते हैं। चीन हुक्म नहीं कर सकता, कोई दूसरा देश हुक्म नहीं दे सकता।
सोमालीलैंड बोला- हम किसी भी देश के साथ बात करने को तैयार
सोमालीलैंड के विदेश मंत्री कायदा ने कहा कि हम किसी के भी साथ शर्त या बिना शर्त के व्यापार करने को तैयार हैं जो हमें एक संप्रभु देश के रूप में सम्मान करते हैं। मुझे लगता है कि यह उतना ही स्पष्ट है जितना मैं चीन पर जा सकता हूं। हाल के वर्षों में चीन ने बड़ी चालाकी से अफ्रीका के अधिकतर देशों को अपने पाले में करते हुए उनके संबंधों तो ताइवान के साथ खत्म करवा दिया है। अब सिर्फ इस्वातिनी नाम के एक छोटे से अफ्रीकी देश से ही ताइवान के कूटनीतिक संबंध बचे हुए हैं। इसके लिए चीन ने अफ्रीकी देशों को अरबों डॉलर का कर्ज दिया हुआ है। कई देशों में तो चीन ने उनकी जीडीपी से भी ज्यादा निवेश किया है।
सोमालीलैंड और ताइवान की स्थिति एक जैसी
सोमालीलैंड और ताइवान की लगभग एक जैसी स्थिति है। दोनों ही अपने आपको एक स्वतंत्र देश होने का दावा करते हैं। लेकिन, दुनियाभर के अधिकतर देश इन्हें मान्यता नहीं दिए हुए हैं। सोमालीलैंड को मान्यता देने पर सोमालिया शुरू से ऐतराज जताता रहा है। वहीं, ताइवान को लेकर चीन का विरोध और धमकियां तो जग जाहिर हैं। 2020 में दोनों ही देशों ने एक दूसरे की राजधानियों में बीजिंग और मोगादिशु के विरोधों को दरकिनार करते हुए प्रतिनिधि कार्यालय स्थापित किए थे।
चीन ने सोमालीलैंड को लेकर दी तीखी प्रतिक्रिया
चीन के विदेश मंत्रालय ने सोमालीलैंड के बयान पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा कि ताइवान ने सोमालीलैंड के वरिष्ठ मंत्रिस्तरीय प्रतिनिधिमंडल की मेजबानी करके आग की लपटों को हवा दी है। स्वतंत्रता और एकीकरण की ऐसी कोशिशों से किसी का भी फायदा नहीं होने वाला है। वहीं, सोमालीलैंड के विदेश मंत्री एसा कायद ने कहा कि चीन उनके देश पर हुक्म नहीं चला सकता। हम स्वतंत्र पैदा हुए थे और हम स्वतंत्र रहेंगे। हम अपना व्यवसाय वैसे ही चलाएंगे जैसे हम चाहते हैं। चीन हुक्म नहीं कर सकता, कोई दूसरा देश हुक्म नहीं दे सकता।
सोमालीलैंड बोला- हम किसी भी देश के साथ बात करने को तैयार
सोमालीलैंड के विदेश मंत्री कायदा ने कहा कि हम किसी के भी साथ शर्त या बिना शर्त के व्यापार करने को तैयार हैं जो हमें एक संप्रभु देश के रूप में सम्मान करते हैं। मुझे लगता है कि यह उतना ही स्पष्ट है जितना मैं चीन पर जा सकता हूं। हाल के वर्षों में चीन ने बड़ी चालाकी से अफ्रीका के अधिकतर देशों को अपने पाले में करते हुए उनके संबंधों तो ताइवान के साथ खत्म करवा दिया है। अब सिर्फ इस्वातिनी नाम के एक छोटे से अफ्रीकी देश से ही ताइवान के कूटनीतिक संबंध बचे हुए हैं। इसके लिए चीन ने अफ्रीकी देशों को अरबों डॉलर का कर्ज दिया हुआ है। कई देशों में तो चीन ने उनकी जीडीपी से भी ज्यादा निवेश किया है।