सिर्फ पाकिस्तान समर्थित या चीन समर्थित भी है आतंकवाद?

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कल यूनाइटेड नेशन के सुरक्षा परिषद की बैठक मे चीन ने चौथी दफा मसूद अज़हर को ब्लैक लिस्टेड करने के भारतीय प्रस्ताव पर टेक्निकल रोक लगा दिया। सुरक्षा परिषद के 5 स्थायी सदस्यों में से लगभग 4 देश इस बात पर एकमत थे कि मसूद अज़हर जैसे खतरनाक आतंकी पर रोक तो ज़रूर लगनी चाहिए। अब आखिर ऐसा कौन सा मसला है, जिसके कारण चीन का समर्थन पाकिस्तान को पिछले 3 बार से इस मुद्दे पर मिलता रहा है.

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चीन की कूटनीति हमेशा से अन्य देशो को आर्थिक रूप से गुलाम बनाने की रही है, यह बात जग ज़ाहिर है, जिस तरह से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे में चीन का निवेश पाकिस्तान में हो रहा है यह देखते हुए साफ़ ज़ाहिर होता है कि आने वाले दिनों में शायद पाकिस्तान भी चीन का आर्थिक उपनिवेश बन कर रह जायेगा। पाकिस्तान की आर्थिक हालत पहले से ही डांवाडोल है, अभी पिछले दिनों अगर सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस ने पाकिस्तान को धनराशि न दी होती तो शायद आज वहां पर आर्थिक हालात कुछ और होते।

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अब यहाँ पर मसला ये है कि पाकिस्तान पहले से ही आतंकवाद को प्रायोजित करने के मामले में सुरक्षा परिषद के ग्रे लिस्ट में शामिल है, मसूद अज़हर को अगर बैन किया जाता है तो पाकिस्तान  ब्लैक लिस्ट में आ जायेगा और फिर और आर्थिक सहायता पाकिस्तान को शायद न मिल पाएगी। यहाँ पर चीन की मंशा स्पस्ट ज़ाहिर होती है कि मसूद अजहर के बैन होने के मसले पर अड़ंगा लगाना चीन की सोची समझी आतंकवाद को समर्थन करने की नीति है.