नई दिल्ली: चीन आए दिन कोई न कोई ऐसी चीजे करता जा रहा है जो खुद में ही काफी काबिलियत तारीफ है. अपने देश को बुलंदियों की ऊँचाइयों में पहुंच रहा शहर चीन ने अब इतिहास रच डाला है.
चीन ने अंतरिक्ष में एक और मील का पत्थर स्थापित किया
जी हां, चीन ने अंतरिक्ष में आज एक और मील का पत्थर स्थापित कर दिया है. अमेरिका मीडिया के मुताबिक, चीन ने चंद्रमा के बाहरी हिस्से पर इतिहास में पहली बार एक स्पेस क्राफ्ट उतारा है. इस स्पेस क्राफ्ट का नाम चांगे-4 कहा जा रहा है. बता दें कि इससे पहले चीन ने साल 2013 में चांद पर एक रोवर भी उतारा था.
प्रोफेसर झू मेंघुआ का बयान
आपको बता दें कि चांगे-4 को चंद्रमा पर नीचे की तरफ उस भाग पर उतारा गया है जो पृथ्वी से काफी दूर है. चीन के अंतरिक्ष प्रबंधन में काफी गंभीरता से कार्य करने वाले मकाऊ यूनिवर्सिटी ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी के प्रोफेसर झू मेंघुआ ने बताया है की यह अंतरिक्ष अभियान यह दर्शाता है कि चीन गहरे अंतरिक्ष अन्वेषण में उन्नत विश्व स्तर पर जा पहुंचा है. हम चीनी लोगों ने ऐसा कर दिखाया है जिसको करने की हिम्मत अमेरिकीयों में फिलहाल नहीं है.
विशेषज्ञों ने कहा है कि चीन चीजों को काफी तेजी से पकड़ रहा है. वह अब अमेरिका को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, क्वांटम कंप्यूटिंग और दूसरे अन्य क्षेत्रों में काफी कड़ी चुनौती दे सकता है. ये ही नहीं चीन साल 2022 तक अपने तीसरे अंतरिक्ष स्टेशन को भी पूरी तरह से संचालन शुरू करने की योजना में है. चीन ने चंद्रमा पर ऐसे हिस्से में अपना विमान उतारा है जहां अभी तक कोई भी नहीं पहुंचा है. विशेषज्ञों का कहना है कि स्पेसक्राफ्ट की यह लैंडिंग प्रोपेगैंडा से ज्यादा कुछ नहीं है.
‘इसरो’ इस महीने के अंत तक चंद्रयान-2 का लांचिंग कर सकता है
वहीं भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) का चंद्रयान-1 पर नहीं उतर पाया था. इसे चंद्रमा की परिक्रमा के लिए भेजा गया था. इस महीने के अंत तक ‘इसरो’ अपने दूसरे चंद्र मिशन चंद्रयान-2 का लांचिंग कर सकता है. इससे पहले चंद्रयान-2 को अक्टूबर में लॉन्च किया जाना था. लेकिन बाद में इसकी तारीख को बढ़कर तीन जनवरी किया गया लेकिन कारण वर्ष अब एक बार फिर इसकी तारीख को आगे बढ़कर 31 जनवरी रखा गया है.